
बूंदी. गणित व विज्ञान विषय में आमतौर पर विद्यार्थियों को आने वाली परेशानी अब दूर होगी। नए सत्र में कक्षा नौवीं व दसवीं के विद्यार्थियों की गणित व विज्ञान की पुस्तकों में क्यूआर कोड (क्यूक रेसपोन्स) का इस्तेमाल किया जाएगा। जिससे विद्यार्थियों को अपनी पुस्तकों के अलावा रेफरेंस बुक (संदर्भ पुस्तकों) के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा। शिक्षकों को अब अपने पास एनरोएड मोबाइल रखने होंगे। जिसे वे स्कूल में विद्यार्थियों को सम्बंधित विषय में आने वाली परेशानी के दौरान इस कोड के माध्यम से उसका हल किया जाएगा।
शिक्षा विभाग ने प्रदेशभर में पहली बार इस कोड का प्रयोग कर नवाचार किया है। सब कुछ सही रहा तो अन्य विषयों में भी इस कोड का जल्द ही प्रयोग अमल में लाया जाएगा। प्रारंभिक तौर पर अभी दोनों विषयों के लिए विभाग ने गाइड लाइन जारी की है। आमतौर पर देखने में आया कि कक्षा नौवीं व दसवीं के विद्यार्थियों को गणित व विज्ञान कि किताबों में कई बार परेशानियों का सामना करना पड़ा है। ऐसे प्रश्न या लाइन किताबों में अंकित रहते है, जिसको विद्यार्थी समझ नहीं पाता और स्कूल में वह डर के कारण शिक्षकों से पूछ नहीं पाता। जिसके चलते छात्र-छात्राएं स्कूल की किताबों का अध्ययन नहीं करके अन्य संदर्भ पुस्तकों को प्रयोग करते हैं। अब संदर्भ पुस्तक मोबाइल में ही खुल जाएगी।
इसलिए लगाना पड़ा कोड
देखने में आया है कि विद्यार्थी कई बार दोनों विषयों में अध्ययन के दौरान उलझन में रहे हैं। स्कूलों में भी शिक्षकों द्वारा समझाने व उसका दुबारा से पूछने में विद्यार्थी हिचकिताते हंै। इसी को देखते हुए एक्सपर्ट ने किताबों में पूर्व में वे क्षेत्र चिह्नित किए हैं जिसमें विद्यार्थियों को अधिक परेशानी आती रही है। इसके लिए विभाग ने किताबों में 389 बार कोड डाले है। जिसे अब बच्चों को किसी भी तहर की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
अधिकारी करेंगे मॉनिटरिंग
प्रदेश में कितने शिक्षक शिक्षण के दौरान उक्त कोड का प्रयोग कर रहें या नहीं इसकी जानकारी अधिकारियों को दिशा पोर्टल एप से मिल सकेगी। शिक्षकों को आगामी सत्र से इसका उपयोग करना होगा।
कार्यशाला में किया प्रशिक्षित
गणित व विज्ञान विषय में लगने वाले कोड को लेकर प्रदेशभर के आईसीटी कार्यक्रम अधिकारियों की जयपुर में दो दिवसीय कार्यशाला हुई। जिसमें शिक्षा आयुक्त तुल्लिका सैनी, आईसीटी के डिप्टी डायरेक्टर दिनेश कुमार गुप्ता व राज्य परियोजना निदेशक आनंदी ने क्यूआर कोड के बारे में जानकारी दी। एक्सपर्ट टीम ने कोड को सर्च करने के प्रेक्टिकल करवाया।
संस्था प्रधानों को देंगे प्रशिक्षण
ब्लॉक स्तरीय कार्यक्रम के दौरान संस्था प्रधानों को कार्यक्रम अधिकारी प्रशिक्षण देंगे।इसके बाद संस्था प्रधान अपने-अपने विद्यालयों के शिक्षकों को जानकारी देंगे।ग्रीष्मकालीन में प्रशिक्षण भी होंगे।
प्रोजेक्ट पर दिखा सकेंगे शिक्षक
जिले की 47 स्कूलों को छोड़ शेष सभी स्कूलों में कम्प्यूटर लेब सहित अनेक सुविधा स्थापित है। शिक्षकों भी अब एन्रोयड मोबाइल खरीदना होगा। जिसे वे स्कूल में विद्यार्थियों को क्यूआर कोड से अवगत करा सके। शिक्षक स्कूलों में मोबाइल से प्रोजेक्ट को कनेक्ट कर आ रही समस्या को दूर कर सकेंगे। इसे बच्चे टेक्नोलॉजी से भी जुड़ेंगे और उनमें समझने की क्षमता भी बढ़ेगी।
शिक्षकों ओर विद्यार्थियों को नई तकनीक से जोडऩे के लिए व विषय को सरल बनाने के लिए पुस्तकों में एनिशिएटीव के रूप में प्रदेश में पहली बार क्यूआर कोड का प्रयोग किया जा रहा है। जिससे अब बच्चों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी।
उम्मे हबीबा, प्रभारी अधिकारी, आईसीटी, रमसा, बूंदी
Published on:
23 Apr 2018 12:57 pm
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