
बूंदी. ‘छोटीकाशी’ के नाम से विख्यात बूंदी शहर की गलियों पर बने चित्रों की डोक्यूमेंट्री बुक तैयार होगी। इसके बनने से देश ही नहीं बल्कि विदेशों में लोगों को बूंदी की गलियों की बारे में जानने का मौका मिलेगा। परकोटे के भीतरी शहर की गलियों में झांकते झरोखे, घोखड़े, ढ्योड़ी, मेहराब यहां की विशेषता है। जो बदलते वक्त के साथ अब धीरे-धीरे अतीत होता जा है। बूंदी जिला प्रशासन की ओर से इस निर्णय से इन अतीत होती गलियों और इनकी खूबसूरती को संजोकर रखा जा सकेगा।
इस मामले में जिला कलक्टर शिवांगी स्वर्णकार ने बताया कि डोक्यूमेंट्री बुक तैयार करने के पर्यटन विभाग को निर्देश दिए हैं। इससे देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी लोगों को हमारे शहर की गलियों के बारे में बारे में जानने और देखने का मौका मिलेगा।
पर्यटन विभाग को जिम्मा
डोक्यूमेंट्री बुक बनाने का जिम्मा पर्यटन विभाग को सौंपा गया है। इसकी विस्तृत रिपोर्ट सहायक पर्यटन अधिकारी प्रेमशंकर सैनी तैयार करेंगे। अतिरिक्त जिला कलक्टर ममता तिवाड़ी ने बताया कि यह काम बूंदी के लिए अनूठी पहल साबित होगा। तेजी से बदलते वक्त में आने वाली पीढ़ी के लिए यह एक इतिहास के रूप में साबित होगी।
‘पत्रिका’ बनी माध्यम
बूंदी में हाल ही राजस्थान पत्रिका की ओर से चित्र प्रदर्शनी सजाई गई। इस प्रदर्शनी में बूंदी के चित्रकार सुनील जांगिड़ के तैयार किए चित्रों को प्रदर्शित किया गया। इन्हें देखने के बाद जिला कलक्टर ने यह निर्णय किया है। उन्होंने बताया कि बूंदी एक खूबसूरत शहर है। लोग इसे देखने के लिए देश-विदेश से यहां आते हैं। यहां की खूबसूरती को देखने जो लोग यहां नहीं पहुंच पाते उन तक पहुंचाने में यह डोक्यूमेंट्री कारगार साबित होगी।
हाड़ौती की जन्मस्थली का गौरव प्राप्त
राजस्थान के दक्षिण पूर्व में स्थित बूंदी इतिहास में प्रेम, बलिदान, शौर्य व त्याग की कहानियां समेटे हुए ऐतिहासिक स्मारकों, सांस्कृतिक समृद्धि और पुरातत्व के वैभव से सरोबार है। कुंड-बावडिय़ों की इस ऐतिहासिक नगरी को ‘सिटी ऑफ वेल’ भी कहा जाता है। मंदिरों, युद्ध प्राचीरों, हवेलियों, झरोखों और साम्प्रदायिक सद्भावना एवं धार्मिक सामंजस्य के बूंदी नगर को हाड़ौती की जन्मस्थली होने का गौरव भी प्राप्त है।
Published on:
08 Apr 2018 01:05 pm
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