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मनरेगा से मोह भंग, प्रदेश में मात्र तीन लाख श्रमिक ही कर रहे कार्य

प्रदेश में चल रहे मनरेगा कार्यों में श्रमिकों की संख्या घट गई है। इसका प्रमुख कारण मौजूदा समय में श्रमिकों का खेतों में फसलों की कटाई कार्यों में जुटना माना जा रहा है, जिसके चलते श्रमिकों ने मनरेगा से दूरी बना ली है।

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मनरेगा से मोह भंग, प्रदेश में मात्र तीन लाख श्रमिक ही कर रहे कार्य

कार्य करते श्रमिक

बूंदी. प्रदेश में चल रहे मनरेगा कार्यों में श्रमिकों की संख्या घट गई है। इसका प्रमुख कारण मौजूदा समय में श्रमिकों का खेतों में फसलों की कटाई कार्यों में जुटना माना जा रहा है, जिसके चलते श्रमिकों ने मनरेगा से दूरी बना ली है। आलम यह बना हुआ है प्रदेश की 11 हजार 309 ग्राम पंचायतों में से 8 हजार 154 ग्राम पंचायतों में सिर्फ 3 लाख 21 हजार 96 श्रमिक 75 हजार 205 कार्यों में काम रहे है। जबकि इन कार्यों पर 92 हजार 436 मस्टरोल चल रही है। आकंडे के अनुसार प्रदेश में 1 करोड़ 18 लाख 17 हजार 463 के आसपास जॉब कार्ड है। इसमें 47 लाख 8 हजार 247 श्रमिक रजिस्टर्ड है, जिसमें करीब 2 करोड़ 33 लाख 50 हजार 940 श्रमिक है। हालांकि मनरेगा में श्रमिकों के घटने का प्रमुख कारण कोरोना काल के बाद शहरी इलाकों में रोजगार के अवसर बढऩा है, जिससे मजदूर वापस शहरों में पलायन कर गए। प्रदेश में सबसे ज्यादा श्रमिक जैसलमेर में 25 हजार 613 श्रमिक कार्य कर रहे है तो वहीं सबसे कम भतरपुर जिले में सिर्फ 2265 ही है।

प्रदेश के जिलों के हाल
प्रदेश में जैसलमेर के बाद सबसे ज्यादा श्रमिकों के मामले में दूसरें नंबर पर राजसमंद में 25,532, तीसरे नंबर पर उदयपुर में 20,919, चौथे नंबर पर हनुमानगढ़ में 20,603, पांचवे नंबर पर झालावाड़ में 18,205 व छठे नंबर बाड़मेर 16,884 श्रमिक काम रहे है। वहीं सबसे कम श्रमिकों मामले में दौसा जिले में 2734, बूंदी में 2864, धौलपुर में 3022 व सीकर जिले में 4301 श्रमिक ही कार्य कर रहे है।

अब भी 33 जिलों में चल रही मनरेगा
प्रदेश में 41 जिले हुए करीब डेढ़ साल के आसपास समय हो गया है, लेकिन अभी तक भी मनरेगा के कार्यों की 33 जिलों में प्रगति दर्शा रखी है। यानि 8 बने नए जिलों में अब तक मनरेगा के कार्य शुरू भी नहीं हो पाए है। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि मुख्यालय स्तर से नए जिलों का डेटा फीड नहीं हो पाया है।

जिले में मात्र 110 ग्राम पंचायत में चल रहा कार्य
जिले में मनरेगा के आंकड़ों पर नजर डाले तो कार्यों की गति बड़े ही धीमे स्तर पर देखी जा रही है। हालांकि कार्य बंद नहीं हुए है। कई ग्राम पंचायतों में कार्य बदस्तूर जारी है। जिले में 184 ग्राम पंचायतों में से महज 110 ग्राम पंचायतों में ही मनरेगा कार्य चल रहा है। अन्य 74 ग्राम पंचायतों में श्रमिकों के नहीं मिलने से मनरेगा कार्य प्रभावित हैं। मनरेगा में कार्य के लिए मस्टरोल तो जारी कराए जा रहे, लेकिन श्रमिक काम करने में रूचि नहीं दिखा रहे है। ऐसे में जिले के हर ब्लॉक में श्रमिकों की संख्या में कमी आई है। वहीं प्रदेश की 3155 में श्रमिकों के नहीं मिलने से मनरेगा कार्य प्रभावित है।

इस समय श्रमिक खेतों के कार्यों में लगे हुए है। बारिश होने से कई मनरेगा स्थानों में पानी भरा होने से भी अभी श्रमिक कम आ रहे है।
रवि वर्मा,मुख्य कार्यकारी अधिकारी,जिला परिषद,बूंदी