
गुढ़ानाथावतान क्षेत्र के भीमलत बांध पर चलती चादर (फोटो: पत्रिका)
Bundi Weather News: रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बफर जोन भीमलत, बाण गंगा, भाला कुई और सीता कुंड के सघन जंगल में हुई मानसून की पहली भारी बरसात से भीमलत बांध जून माह में ही छलक गया है। 1958 में बांध बनने के बाद यह पहला मौका है जब बांध जून माह में ही लबालब हो गया। यानी 66 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। मानसून आने तक खाली पड़े बांध पर बुधवार सुबह एक इंच की चादर चलने लगी थी। दूसरी तरफ बूंदी जिले के मैदानी इलाकों में सामान्य बरसात हुई है। जानकारी के बूंदी व भीलवाड़ा जिले की सीमा पर भीमलत बांध का निर्माण 1958 में आर्च बनाकर बाणगंगा नदी पर हुआ था।
बांध के निर्माण में 4 लाख 58 हजार रुपए खर्च हुए थे। बांध की डाउन स्ट्रीम में यह नदी उपरमाल के पठार से हाड़ौती के मैदान में गिरती है, जहां भीमलत जलप्रपात है। यहां शिवलिंग पर सदियों से अनवरत जलधारा जलाभिषेक करती है। बांध का पानी जलप्रपात व भीमलत वैली में होते हुए 1965 में बने सहायक अभयपुरा बांध में पहुंचता है जहां से नहरों के द्वारा सिंचाई होती है। अभयपुरा बांध में भी भीमलत बांध के छलकने से निरंतर पानी की आवक हो रही है तथा लबालब हो गया है।
इस साल मानसून का आगाज जंगलों में भारी बारिश से हुआ है, वहीं जहां पेड़ पौधे कम व मैदानी क्षेत्र है वहां सामान्य बरसात हुई है। गौरतलब है कि भीलवाड़ा व बूंदी जिले के जंगलों को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिलने के बाद जंगलों की सुरक्षा बढ़ी है, जिससे हरियाली भी बढ़ी है। जंगल में हरियाली से भारी बारिश हुई जो पेड़ पौधों का महत्व बताती है। पौधों के प्रति लोगों की जागरूकता भी बढ़ी है जिसका परिणाम आने वाले समय में अच्छी बरसात के रूप में दिखाई देगा।
क्षेत्र में हुई अच्छी बरसात से गरड़दा बांध का जलस्तर भी लगातार बढ़ रहा है, लेकिन बांध से पानी की निकासी की जा रही है। बांध से पानी निकलना गर्मियों से ही जारी है, जिसे अभी तक बंद नहीं किया गया है। विभागीय अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जल्दी ही बांध से जल निकासी बंद की जाएगी। बुधवार सुबह तक बांध का जलस्तर 11.5 मीटर पर था।
Published on:
26 Jun 2025 11:38 am
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