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बजट घोषणा पर अमल नहीं, उपेक्षा का शिकार केशव मंदिर

राज्य सरकार अपने एक वर्ष की उपलब्धियों का जश्न मना रही हैं वहीं धार्मिक नगरी के केशव भक्त बजट घोषणा के पूरे होने की बाट जोह रहे हैं।

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बूंदी

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pankaj joshi

Dec 17, 2024

बजट घोषणा पर अमल नहीं, उपेक्षा का शिकार केशव मंदिर

केशवरायपाटन. जर्जर केशव मंदिर की कलाकृतियों को प्लास्टर कर ढक दिया।

केशवरायपाटन. राज्य सरकार अपने एक वर्ष की उपलब्धियों का जश्न मना रही हैं वहीं धार्मिक नगरी के केशव भक्त बजट घोषणा के पूरे होने की बाट जोह रहे हैं। जर्जर हो चुके पौराणिक केशव मंदिर के जीर्णोद्धार के रखरखाव पर सरकार गंभीर नहीं है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपने पहले बजट में मंदिर के लिए दो करोड़ रुपए की घोषणा की थी। भगवान के द्वार पर ढोक लगाने तो कई नेता आते रहे हैं। अपनी मन्नत पूरी होने पर मन-ही-मन बोलारी बोलते हैं लेकिन सफलता के बाद भूल जाते हैं।

प्रतिदिन यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं लेकिन मंदिर से गिरने वाले पत्थर एवं जर्जर मंदिर श्रद्धालुओं के लिए समस्या बन चुका है। यहां पर कहीं बार बड़े-बड़े पत्थर गिर चुके। मुख्य द्वार पर हाथी क्षतिग्रस्त है। शिखर लेकर से नींव तक मंदिर जर्जर होने के बाद अब दरारें आ चुकी है फिर भी किसी का ध्यान नहीं। शिखर की मरम्मत के साथ कलाकृतियों की सुरक्षा की दरकार है। परिक्रमा का पटान उखड़ने में श्रद्धालुओं को ठोकरें लगती है।

स्वीकृत पैसा नहीं मिला
हाडोती के पुष्कर के नाम से प्रसिद्ध केशव धाम का विकास अब तक नहीं हो पाया है। मंदिर उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए स्वीकृत पैसा भी खर्च नहीं हो पा रहा है। भगवान का मंदिर नेताओं की रहमों करम पर निर्भर है लेकिन राजनेता अपनी मनोकामना को लेकर ही यहां आते हैं। मंदिर को देखकर आश्वासन देकर चले जाते हैं। योजनाएं कागजों में बनकर वहीं दफन हो जाती है। यहां के सामाजिक, राजनीतिक संगठन केवल उपखंड मुख्यालय तक ज्ञापन देने के बाद अपने काम को विराम दे देते हैं।

बड़ी संख्या में आते हैं श्रद्धालु
चंबल नदी किनारे स्थित पौराणिक केशव धाम कार्तिक मास में चर्मण्यवती पर स्नान कर दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। कार्तिक पूर्णिमा में तो यहां पर एक लाख से अधिक लोग दर्शन करते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु 20 पौराणिक धाम की कलाकृतियों के मुरीद है लेकिन अब वह लुप्तप्राय होकर जीर्ण-शीर्ण हो गई।