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बाल सुरक्षा की खुली पोल, इंतजाम की बात तो दूर पुलिस जवानों ने आयोग की टीम से सीधे मुंह तक नही की बात

न बाल डेस्क बनाई गई न पुलिस के जवानों को इनकी जानकारी

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there is no child desk in the police stations

police stations inspection


बूंदी. तीन दिन पहले बताने के बावजुद राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग की तीन सदस्यीय टीम बुधवार को थानों में हालात जांचने के लिए पहुंचे तो देखकर अचरज में पड़ गए हालात बच्चों के लिए बिलकुल अनुकूल नही थे। न बाल डेस्क बनाई गई न पुलिस के जवानों को इनकी जानकारी थी। पुलिस जवानों का बर्ताव भी आयोग की टीम के साथ बेरूखी सा रहा जिससे नाराज टीम के सदस्यों ने इसकी शिकायत अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को दी है। आयोग की टीम ने कहा कि वे विस्तृत रिपोर्ट राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग को भेजेंगे। तीन सदस्यीय टीम में राज्य बाल आयोग आरटीई प्रभारी एस.पी.सिंह, हेल्थ और पोषण प्रभारी डॉ. सीमा जोशी, पोक्सो प्रभारी उमा रत्नू,शामिल थी।

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बच्चों के उत्पीडऩ और यौन अपराध के मामलों में पुलिस कितनी संजीदा है इसकी पोल बुधवार को राज्य बाल संरक्षण आयोग के तीन सदस्यीय टीम के निरीक्षण में खुली। टीम ने थाना कोतवाल व सदर थाने का निरीक्षण किया। जहां सुप्रीम कोर्ट के आदेशो की अवेहला पाई गई। पीडि़तों की सुनवाई के लिए पुलिस थानों में अलग से बाल डेस्क बनाए जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना जिला पुलिस नहीं कर रही। टीम ने पुलिस थानों में बालकों से संबंधित मामलों की सुनवाई की विशेष व्यवस्था नहीं होने पर नाराजगी जताई। ताज्जुब की बात यह रही है कि जिम्मेदारों को बाल संरक्षण अधिकारों के नियमों की जानकारी भी नही। पुलिस थानों में नियुक्त बाल कल्याण अधिकारी को यह तक नही पता की उनके साथ दो ओर कोनसे सदस्य शामिल है। आयोग के सदस्यों ने मोके पर बाल सरंक्षण अधिकारी को बाल डेस्क बनाने के निर्देश दिए और अलग से बाल रजिस्टर मेंटन करने की बात कही।

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ऐसे मिले जवाब-
बूंदी पुलिस की एक ओर छवि देखने को मिली जब आयोग की टीम कोतवाल थाने पहुंची जहां एसआई अशोक से टीम ने बाल डेस्क सबंधित जानकारी चाही और संतुष्ट जवाब नही देने पर तिलमिला उठे। आयोग की टीम को यह तक कह दिया कि आप आए होगें जहां से भी आए...इसको लेकर आयोग के सदस्य एसपी सिंह ने कहा कि पुलिस जब हम से इस तरह का बर्ताव करती है तो पीडि़तों की क्या सुनवाई करती होगी।

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निरीक्षण की नही जानकारी आपस में ही उलझे अधिकारी-
कोतवाल थाने में बाल कल्याण अधिकारी समजिदा बानो से जब पुछा गया कि तीन दिन पहले निरीक्षण की सुचना देने के बाद भी अपडेट क्यो नही तो बानो ने कोई जानकारी नही होने की बात कही इस पर समाज कल्याण अधिकारी सविता कृष्णैयया ने कहा कि पुलिस अधिक्षक को सुचना दी गई थी इस पर कोतवाल थाने के अन्य पुलिस अधिकारियो ने भी लिखित पत्र पेश किया इसी बीच आपस में पुलिस अधिकारी उलझते नजर आए।

