रोडवेज की बसों से प्रतिदिन हजारों लोग यात्रा करते है। बूंदी बस स्टैण्ड पर बड़ी संख्या में कर्मचारी चढ़ते और उतरते है। पीक टाइम में खासी भीड़ रहती है। इसका फायदा जेबकतरें उठाते है। अधिकांश जेब तराशी के मामले पुलिस तक पहुंच ही नहीं पाते।
बूंदी निवासी प्रदीप कुमार पांच नवंबर को अपनी बुआ को छोड़ने बस स्टैंड गया था। बस में बुआ को बैठाने के दौरान उसकी जेब कट गई। बस स्टैंड पर पता नहीं चला। घर पर आकर पैसे निकालने लगा तो जेब कटी हुई मिली। जेब में 15 हजार रुपए रखे हुए थे।
बूंदी के विकास नगर निवासी अभिषेक जैन की जेब में भी कट लगाकर पर्स पार कर लिया। जैन 14 नवंबर को बूंदी से देवली के लिए बस में बैठे थे। रास्ते में परिचालक ने टिकिट के पैसे मांगे। जैन ने जैसे जेब में हाथ डाला तो जेब में पर्स नहीं मिला और जेब पर कटा लगा हुआ था। यह देख होश उड़ गए। किसी अन्य व्यक्ति से पैसे मांगकर टिकिट लिया। बूंदी आने के बाद थाने में रिपोर्ट दी। अब तक पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।
कोटा निवासी शिखा पिछले महीने बूंदी से कोटा जा रही थी। हाथ में पर्स था। इसमें पांच हजार रुपए नकद, अंगूठी व कुछ जरुरी सामान रखे हुए थे। टिकिट के पैसे देने लगी तो पर्स में कट लगा हुआ नजर आया। उसमें रखी नकदी गायब मिली। पीडि़त महिला ने ऑनलाइन रिपोर्ट भी दी, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
सुनीता जैन, मुख्य प्रबंधक बूंदी डिपो
उमा शर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक,बूंदी