
Medical Claim Rejection: जब किसी व्यक्ति को कोई शारीरिक समस्या होती है और उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। वह चाहता है कि उसका इलाज कैशलेस इंश्योरेंस (Cashless Insurance) के जरिए ही हो जाए। लेकिन कई बार जांचों के बावजूद कोई स्पष्ट बीमारी सामने नहीं आती है। ऐसी स्थिति में इंश्योरेंस कंपनी आपका कैशलेस क्लेम रिजेक्ट या डिक्लाइन कर सकते हैं।
क्लेम अप्रूव होने के लिए यह स्पष्ट होना जरूरी है कि मरीज को किस बीमारी की वजह से अस्पताल में भर्ती किया गया है। केवल यह बताना कि मरीज को तकलीफ थी और वह अस्पताल में भर्ती रहा, क्लेम पाने का आधार नहीं बनता। क्लेम के लिए बीमारी की जांच स्पष्ट और यह बताना जरूरी है कि ट्रीटमेंट यों दिया गया।
ऐसे मामलों में इलाज कर रहे डॉक्टर की भूमिका बेहद अहम होती है। डॉक्टर को कुछ जानकारी स्पष्ट रूप से लिखकर देनी होगी कि मरीज को या समस्या थी, या डायग्नोज किया गया, एडमिशन की वजह क्या थी, इलाज कितने दिन और क्यों चला, मरीज कैसे ठीक हुआ? सभी जानकारी लिखित देनी होगी।
गलत या अधूरी जानकारी: अगर पॉलिसी खरीदते समय आपने मेडिकल हिस्ट्री, उम्र या अन्य जरूरी जानकारियां छुपाई या गलत दी हैं, तो लेम रिजेट किया जा सकता है।
वेटिंग पीरियड के दौरान क्लेम : अधिकतर पॉलिसी में कुछ बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड होता है (जैसे 30 दिन या 2 साल)। इस दौरान किया गया क्लेम वैध नहीं माना जाता है।
नॉन-कवर्ड ट्रीटमेंट: कुछ ट्रीटमेंट जैसे कॉस्मेटिक सर्जरी, फर्टिलिटी ट्रीटमेंट आदि बीमा पॉलिसी में शामिल नहीं होते। ऐसे मामलों में क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।
प्री अप्रूवल की कमी: कैशलेस क्लेम के लिए जरूरी है कि आप अस्पताल में भर्ती होने से पहले टीपीए (TPA) या इंश्योरेंस कंपनी से प्री-अप्रूवल लें। ऐसा नहीं करने पर आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।
दस्तावेजों की कमी: अगर आप क्लेम के साथ जरूरी डॉयुमेंट्स जैसे बिल, डिस्चार्ज समरी, डॉटर की रिपोर्ट आदि जमा नहीं करते, तो क्लेम अस्वीकृत हो सकता है।
पॉलिसी की एक्सपायरी: यदि लेम के समय पॉलिसी एक्सपायर हो चुकी है या उसका नवीनीकरण नहीं हुआ है, तो क्लेम नहीं मिलेगा।
गैर-नेटवर्क अस्पताल में इलाज: कैशलेस लेम के लिए इलाज नेटवर्क अस्पताल में होना चाहिए। अगर आप गैर- नेटवर्क अस्पताल में जाते हैं, तो कैशलेस क्लेम रिजेक्ट हो सकता है, हालांकि आप रीइंबर्समेंट क्लेम कर सकते हैं।
डुप्लीकेट क्लेम या फ्रॉड: यदि इंश्योरेंस कंपनी को शक हो कि क्लेम में धोखाधड़ी की गई है या झूठी जानकारी दी गई है, तो क्लेम सीधे रिजेक्ट हो सकता है।
Published on:
05 May 2025 11:05 am
बड़ी खबरें
View Allकारोबार
ट्रेंडिंग
