बूंदी शहर से भीमलत महादेव व बसोली क्षेत्र के 634 वर्ग किलोमीटर का जंगल बूंदी वन मंडल उपवन संरक्षक के अधीन आता है। यह टाइगर रिजर्व का महत्वपूर्ण जैवविविधता वाला क्षेत्र है। रामगढ़ विषधारी वन्य जीव अभयारण्य व चम्बल घडिय़ाल अभयारण्य कोर क्षेत्र में शामिल है, जो उपवन संरक्षक कोर के अधीन है। इसके साथ ही भीमलत, भीलवाड़ा जिले के बांका भोपातपुरा व जैतपुर से कमलेश्वर महादेव तक का बफर क्षेत्र भी उपवन संरक्षक कोर के अंतर्गत शामिल किए गए हैं।
कोर डीएफ ओ के अधीन शामिल वन क्षेत्रों को बाघों के अनुकूल वातावरण बनाने के कार्य चल रहे है, लेकिन बूंदी व भीमलत के बीच का महत्वपूर्ण कालदां वन क्षेत्र में ग्रासलैंड विकसित करने, ट्रेक आदि निर्माण के कार्यों धीमी गति से है। दो उपवन संरक्षक के अधीन आने से पूरे 1501 वर्ग किलोमीटर के टाइगर रिजर्व क्षेत्र को बाघों के अनुकूल बनाने का काम बाधित हो रहा है। टाइगर रिजर्व के लिए महत्वपूर्ण फील्ड डायरेक्टर का पद भी बूंदी के बजाय कोटा में होने से निगरानी सही नहीं हो पाती है।
जिले के वन्यजीव प्रेमी पूर्व में भी सम्पूर्ण टाइगर रिजर्व का दायित्व एक उपवन संरक्षक को देने तथा फील्ड डाइरेक्टर का पद बूंदी में सृजित करने की मांग कर चुके है, लेकिन अभी तक उस पर अमल नहीं हुआ है। कांलदा वन क्षेत्र दुर्गम पहाड़ी इलाका होने व पानी की उपलब्धता के चलते बाघ-बाघिन के लिए बेहतर जंगल है, जिसे विकसित करने की आवश्यकता है।
भवन बना, लेकिन स्टॉफ नहीं
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बफर जोन में बसोली और भोपातपुरा में दो नए रेंज ऑफिस स्वीकृत हुए थे। भोपातपुरा रेंज उपवन संरक्षक कोर के अधीन आता है। इसका भवन बनकर तैयार है तथा रेंजर सहित सम्पूर्ण स्टाफ भी लग गया है। वहीं वन मंडल बूंदी के अधीन आने वाले बफर जोन में स्वीकृत बसोली का रेंज भवन बनकर एक साल से वीरान पड़ा है, परन्तु यहां अभी तक स्टाफ की नियुक्ति नहीं हो पाई है। इस रेंज ऑफिस के क्षेत्र में बसोली, डाटूंडा व खीन्या के सघन जंगल शामिल है, जिसमें कालदां वन क्षेत्र भी आता है। इसी सप्ताह बसोली रेंज में संदिग्ध परिस्थितियों में पैंथर मृत मिला। रेंज ऑफिस में स्टाफ की नियुक्ति नहीं होने से पूरे जंगल की सुरक्षा हिण्डोली रेंज के अधीन करनी पड़ती है।
एक वर्ष में खोए आधा दर्जन पैंथर
एक ओर जहां वन विभाग टाइगर रिजर्व में चार नए बाघ-बाघिन लाने की तैयारी कर रहा है, वहीं दूसरी ओर पहले से यहां रह रहे बघेरों की सुरक्षा की कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है। गत वर्ष टाइगर रिजर्व के बफ र जोन के बसोली रोड पर 11 दिसम्बर को एक पैंथर अज्ञात वाहन की टक्कर से मारा गया। बफर क्षेत्र के ही डाबी क्षेत्र में 13 दिसंबर को चार पैंथर जंगल से गुजर रहे विद्युत लाइन का तार टूटने से मर गए। बफर क्षेत्र में ही भीमलत के निकट रेलवे लाइन पर भी एक पैंथर की मौत हो गई थी।
अभी है पांच बाघ-बाघिन
रामगढ विषधारी टाइगर रिजर्व में वर्तमान में दो मादा और एक नर बाघ है। इसके अलावा उनके दो शावक भी है। पूर्व में यहां तीन शावक नजर आए थे, लेकिन एक साल से बाघिन आरवीटी 2 के दो ही शावक नजर आ रहे है। बाघिन आरवीटी 3 के भी गत मार्च में मां बनने की चर्चा थी, लेकिन उसके शावक कहां गए। यह जानकारी नहीं है। इसी तरह विभाग के पास बफर जोन में पैंथर की वास्तविक संख्या की भी जानकारी नहीं है।
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व क्षेत्र की अधिसूचना जारी होने के साथ ही बसोली रेंज मंडल का गठन किया गया था। कार्यालय भवन बन चुका है, लेकिन अब तक स्टाफ के लिए आदेश जारी नहीं हुआ है। वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए विभाग पूरी तरह तत्पर है।
वीरेन्द्र कृष्णियां, जिला वन अधिकारी बूंदी
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बफ र क्षेत्र के जंगल जैव विविधता के लिहाज से बहुत अच्छे व समृद्ध है। भोपातपुरा रेंज में स्टाफ की नियुक्ति के साथ ही ग्रासलैंड विकसित करने के काम चल रहे है। टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में स्टाफ की कमी है, जिसके लिए उच्चाधिकारियों को अवगत करवा दिया है।
संजीव शर्मा, उपवन संरक्षक एवं उप क्षेत्र निदेशक रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व कोर, बूंदी