14 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

 बच्चे के सिटी स्केन के लिए किया चंदा

चार वर्ष के बच्चे को लगी सिर में चोट दीनदयाल योजना में भी नहीं मिला लाभ, कैसे होगा गरीबों का उपचारमासूम का सिटी स्केन बोला तो मां रो पड़ी, अस्पताल में आए अटेंडर और नर्सों ने जमा कर लिए हजार रुपए

2 min read
Google source verification

image

Editorial Khandwa

Jul 29, 2017

Donation for child's city scan

Donation for child's city scan

बुरहानपुर.
जिला अस्पताल में चार साल के मासूम को उपचार के लिए लाया गया। बच्चे के सिर में अंदरूनी चोट लगी थी। गंभीर अवस्था में डॉक्टर ने सिटी स्केन कराने का तो कह दिया, लेकिन गरीब माता-पिता के पास रुपए नहीं होने से वे रो पड़े। जब अस्पताल के मरीजों व स्टॉफ को इस बात का पता चला, तो उन्होंने चंदा कर एक हजार से ज्यादा रुपए परिजनों को दिए। लेकिन यह रुपए काफी नहीं थे, बाद में डॉक्टर ने बच्चे को इंदौर रैफर कर दिया। गरीब परिवार के पास दीनदयाल कार्ड होने के बाद भी उन्हें लाभ नहीं मिला। यह सरकारी ढर्रे की हकीकत है।

तनवीर पिता शौकत (4) निवासी फतेहपुर दो दिन पहले घर के आंगन से गिर गया था। बाहर से चोट नहीं आने पर परिजनों ने घर पर ही उपचार कर लिया। लेकिन शुक्रवार सुबह से उसकी तबीयत बिगड़ी, तो सुबह 7 बजे उसे जिला अस्पताल लाया गया। पहले डॉक्टरों ने शिशु वार्ड में भर्ती था, लेकिन स्थिति बिगडऩे पर सर्जिकल वार्ड में भर्ती कर दिया। जब स्थिति ओर बिगड़ी तो परिवार को सिटी स्केन कराने और उसके बाद इंदौर रैफर कर दिया। परिवार के पास दीनदयाल की डायरी होने के बाद भी सिटी स्केन के लिए स्वयं खर्च करने के लिए कहा। बच्चे के माता-पिता खेत में मजदूरी का काम करते हैं।

अस्पताल में नहीं व्यवस्था

जिला अस्पताल में सिटी स्केन की व्यवस्था नहीं है। गंभीर मरीज आने पर उसे सिधी इंदौर रैफर कर दिया जाता है या फिर निजी अस्पताल से कराने की सलाह दी जाती है। बच्चे के माता-पिता को भी बाहर से सिटी स्केन कराने के लिए कहा गया। लेकिन उनके पास रुपए ही नहीं थे। मरीज को देखने आए रमेश मोरे ने बताया कि बच्चे के सिटी स्केन के लिए रुपए नहीं होने पर सब ने चंदा कर एक हजार रुपए दिए हैं, लेकिन 3 हजार रुपए का खर्च आ रहा है। डॉक्टर ने अब बच्चे को इंदौर रैफर किया है।

संसाधनों का अभाव, मरीजों की परेशानी

जिला अस्पताल के लिए जगह की कमी, संसाधन, बजट और स्टॉफ की समस्या नासूर बनती जा रही है। चिकित्सकों की कमी झेल रहे अस्पताल में संसाधनों का भी बड़ा अभाव है। तहसील के अस्पताल को 2003 में जिला अस्पताल का दर्जा तो मिल गया, लेकिन सुविधाएं अब तक उस स्तर की नहीं मिली। सोनोग्राफी, सिटी स्केन, डिजिटल एक्स-रे की जांच अब तक अनुबंध के आधार पर निजी अस्पतालों में की जा रही है। लेकिन पिछले तीन माह से बजट न आने से यह जांच भी बंद हो गई।

यह संसाधन जरूरी

अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन तो हैं, लेकिन यह धूल खा रही है। सोनोलॉजिस्ट की कमी खल रही है। वहीं सिटी स्केन मशीन नहीं है। अस्पताल में कई दिनों तक आईसीयू के लिए योजना बनती रही। फिर कुछ दिन में यह मामला ठंडा पड़ गया। जबकि इसके लिए प्रायवेट रूम में व्यवस्था की थी। अगर कोई गंभीर मरीज आता है, तो उसे इंदौर या खंडवा में सिटी स्केन कराना पड़ता है।

दीनदयाल योजना में मरीजों को अस्पताल में ही सुविधाएं दी जाती है, इसके लिए अलग से बजट नहीं है। सिटी स्केन की जिले में व्यवस्था नहीं है, इसके लिए इंदौर या खंडवा जाना पड़ता है। नए अस्पताल में इसकी व्यवस्था के लिए प्रयास किए जा रहे है।

- डीएस चौहान, सीएमएचओ, बुरहानपुर