ज्ञानीराम पहलवान को हराया था
हिंद केसरी भारतीय शैली की राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप है। यह एआईएडब्ल्यूएफ यानी ऑल इंडिया एमेच्योर रेसलिंग फेडरेशन से संबद्ध है। 1958 में इसकी शुरुआत हुई और 1 जून 1958 को पहली स्पर्धा हैदराबाद के गोसा महल स्टेडियम में हुई। यहां थल सेना के नामचीन पहलवान ज्ञानीराम को मात्र सात मिनट में पटखनी देते हुए हिंद केसरी का खिताब जीता था। कर्नाटक के गवर्नर के हाथों उन्होंने15 किलो वजनी चांदी का गदा पुरस्कार के रूप में दिया था, जो आज भी इनके पास में हैं। रामचंद्र बाबू ने बताया कि उनकी हाइट 5 फीट 9 इंच है।
हिंद केसरी भारतीय शैली की राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप है। यह एआईएडब्ल्यूएफ यानी ऑल इंडिया एमेच्योर रेसलिंग फेडरेशन से संबद्ध है। 1958 में इसकी शुरुआत हुई और 1 जून 1958 को पहली स्पर्धा हैदराबाद के गोसा महल स्टेडियम में हुई। यहां थल सेना के नामचीन पहलवान ज्ञानीराम को मात्र सात मिनट में पटखनी देते हुए हिंद केसरी का खिताब जीता था। कर्नाटक के गवर्नर के हाथों उन्होंने15 किलो वजनी चांदी का गदा पुरस्कार के रूप में दिया था, जो आज भी इनके पास में हैं। रामचंद्र बाबू ने बताया कि उनकी हाइट 5 फीट 9 इंच है।
250 से ज्यादा कुश्तियां लड़ीं
रामचंद्र पहलवान ने 1950 से 1965 तक 250 से ज्यादा कु श्तियां लड़ीं। 1992 तक नेपानगर की कागज मिल के अखाड़े में पहलवानों को कुश्ती के दांवपेच सिखाए। करीब 40 साल के पहलवानी जीवन में उन्होंने छोटे-बड़े 100 से ज्यादा पहलवान तैयार किए। रामचंद्र के पिता बाबूलाल और दादा भाऊलाल भी पहलवान थे। रामचंद्र की पत्नी सीताबाई केसरी हैं। इनके पांच पुत्र है, राजेंद्र, महेंद्र, विजय, अजय, सुनील केसरी। पहलवान के सभी बच्चे नौकरी करते हैं।
रामचंद्र पहलवान ने 1950 से 1965 तक 250 से ज्यादा कु श्तियां लड़ीं। 1992 तक नेपानगर की कागज मिल के अखाड़े में पहलवानों को कुश्ती के दांवपेच सिखाए। करीब 40 साल के पहलवानी जीवन में उन्होंने छोटे-बड़े 100 से ज्यादा पहलवान तैयार किए। रामचंद्र के पिता बाबूलाल और दादा भाऊलाल भी पहलवान थे। रामचंद्र की पत्नी सीताबाई केसरी हैं। इनके पांच पुत्र है, राजेंद्र, महेंद्र, विजय, अजय, सुनील केसरी। पहलवान के सभी बच्चे नौकरी करते हैं।
महाभारत में बनाना था भीम
रामचंद्र को प्रसिद्ध फिल्म निर्माता बीआर चोपड़ा ने प्रसिद्ध टीवी सीरियल महाभारत में भीम के रोल के लिए चयन किया था, लेकिन जिस दिन उन्हें मुंबई पहुंचना था, उससेएक दिन पहले ही उनके पिता का देहांत हो गया। इसके चलते वे मुंबई नहीं जा सके।
रामचंद्र को प्रसिद्ध फिल्म निर्माता बीआर चोपड़ा ने प्रसिद्ध टीवी सीरियल महाभारत में भीम के रोल के लिए चयन किया था, लेकिन जिस दिन उन्हें मुंबई पहुंचना था, उससेएक दिन पहले ही उनके पिता का देहांत हो गया। इसके चलते वे मुंबई नहीं जा सके।