26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Anil Ambani RCom Loan Case: बैंक कब लगाते हैं लोन अकाउंट पर फ्रॉड का ठप्पा, क्या है RBI का नियम? जानिए सबकुछ

Anil Ambani Rcom Loan Case: एसबीआई ने रिलायंस कम्युनिकेशन के लोन अकाउंट को फ्रॉड कैटेगरी में डाल दिया है। एसबीआई ने आरोप लगाया कि कंपनी के अकाउंट में फंड डायवर्जन और लोन से जुड़ी शर्तों के उल्लंघन का मामला सामाने आया है।

2 min read
Google source verification

भारत

image

Pawan Jayaswal

Jul 03, 2025

Reliance Communications News

एसबीआई ने रिलायंस कम्युनिकेशन के लोन अकाउंट को फ्रॉड कैटेगरी में डाल दिया है। (PC: Patrika)

Anil Ambani Rcom Loan Case: देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI ने अनिल अंबानी को बड़ा झटका देते हुए रिलायंस कम्युनिकेशन के लोन अकाउंट को फ्रॉड कैटेगरी में डाल दिया है। हाल ही में अनिल अंबानी के कारोबार के कमबैक करने की बातें हो ही रही थीं कि ग्रुप के सामने बड़ी मुसीबत आ गई है। यही नहीं, एसबीआई ने कंपनी के पूर्व डायरेक्टर अनिल अंबानी की आरबीआई से शिकायत भी कर दी है। एसबीआई ने RCom को भेजे एक लेटर में लिखा, 'हमारी फ्रॉड आईडेंटिफिकेशन कमेटी ने लोन अकाउंट को फ्रॉड कैटेगरी में डालने का निर्णय लिया है। जरूरी एक्शन के लिए इस मामले को बैंकिंग रेगुलेटर के पास भेजा गया है।' अब आपके मन में सवाल होगा कि बैंक किस कंडीशन में लोन अकाउंट को फ्रॉड कैटेगरी मे डालते हैं? आइए जानते हैं।

बैंक लोन अकाउंट को फ्रॉड कैटेगरी में कब डालते हैं?

जब किसी लोन अकाउंट पर फंड डायवर्जन जैसी गतिविधियों के रेड फ्लैग आते हैं, तो उस लोन अकाउंट को फ्रॉड कैटेगरी में डाल दिया जाता है। लोन एग्रीमेंट में बताए गए उद्देश्यों के बजाय किसी दूसरी जगह या दूसरे काम में लोन का पैसा जाता है, तो वह फंड डायवर्जन कहलाता है। लोन की रकम का उपयोग कर्जदार की बजाय कोई दूसरा करता है, तो वह भी फंड डायवर्जन में आता है। यानी भले ही कर्जदार कंपनी में पैसों की हेराफेरी नहीं हुई हो, तब भी फंड डायवर्जन का मामला आ सकता है। बैंकों को फ्रॉड का पता चलने के 21 दिनों के अंदर इसकी सूचना आरबीआई को देनी होती है। साथ ही फ्रॉड में शामिल रकम के आधार पर सीबीआई या पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को भी रिपोर्ट देना होता है।

RBI का फ्रॉड सर्कुलर

आरबीआई का साल 2016 में फ्रॉड पर मास्टर सर्कुलर आया था। इसका टाइटल 'मास्टर डायरेक्शंस ऑन फ्रॉड्स- क्लासिफिकेशन एंड रिपोर्टिंग बाय कमर्शियल बैंक्स एंड सलेक्ट एफआई' है। यह बैकों को लोन अकाउंट को फ्रॉड कैटेगरी में डालने की अनुमति देता है। कई लोगों का यह भी मानना है कि बैंक इस सर्कुलर का मिसयूज करते हैं। हालांकि, इसे कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। आरबीआई ने बैंक फ्रॉड के कई बड़े मामले आने और बैंकों का NPA काफी बढ़ जाने के बाद यह सर्कुलर जारी किया था।

कर्जदार को सुनने के बाद ही लगे फ्रॉड का ठप्पा

पिछले साल जुलाई में आरबीआई ने बैकों से कहा था कि लोन अकाउंट को फ्रॉड कैटेगरी में डालने से पहले एक बार कर्जदार की बात सुन लेनी चाहिए। आरबीआई ने बैंकों को से कहा था कि फ्रॉड कैटेगरी में डालने से पहले कर्जदार को जवाब देने के लिए कम से कम 3 हफ्ते का समय दिया जाए। आरबीआई ने यह भी कहा था कि बैंक अपने कर्जदार को साफ-साफ बताएं कि उनका लोन अकाउंट फ्रॉड कैटेगरी में क्यों डाला जा रहा है।

यह भी पढ़ें:
Gold के पीछे क्यों भाग रही हैं कंपनियां? 5 साल में 800% बढ़ा दिया इन्वेस्टमेंट, जानिए वजह

आरकॉम पर क्यों हुआ एक्शन?

आरकॉम के मामले में एसबीआई ने कंपनी को कई कारण बताओ नोटिस जारी किए थे। इसके बाद कंपनी के जवाबों के संदर्भ में बैंक और एक्सचेंज ने ऑडिट भी किया था। एसबीआई ने आरोप लगाया कि कंपनी के अकाउंट में फंड डायवर्जन और लोन से जुड़ी शर्तों के उल्लंघन का मामला सामाने आया है। हालांकि, अनिल अंबानी की वकील तारिनी खुराना ने इन आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा, 'एसबीआई का यह ऑर्डर सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के तमाम फैसलों और आरबीआई के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।' आरकॉम को अब नियामकीय और कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। मामला सीबीआई को भी सौंपा जा सकता है।