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सदर थाने में भी यही हालात-
टीम के सदस्य जब सदर थाने पहुंचे तो यहा कोई अमरूद खाता मिला तो कोई बतियाते हुए सदस्यों ने जब अपना परिचय दिया उसके बाद भी पुलिस जवानों ने कोई एक्शन नही लिया। बाल कल्याण अधिकारी माया बैरवा भी नही थी बाद में एसएचओ ने आकर टीम को संतुष्ट पूर्ण जवाब दिया ओर बाल डेस्क सहित बाल अधिनियमों की जानकारी थाने में उपलब्ध करवाने की बात कही।

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आंगनबाड़ी के जाने हाल- वजन मशीन ही खराब-
बाल संरक्षण आयोग की टीम ने विकास नगर विद्यालय में आगंनबाड़ी को भी देखा जहां होने वाली गतिविधियों को देखकर संतुष्ट नजर आई। लेकिन यहां महिला बाल विभाग(आईसीडीएस) द्वारा बच्चों के वजन करने वाली मशीन खराब मिली। टीम के सदस्यों ने बताया कि प्रदेश भर में आगंनबाड़ी केन्द्रों को मिली वजन करने की यह मशीन सभी जगह खराब है। टीम में शामिल उमा रत्नू, डॉ. सीमा जोशी, एस.पी सिंह बच्चों के बीच जाकर उनसे कविता सुनी ओर पोषाहार के बारे में जाना। रसोई घर में आगंनबाड़ी सहायिका से दिए जाने वाले गुड चना को भी देखा जिसमें एक डिब्बे में पुराना गुड भी मिला।
एस.पी सिंह ने बताया कि आंगनबाड़ी और बाल सदन में जरूरतमंदों तक नहीं सुविधाएं नही पहुंच रही है यहां स्थिति ठीक है लेकिन बूंदी जिले में अन्य केन्द्रो का निरीक्षण करने पर ही पूरी स्थिति साफ होगी।

बच्चों के अनुकूल नही मिला टेगोर आश्रय-अनाथ आश्रय नाम पर जताई आपत्ति-
लंका गेट स्थिति टेगौर आश्रय बच्चों के अनुकूल नही मिला। दमघुटाऊ वातावरण में यहां २५ बच्चें रहते है। टीम के सदस्य जब टेैगोर आश्रय पहुंचे तो उन्होनें बच्चों के कक्ष और शौचालय की स्थिति की जांच की जो सही नही मिली। उन्होनें बच्चों को अन्य जगह शिफ्ट करने के निर्देश दिए साथ ही आश्रय पर लगे बोर्ड में अनाथ आश्रय नाम पर आपत्ति जताते हुए बोर्ड हटाने के निर्देश दिए।

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बालिकाओं से हुए रूबरू-
विकास नगर बालिका विद्यालय में आयोग की तीन सदस्यीय टीम बालिकाओं से रूबरू हुई और उन्हें बाल अधिनियम सरंक्षण व पोक्सो एक् ट के बारे में जानकारी दी। पोक्सो प्रभारी उमा रत्नू ने इस बीच बालिकाओ से सवाल जवाब कर उनकी जिज्ञासाओं को शंात किया। बालिकाओं को कविताओं के जरिए सीख भी प्रदान की। उन्होने कहा कि बालिकाएं इतनी सक्षम हो की अपनी सुरक्षा खुद कर सके। आगे बढऩा है तो खुद से सवाल करें।

इनका कहना-
एस.पी सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन, समाज कल्याण विभाग, आंगनबाड़ी केन्द्रों और बाल सदन के माध्यम से जरूरत मंदों तक योजनाओं का लाभ पहुंचे इसके लिए उचित मॉनिटरिंग की जरूरत है। सभी थानों में ऐसे मामलों में पीडि़त बालक.बालिकाओं की सुनवाई के लिए अलग माहौल की जरूरत है। थानों में बाल डेस्क हो, जिसमें एएसआई स्तर का अधिकारी सादी वर्दी में तैनात हो। बूंदी जिले में कहीं बाल डेस्क नही होना चिंताजनक है। थाने में जगह की कमी है तो महिला डेस्क के साथ ही बाल डेस्क की व्यवस्था होनी चाहिए। बाल आश्रय में भी बच्चों को घर का वातावरण मिले। निरीक्षण में कई खामियां मिली है इसकी रिर्पोट उच्च स्तर पर भेजी जाएगी।