
राजकीय महाविद्यालय,बूंदी
बूंदी. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अन्तर्गत सभी उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता सुधार की दिशा में नैक एवं एनआईआरएफ रैकिंग पर जोर दिया जा रहा है। अब नैक (एनएएसी) यानी राष्ट्रीय मूल्यांकन प्रत्यायन (प्रमाणन) परिषद ने अपने ग्रेडिंग सिस्टम में बदलाव किया है। नैक की नई बाइनरी मान्यता प्रणाली वैश्विक स्तर सभी संस्थानों को प्रक्रिया में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करेगी। इससे प्रतिस्पर्धा और गुणवत्ता बढ़ेगी।
साथ ही अब इस नई व्यवस्था में कुल सात के स्थान पर दस मापदण्ड निर्धारित किए है। यानि निरीक्षण प्रणाली को खत्म कर दिया गया है। नैक मान्यता संस्थान की शिक्षा, शोध, संकाय,बुनियादी ढ़ाचे आदि के संदर्भ में उसकी गुणवता की पहचान करती है। देखने में आया है कि उच्च शिक्षा में प्रवेश के लिए संस्थानों की गुणवत्ता को परख पाना अभिभावकों और छात्रों के लिए बहुत कठिन होता है। इसमें उच्च शिक्षण संस्थान को नैक की तरफ से जारी ग्रेडिंग काफी मदद करती है। अब तक संस्थानों के ए,बी,सी और फिर उसमें ए जैसे ग्रेड दिए जाते थे। इसे समझना भी पहेली था।
विश्वविद्यालय,स्वायत संस्थाओं एवं संबद्धता प्राप्त महाविद्यालयों के लिए अलग-अलग मापदण्ड निर्धारित किए गए है। बाइनरी मान्यता प्रणाली में संस्थानों द्वारा जमा कराए जाने वाले दस्तावेजों के आधार पर ही एसेसेंट किया जाएगा। यह एसेसमेंट 25 प्रतिशत इनपुट डाटा तथा 75 प्रतिशत आउटकम के आधार पर एक्रिडिटेट या नॉन एक्रिडिटेट होगा। यह मान्यता तीन वर्षों के लिए होगी। इसमें संस्थानों के गलत जानकारी देने पर जुर्माने का भी प्रावधान किया है।
सुधार के लिए बनाई कमेटी
2020 में जब नेशनल एजुकेशन पॉलिसी प्रपोज की गई थी,तभी नैक में भी बदलाव की कवायद शुरू हुई थी। नैक सिस्टम में सुधार के लिए एक कमेटी बनाई गई। कमेटी की कमान इसरो के पूर्व अध्यक्ष के.राधाकृष्णन के पास थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी थी। कमेटी के सुझाए गए बिंदु भी स्वीकार कर लिए गए। इसीलिए हाल ही में नैक रिफॉर्म 2024 के एनाउसमेंट का एक नोटिफेशन जारी किया गया था।
पहले ग्रेडिंग सिस्टम ऐसे होता था
पुराने ग्रेडिंग सिस्टम में संस्थान द्वारा सात क्राइटेरिया से संबंधित दस्तावेजों को पोर्टल पर अपलोड करना होता था जिसमें कुल अंकों का 70 फीसदी अंकन किया जाता था। शेष 30 फीसदी के अंकन के लिए पीयर टीम द्वारा निरीक्षण कर ग्रेडिंग जारी की जाती थी।
लेवल 5 होगा टॉप पर
एक्रिडिएटेशन के प्रश्चात सुधारों का द्वितीय चरण परिपक्वता आधारित ग्रेडेड प्रत्यायन प्रणाली होगी, जिसमें नैक द्वारा निरीक्षण कर संस्थान को लेवल प्रदान किया जाएगा। लेवल-5 वाले संस्थान अंतरराष्ट्रीय स्तर के होंगे और लेवल-1 वाले सबसे निचले दर्जे के। मान्यता प्राप्त संस्थान राष्ट्रीय उत्कृष्टता के संस्थानों के रूप में लेवल 1 से लेवल-4 तक और फिर लेवल-5 यानी अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थानों तक अपना स्तर बढ़ा सकते हैं।
नैक के नए आवेदन नए सिस्टम के अनुसार
जिन कॉलेजों की नैक मान्यता खत्म चुकी है या पहली बार नैक मान्यता के लिए पात्र हुए है वह 1 जनवरी 2025 से नई व्यवस्था में आवेदन कर सकते हैं। यूजीसी के मुताबिक सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए नेक की मान्यता आवश्यक है। अगले 5 वर्षों में 90 प्रतिशत उच्च शिक्षण संस्थाओं की नेक मान्यता किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। मेटरिंग और हैंडहोल्डिंग के माध्यम से ग्रामीण और दूर-दराज के स्थानों पर स्थित संस्थानों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
इनका कहना है
नैक द्वारा ग्रेडिंग प्रणाली समाप्त कर बाइनरी मान्यता प्रणाली लागू की जा रही है। इन नए रिफॉर्म्स द्वारा अधिकाधिक संस्थानों की गुणवत्ता जांच एवं सुधार की दिशा में प्रयास किए जा रहे है, जिसके अन्तर्गत संबद्धता प्राप्त महाविद्यालयों में इंडियन नॉलेज सिस्टम,फैकल्टी व विद्यार्थी अनुपात, इन्फ्रास्ट्रचर, इंटर्नशिप, ऑनलाइन व ब्लेन्डेड लर्निंग रिसोर्सेज,वोकशनल व स्किल कोर्सेज सहित मूल्य आधारित शिक्षा, खेलों एवं गुणवत्ता आश्वासन पर भी प्रमाणिक दस्तावेज सहित अंकन का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।
डॉ.दिलीप कुमार राठौड, सह-आचार्य व एसएलक्यूएसी असेसर,राजकीय महाविद्यालय,बूंदी
Published on:
30 Jul 2024 06:12 pm
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