चंबल के किनारे पग-पग पर पौराणिक धरोहर है। उनका संरक्षण नहीं होने से चबल का सौंदर्यकरण बिगड़ा हुआ है। चंबल नदी किनारे पर्यटन को बढ़ाने देने के लिए छतरियों का निर्माण करवाया था, लेकिन वह चंबल नदी के पानी के बहाव को नहीं झेल पाई। पचास लाख की लागत से बनाई छतरियों की जांच तक नहीं हो पाई। बुर्ज एक तरह से मंदिर की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो भी अब जर्जर होने लग गई। लोगों ने देवस्थान विभाग से बुर्ज की मरमत करवाने की मांग की है। चंबल नदी किनारे संरक्षण के अभाव में पौराणिक धरोहर व चबूतरों पर उकेर रखी कलाकृतियों को बचाने की दरकार है। मंदिर का शिखर भी जर्जर हो चुका है।
धार्मिक नगरी में तीर्थ यात्रियों के ठहराव के लिए सुविधाएं नहीं होने से यहां श्रद्धालुओं का ठहराव नहीं हो पा रहा है। केशव मंदिर के सहारे चंबल नदी जाने वाले रास्ते पर स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के भवन को अब यात्रियों के लिए धर्मशाला में बदलने की मांग उठती जा रही है। पार्षद राजेश सैनी, राम सिंह गुर्जर ने बताया कि यहां पर श्रद्धालु आते हैं, लेकिन उनके ठहरने की व्यवस्था नहीं होने से परेशानी उठानी पड़ती है। प्रशासन पुराने विद्यालय को ठीक करवा कर इसे धर्मशाला का स्वरूप दे दे तो यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था हो सकती है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए शहर में रात्रि ठहराव की व्यवस्था नहीं होने से यहां आने वाले यात्रियों को शहर छोड़ कर रात रूकने के लिए कोटा जाना पड़ता है।