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भाजपा के संस्थापक सदस्य का बड़ा दावा, अयोध्या विवादित भूमि हिंदुओं और मुसलमानों की नहीं, बौद्धों की है

खबर की मुख्य बातें- - उन्होंने कहा कि यदि भूमि बौद्धों को मिलती है तो वो उसे सरकार को सौंपकर राष्ट्रीय स्मारक बनाने की पेशकश करेंगे -पूर्व केंद्रीय मंत्री ने हाईकोर्ट की तीन सदस्य खंड पीठ के जस्टिस की टिप्पणी का हवाला दिया है -चर्चा है कि इस बयान के बाद नए विवाद को जन्म दिया गया है

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भाजपा के संस्थापक सदस्य का बड़ा दावा, अयोध्या विवादित भूमि हिंदुओं और मुसलमानों की नहीं, बौद्धों की है

बुलंदशहर। भाजपा के संस्थापक सदस्य व पूर्व केंद्रीय मंत्री संघ प्रिय गौतम ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अयोध्या विवादित भूमि न हिन्दुओ की है और ना मुसलमानों की। वह बौद्ध की है। अपने आवास पर पत्रकारों से मुलाकात के दौरान संघ प्रिय गौतम ने अपने खुले पत्र में कहा है कि 30 सितंबर 2010 को हाई कोर्ट की 3 सदस्यीय खंडपीठ के एक न्यायमूर्ति श्री शर्मा ने अपने निष्कर्ष में कहा कि मन्दिर तोडकर मस्जिद बनायी गयी है। ऐसे सबूत फाइल में नहीं है।

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पूर्व केंद्रीय मंत्री के मुताबिक गौतम न्यायमूर्ति खान ने कहा कि अयोध्या में मंदिर नहीं तोड़ा गया और समतल भूमि पर मस्जिद बनाई गई और उसमें आस पास के ढांचों से भी मैटीरियल लगाया गया। न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने कहा कि मस्जिद में जो आस पास के ढांचों से जो मेटेरियल लगा उसमें जो मस्जिद में चालीस कसौटी खंबे मिलते हैं, वो बनारस के बौद्ध स्मारक (मंदिर) के खंभों से मिलते हैं। जिससे प्रतीत होता है कि मस्जिद के नीचे या आसपास बौद्ध स्मारक (मंदिर) के अवशेष रहे होंगे। इससे प्रतीत होता है कि विवादित भूमि बौद्धों की है, इसीलिए विवादित भूमि यदि हिन्दू, मुस्लिम के पक्ष में नहीं जाती है तो बौद्धों को मिलनी चाहिए।

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चर्चा है कि संघप्रिय गौतम ने यह खुला पत्र अयोध्या श्रीराम मन्दिर- मस्जिद विवादित भूमि को लेकर समझौता समिति द्वारा सुप्रीम कोर्ट में 18 जुलाई को रिपोर्ट पेश किये जाने से पहले देकर एक नये विवाद को जन्म दे दिया है। उन्होंने कहा कि यदि अयोध्या की विवादित भूमि बौद्धों को मिलती है तो वो उसे सरकार को सौंप कर राष्ट्रीय स्मारक बनाने की पेशकश करेंगे।