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सात माह से खड़ी बसों का हर माह दौड़ रहा परमिट और स्पेयर टैक्स का मीटर

- एसोसिशन बोले तीन माह का परमिट टैक्स माफ करें- हर माह सभी बसों का 15 लाख का टैक्स

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Permit and spare tax meter running every month for buses parked for seven months

Permit and spare tax meter running every month for buses parked for seven months

बुरहानपुर. महाराष्ट्र चलने वाली बसों के पहिये कोरोना के कारण फरवरी माह से थमे हुए हैं। इसके साथ तीन माह तो अन्य बसों का संचालन भी बंद रहा। यह गाडिय़ां तो बाद में दौड़ पड़ी, लेकिन महाराष्ट्र जाने वाली बसे आगे नहीं बढ़ सकी। लेकिन इनका परमिट टैक्स और स्पेयर टैक्स का मीटर लगातार चल रहा है। इसी को लेकर बस मालिक भी चिंता में है और यात्रियों को भी छोटे वाहनों से महंगा सफर करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
बुरहानपुर से चलने वाली 15 बसे हैं, जो महाराष्ट्र की ओर जाती है। पिछले साल पांच माह का टैक्स सरकार ने माफकर दिया था, लेकिन दूसरी लहर में अब तक टैक्स माफी के ठिकाने नहीं है। जबकि बसे फरवरी माह से बंद है। बस मालिकों ने पहले तो तीन माह के लिए के फार्म जमा कराए, लेकिन बाद में यह भी भरना बंद कर दिया। बस मालिकों का कहना है कि सभी महाराष्ट्र और जिले में चलने वाली सभी 120 बसों का टैक्स तीन माह का माफ किया जाए, क्योंकि मार्च से मई तक तो जनता ही घरों के बाहर नहीं निकली।

यह बोले बस एसोसिएशन
प्राइम रूट बस एसोसिशन के प्रदेश सचिव सचिन व्यास ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद से ही कारोबार मंदा हो गया है। अनलॉक के बावजूद पर्याप्त यात्री नहीं मिल रहे हैं, दूसरी तरफ डीजल की बढ़ती कीमतों ने भी मुश्किले बढ़ा दी है। ऐसे में कई बस संचालक बस चलाने व उनके मेंटेनेंस करने की स्थित तक नहीं है। 75 फीसदी बसे बमुश्किल चल रही है।
यह है मांग
अप्रैल से जून तक सभी गाडिय़ों का टैक्स माफ किया जाए।
वेट कम करें या फिर यात्री किराए में 45 फीसदी की वृद्धि की जाए।
के फार्म (नॉन यूज) पर वाहन का टैक्स 100 रुपए किया जाए।
4.5 लाख रुपए तीन माह का बनता है टैक्स
स्पेयर टैक्स का भी दौड़ रहा मीटर
परिवहन विभाग खड़ी बसों पर स्पेयर टैक्स भी वसूलता है, इसका मीटर भी चल रहा है। बस एसोसिएशन का कहना है कि बस खड़ी भी हैं तो यह टैक्स लगता है। इसमें 32 सीटर 6400 रुपए, 36 सीटर 7200, 52 सीट कर 10400 का टैक्स लगता है। गाड़ी की क्षमता के हिसाब से 200 रुपए प्रति सीट का स्क्वेयर टैक्स देना ही होता है।
के फार्म का शुल्क इसलिए कम करेंं
एसोसिएशन का कहना है कि बस का संचालन नहीं करना हैं तो के फार्म (नॉन यूज) भरकर देना होता है। दो माह तक के लिए जिला स्तर के कार्यलय पर जमा होता है। एक माह का शुल्क 200 रुपए लगता है। इसके आगे के माह के लिए भी के फार्मभरना हैं, तो फिर ग्वालियर में जाता है, इसका शुल्क 500 फिर हजार रुपए लगता है। इसका केवल 100 रुपए की मांग की जा रही है।
यात्रियों की फजीहत
बस बंद होने से महाराष्ट्र के यात्रियों की भी फजीहत बढ़ गई है। कोरोना की रोकथाम के लिए बसों का संचालन तो बंद है, लेकिन छोटे वाहनों से यात्रियों की आवाजाही चल रही है। लेकिन इनक किराया दो गुना बढ़ गया है। देड़तलाई, इच्छापुर, लोनी सीमा से यात्रियों की आवाजाही चल रही है।