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आखिर ऐसी क्या मजबूरी रही कि सदर थाना प्रभारी को करना पड़ गया निलम्बित। देखे वीडियो

मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ कार्रवाई के एक मामले में असंदिग्ध भूमिका मानते हुए बूंदी के सदर थाना प्रभारी संदीप शर्मा को रेंज आइजी ने निलंबित कर दिया।

बूंदीOct 16, 2021 / 05:21 pm

Narendra Agarwal

आखिर ऐसी क्या मजबूरी रही कि सदर थाना प्रभारी को करना पड़ गया निलम्बित। देखे वीडियो

आखिर ऐसी क्या मजबूरी रही कि सदर थाना प्रभारी को करना पड़ गया निलम्बित। देखे वीडियो

बूंदी. मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ कार्रवाई के एक मामले में असंदिग्ध भूमिका मानते हुए बूंदी के सदर थाना प्रभारी संदीप शर्मा को रेंज आइजी ने निलंबित कर दिया। निलंबन की अवधि में शर्मा का मुख्यालय कोटा ग्रामीण रहेगा। मामला 2019 का बताया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ की गई एक कार्रवाई को रफा-दफा करने में सदर थानाधिकारी की भूमिका को आइजी ने संदिग्ध माना, जिसके बाद निलंबन की कार्रवाई की गई बताई। मामले में हाल ही में सदर पुलिस ने जोधपुर निवासी श्रवण सुथार को गिरफ्तार किया था। पुलिस इसे जेल से प्रोडक्शन वारंट पर लेकर आई। मामले में आरोपी पांच दिन के पुलिस रिमांड पर चल रहा था। इधर, इस मामले में सीआइ शर्मा ने बताया कि उक्त प्रकरण में निष्पक्ष कार्रवाई की गई। उच्चाधिकारियों ने अनुसंधान भी सही माना था। निलंबन किस लिए किया यह पता नहीं।
चर्चा में थे सीआइ संदीप
सदर थानाधिकारी संदीप बीते कुछ महिनों से चर्चा में थे। माटूंदा गांव में युवक की हत्या के बाद मुख्य आरोपी और षडय़ंत्र रचने वाले को नहीं पकडऩे, सीलोर पुलिया के नीचे लाठियां बरसाने वाले पुलिस कर्मियों को बचाने, गणेशपुरा टोल नाके पर टोल कर्मियों की दादागिरी सहित कई मामलों में संदीप की लोगों ने उच्चाधिकारियों को शिकायतें की थी। मामला प्रभारी मंत्री परसादीलाल मीणा के सामने भी उठा था।
यह है पूरा मामला
वर्ष 2019 में बूंदी की रेलवे पुलिया के निकट रेलवे स्टेशन के समीप फ्लाई ओवर के दूसरी तरफ गाड़ी पुलिस को डिवाइडर पर लावारिश हालात में खड़ी मिली थी। यह कार्रवाई तत्कालीन पुलिस निरीक्षक लोकेंद्र पालीवाल ने की थी। गाड़ी की तलाशी के दौरान पुलिस को एक बोरे से 104 किलो डोडा पोस्ट मिला था, जिसकी कीमत करीब 4 लाख रुपये थी। गाड़ी की नंबर प्लेट भी बदली हुई थी। फिर बाद में पुलिस ने एनडीपीएस में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू की। इसकी पत्रावाली सब इंस्पेक्टर रमेश मीणा के पास गई। जांच के दौरान गाड़ी मालिक दिल्ली निवासी आशु कुमार को पकड़ा। उसने पूछताछ में गाड़ी बालकृष्ण विश्नोई को बेचना बताया। जब इससे पूछताछ की तो सामने आया कि उसने भी यह गाड़ी श्रवण को बेच दी थी। जब पूछताछ की तो सामने आया कि श्रवण एनडीपीएस के मामले में जोधपुर जेल में बंद बताया। वारंट लेकर उसको जोधपुर जेल से पकड़ कर लेकर आए। इसके बाद न्यायालय से पांच दिन का पीसी रिमांड लेकर अनुसंधान जारी था। बाद में पूरे घटनाक्रम की मौका तस्दीक हो गई। अब तक की जांच पूरी होने के दौरान उच्चाधिकारियों ने मामले में सदर थाना अधिकारी के गाड़ी के पूर्व मालिक बालकृष्ण बिश्नोई को आरोपी नहीं बनाने को गंभीरता से लिया। जबकि अनुसंधान में वह भी आरोपी था।

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