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भीलवाड़ा और बूंदी के जंगल बनेंगे भेड़ियों व गिद्धों की शरणस्थली

रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के अस्तित्व में आने के साथ ही जिले में बाघों के साथ दुर्लभ एवं लुप्त होते वन्यजीवों के संरक्षण की योजना पर भी अब काम शुरू हो गया है।

बूंदीDec 02, 2024 / 06:53 pm

पंकज जोशी

भीलवाड़ा और बूंदी के जंगल बनेंगे भेड़ियों व गिद्धों की शरणस्थली

गुढ़ानाथावतान क्षेत्र में रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बफर जोन भीमलत जंगल में ग्रासलैंड विकसित करने के लिए सुरक्षा दीवार बनाते मजदूर।

बूंदी.गुढ़ानाथावतान. रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के अस्तित्व में आने के साथ ही जिले में बाघों के साथ दुर्लभ एवं लुप्त होते वन्यजीवों के संरक्षण की योजना पर भी अब काम शुरू हो गया है। वन विभाग ने टाइगर रिजर्व के जैवविविधता से समृद्ध भीमलत व बांका भोपतपुरा के बफर क्षेत्र में गिद्ध व भेड़िया संरक्षण की योजना के काम हाथ में लिए है। इसके लिए भीलवाड़ा व बूंदी जिले की 800 हेक्टेयर वन क्षेत्र को भेड़ियों व गिद्धों के संरक्षण क्षेत्र के रूप में चिह्नित कर काम शुरू कर दिये हैं।
योजना के तहत टाइगर रिजर्व क्षेत्र की भोपातपुरा रेंज में भीलवाड़ा जिले के बांका, भोपातपुरा, जलिन्द्री, सुंठी, भड़क्या माताजी का नाला, सीताकुंड तथा बूंदी जिले के भीमलत व मुंदेड़ वन खंड को इनके संरक्षण के लिए सबसे अच्छे जंगल माना गया है। यहां पर भीमलत की प्राकृतिक वादियां, बाणगंगा नदी के पास भाला का जंगल, भोपतपुरा के पास भड़क्या माताजी का जंगल व गरड़दा व अभयपुरा बांधो के बीच मुंदेड़ का पठार भेड़ियों व गिद्धों के संरक्षण स्थल के रूप में विकसित होंगे।
जल्दी ही इस क्षेत्र में भीमलत टाइगर सफारी भी शुरू होने की संभावना है, जिससे यहां आने वाले पर्यटक बाघों के साथ साथ भेड़ियों व गिद्धों का भी दीदार कर सकेंगे। विभाग ने इस महत्वपूर्ण वन्यजीव संरक्षण की योजना पर कार्य शुरू कर दिया है, जिसमें ग्रासलैंड के साथ साथ वन्यजीवों की संया बढ़ाने के लिए कई कार्य किए जाएंगे।
जंगल में लगेंगे सोलर पैनल
योजना के तहत चिह्नित जंगलों में करीब 800 हेक्टेयर के पठारी भूभाग में ग्रास के मैदान विकसित करने के लिए प्रयास किए जाएंगे। वन्यजीवों की पेयजल व्यवस्था के लिए जंगल में सोलर पैनल लगाकर नलकूपों से पानी की आपूर्ति की जाएगी। इसी तरह विलायती बबूलों व लेंटाना को हटाकर ग्रासलैंड विकसित करने की योजना पर भी काम शुरू हो गया है।
काले हरिणों को बसाने की योजना
बूंदी व भीलवाड़ा जिले की सीमा पर 20 वां मील से भीमलत लव कुश वाटिका तक 600 बीघा के जंगलों को सिल्वी पाश्चर ग्रासलैंड के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस ग्रासलैंड को शाकाहारी वन्यजीवों के अनुकूल बनाया जा रहा है जहां भविष्य में काले हरिणों को लाने की भी योजना है। वर्तमान में इन जंगलों में पैंथर, चिंकारा, भेड़िए, सियार, लोमड़ी, अजगर, नीलगाय, सेही, गिद्ध व भालुओं की मौजूदगी दर्ज की गई है।
संकटग्रस्त प्रजाति है भेड़िये व गिद्ध
देश में भेड़ियों की आबादी अति संकटग्रस्त श्रेणी में शामिल है। वर्तमान में पूरे देश में करीब तीन हजार से भी कम भेड़िए बचे है जो चिन्ता का विषय है। बूंदी जिले में भी मात्र 8-10 भेड़िए ही नजर आए है। इसी तरह गिद्ध भी तेजी से कम होते जा रहे हैं, जिससे पर्यावरण संरक्षण से जुड़े लोगों की चिंता बढ़ गई है। बूंदी में बनने वाला गिद्ध एवं भेड़िया संरक्षित क्षेत्र क्षेत्रफल की दृष्टि से काफी बड़ा होगा। यहां की भौगोलिक स्थिति व जैवविविधता भी गिद्धों व भेड़ियों के अनुकूल है।

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