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कई दिनों से छका रही बाघिन आठ दिन बाद हुई ट्रैंकुलाइज

पिछले सात दिनों से पेंच टाइगर रिजर्व जंगल में आंख मिचौली खेल रही बाघिन को आखिरकार वनकर्मियों ने शुक्रवार को ट्रैंकुलाइज कर लिया है। बाघिन को अब रामगढ़ विषधारी लाया जाएगा।

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कई दिनों से छका रही बाघिन आठ दिन बाद हुई ट्रैंकुलाइज

ट्रैंकुलाइज करते हुए।

बूंदी. पिछले सात दिनों से पेंच टाइगर रिजर्व जंगल में आंख मिचौली खेल रही बाघिन को आखिरकार वनकर्मियों ने शुक्रवार को ट्रैंकुलाइज कर लिया है। बाघिन को अब रामगढ़ विषधारी लाया जाएगा। पेंच टाइगर रिजर्व के रूखड़ क्षेत्र में शुक्रवार सुबह एआई कैमरा ट्रैप सिस्टम से प्राप्त मूवमेंट की जानकारी के आधार पर क्षेत्रीय टीमों ने संभावित स्थान पर बाघिन की तलाश शुरू की। हाथी दस्तों का उपयोग करते हुए बाघिन का पता लगाया गया और उसकी पहचान की पुष्टि की गई। इसके बाद बाघिन को डॉ. अखिलेश मिश्रा के नेतृत्व में पशु चिकित्सा टीम ने बेहोश [ट्रेंकुलाइज] किया गया। इसके बाद स्थापित वन्यजीव प्रोटोकॉल के तहत प्रशिक्षित विशेषज्ञों ने उसे रेडियो कॉलर पहनाया गया। इसके बाद बाघिन को सावधानीपूर्वक पुन: होश में लाया गया और उसे फिर से जंगल में विचरण के लिए छोड़ दिया गया। इस प्रक्रिया के बाद बाघिन की गति, व्यवहार और समग्र स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए अगले कुछ दिनों तक उसकी गहन निगरानी की जाएगी। सब कुछ ठीक ठाक रहा तो फिर रामगढ़ विषधारी लाया जाएगा। अंतरराज्यीय बाघ स्थानांतरण अभियान [इंटरस्टेट टाइगर ट्रांसलोकेशन के तहत गत 28 नवंबर से टीमें जंगल में बाघिन को पकडऩे के लिए जुटी हुई थी।

आधे घंटे एक ही जगह पर बैठी रही
पेंच टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर रजनीश ङ्क्षसह ने बताया कि पेंच टाइगर रिजर्व से रामगढ़ विषधारी रिजर्व के मध्य चल रही अंतरराज्यीय बाघ स्थानांतरण की कार्यवाही में शुक्रवार को सफलता मिली है। इससे पहले पिछले सात दिनों से सर्चिंग टीम को बाघिन लगातार चकमा देकर इधर उधर छिप रही थी। जिससे प्रथम चरण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही थी। करीब आधे घंटे बाघिन एक ही जगह बैठी रहती। जब तक सर्चिंग टीम के सभी सदस्य मौके पर पहुंचते, तब तक बाघिन ने मूवमेंट देखते हुए अपनी जगह बदल दी और घने जंगलों में जाकर छिप गई।

बदलाव से मिली सफलता
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार राजस्थान व मध्य प्रदेश के वन विभाग के अधिकारी सहित 50 से ज्यादा लोगों की टीम पेंच टाइगर रिजर्व में चयनित बाघिन की तलाश कर रही थी। चालाक बाघिन लगातार अपने आसपास इंसानों को देखकर जगह बदल रही थी। पेंच प्रबंधन ने पांचवें दिन मंगलवार को अभियान में बदलाव किया। इंसानी दखल कम कर बाघिन को पकडऩे की योजना बनाई गई। 60 सदस्यीय टीम में से 25 लोगों को ही तैनात किया गया। मंगलवार को राजस्थान से आया दो सदस्यीय दल बैरंग लौट गया। शुक्रवार को बाघिन को ट्रैप किया गया और प्रारंभिक प्रक्रिया पूरी की गई।

हेलीकॉप्टर या वाहन से पहुंचेगी बाघिन
पेंच टाइगर रिजर्व की टीम बाघिन की लगातार जंगल में निगरानी करेगी। रेडियो कॉलर पहनाने के बाद उसके स्वभाव में परिवर्तन को देखा जाएगा। बाघिन को जंगल में ही विचरण करते समय उसके स्वभाव की मानिटङ्क्षरग की जाएगी। इस काम में तीन से चार दिन का समय लग सकता है। सब कुछ ठीक रहा तो राजस्थान के वन विभाग की टीम को बाघिन को ले जाने के लिए बुलाया जाएगा। इसके बाद बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर हेलीकॉप्टर या फिर वाहन से रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व भेजा जाएगा।

वन्यजीव प्रोटोकॉल के तहत प्रशिक्षित विशेषज्ञों द्वारा बाघिन को रेडियो कॉलर पहना दिया गया है। जंगल में बाघिन की गति, व्यवहार और समग्र स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए अगले कुछ दिनों तक उसकी गहन निगरानी की जाएगी। सब ठीक रहा तो राजस्थान टीम को सूचना दी जाएगी। टीम बाघिन को लेकर जाएगी।
रजनीश सिंह, डिप्टी डायरेक्टर, पेंच टाइगर रिजर्व