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जागरूकता कार्यक्रम में दी प्राकृतिक खेती की जानकारी

कृषि विज्ञान केन्द्र श्योपुरिया बावड़ी पर प्राकृतिक खेती पर जागरूकता कार्यक्रम सम्पन्न हुआ, जिसमें राजस्थान के 12 जिलों के 56 प्रगतिशील कृषक एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया।

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जागरूकता कार्यक्रम में दी प्राकृतिक खेती की जानकारी

बूंदी. प्राकृतिक खेती पर जागरूकता कार्यक्रम को सम्बोधित करते वक्ता।

बूंदी. कृषि विज्ञान केन्द्र श्योपुरिया बावड़ी पर प्राकृतिक खेती पर जागरूकता कार्यक्रम सम्पन्न हुआ, जिसमें राजस्थान के 12 जिलों के 56 प्रगतिशील कृषक एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया।
नोडल अधिकारी प्राकृतिक खेती डॉ. घनश्याम मीना ने कृषकों को प्राकृतिक खेती इकाई, वर्मी कंपोस्ट इकाई, डेयरी इकाई, अजोला इकाई, नेपियर एवं बकरी पालन प्रदर्शन इकाइयों का भ्रमण कराया। डॉ. मीणा ने प्रशिक्षण के दौरान बताया कि आजकल खेती में रसायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों एवं खरपतवार नाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से किसानों की मिट्टी जहरीली हो गई है, जिसका दुष्प्रभाव मनुष्यों पर एवं पशु-पक्षियों पर दिखने लगा है।

अभी मनुष्यों में कम उम्र में उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप, मधुमेह, कैंसर और ह²यघात तथा पशुओं में बांझपन एवं बच्चेदानी बाहर निकलना, गर्भ न ठहरना इत्यादि बहुत अधिक समस्याएं आने लगी है। इन सबसे बचने का उपाय प्राकृतिक खेती है। उन्होंने प्राकृतिक खेती में कीट प्रबन्धन की विभिन्न तकनीकों की जानकारी दी । डॉ. घनश्याम मीना ने किसानों को प्रशिक्षण के दौरान प्राकृतिक खेती की आवश्यकता, प्राकृतिक खेती के लाभ, प्राकृतिक खेती में पोषक तत्व प्रबन्धन, कीट एवं व्याधि नियंत्रण के विभिन्न तरीकों के बारे में बताया।

बीजोपचार के लिए बीजामृत बनाना एवं इसके उपयोग व महत्व तथा पौध संरक्षण के लिए दशपर्णी अर्क बनाना, अग्नि अस्त्र बनाना, सोंठास्त्र बनाना, नीमास्त्र बनाना एवं रोग नियंत्रण के लिए कण्डे पानी का उपयोग एवं खट्टी छाछ की उपयोगिता के बारे में विस्तार से बताया। केन्द्र की उद्यान वैज्ञानिक इंदिरा यादव ने नर्सरी का भ्रमण कराकर पौधों का महत्व एवं बगीचे स्थापना के बारे में बताया।