चाइल्ड हेल्प लाइन यूनिट टीम प्रभारी रामनारायण गुर्जर ने बताया कि चाइल्ड हेल्प लाइन के टोल फ्री नंबर 1098 पर बच्चों से मारपीट करने, उनके द्वारा कार्य करवाने आदि शिकायत मिली थी, जिससे उच्चाधिकारियों को अवगत कराया। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर टीम ने मौके पर जांच की और हॉस्टल संचालक ओर बच्चों से बातचीत की गई। हॉस्टल संचालक से मान्यता और रजिस्ट्रेशन के बारे में पूछा तो दोनों ही नहीं मिले। बालिकाओं की देखरेख के लिए महिला कार्मिक भी नहीं है। बच्चों का रजिस्टर में रिेकॉर्ड नहीं मिला।
बालक और बालिकाएं रात्रि विश्राम भी सम्मिलित ही करते है। जांच में ये सब खामियां सामने आई। टीम प्रभारी ने बालिकाओं को शीघ्र घर भेजने के निर्देश दिए। उन्होंने जांच रिपोर्ट पेश कर उच्चाधिकारियों के निर्देश पर आगे की कार्रवाई करने की बात कही है। उधर, हॉस्टल संचालक दुर्गाशंकर गुर्जर ने बताया कि वह पिछले चार वर्ष से अभिभावकों की सहमति से कक्षा एक से आठवीं के बच्चों को नवोदय विद्यालय और सैनिक स्कूल में प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवा रहा है।
दो वर्ष से कस्बे के बाहर के बच्चों को प्रतिदिन आने जाने में परेशानी के चलते अभिभावकों की सहमति से बच्चों को हॉस्टल में रखकर पढ़ाई करवा रहा है। शिकायत के बारे में बताया कि कुछ बच्चों की फीस बाकी थी। फीस मांगने पर कुछ लोगों ने शिकायत की है। जबकि अन्य किसी को कोई शिकायत नहीं है। चाइल्ड हेल्प लाइन टीम में मानव तस्करी यूनिट के कांस्टेबल संजय कुमार, काउंसलर प्रीता शर्मा, सुपरवाइजर रवि कुमार प्रजापत, केश वर्कर अर्चना मीना आदि सम्मिलित थे।