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ईपीएफ खाते में बरतें सावधानी, अपने आप भी हो सकता है बंद…पैसा निकालने में करनी पड़ सकती है मशक्कत

कई बार कंपनी बंद होने पर पीएफ खाता अपने आप बंद हो जाता है, जिसके कारण पैसा अटक जाता है।

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ईपीएफ खाते में बरतें सावधानी, खाता अपने आप भी हो सकता है बंद...पैसा निकालने में करनी पड़ सकती है मशक्कत

कई बार कंपनी बंद होने पर पीएफ खाता अपने आप बंद हो जाता है, जिसके कारण पैसा अटक जाता है। साथ ही, खाते को सर्टिफाई कराने का रास्ता भी बंद हो जाता है। ऐसा होने पर पीएफ खाते से पैसा निकालना काफी मुश्किल भरा काम हो जाता है। खाता बंद होने पर खाते में पड़ा पूरा पैसा अटक जाता है और इसे निकालने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। इसके अलावा, ईपीएफओ सिस्टम में कंपनी छोड़ने की जानकारी नहीं देने पर फंड ट्रांसफर करना भी एक मुश्किल भरा सफर बन जाता है।

कब बंद होता है ईपीएफ खाता

पुरानी कंपनी अगर बंद हो गई है और आपने अपना पैसा नई कंपनी के अकाउंट में ट्रांसफर नहीं कराया या फिर इस खाते में 36 महीनों तक कोई लेनदेन नहीं किया है तो खाता खुद बंद हो जाएगा। यही नहीं, आपको अपने इस खाते से पैसा निकालने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है। हालांकि, इस निष्क्रिय खाते पर भी ब्याज मिलता रहता है। अगर अकाउंट से पूरा पैसा निकाल लिया गया है तो उस पर ब्याज का भुगतान नहीं किया जाएगा। वहीं, अगर ईपीएफ अकाउंट के रिटायमेंट की अवधि पूरी हो चुकी है तो भी ब्याज नहीं दिया जाएगा। साथ ही, अकाउंट होल्डर्स की आयु 58 वर्ष और ईपीएफ का बैलेंस लंबे समय से नहीं निकाला गया है, तो ब्याज की राशि नहीं दी जाएगी।

केवाईसी बनेगा सहारा

निष्क्रिय पीएफ खातों से संबंधित क्लेम को निपटाने के लिए जरूरी है कि उस क्लेम को कर्मचारी के नियोक्ता सर्टिफाइड करे। हालांकि, जिन कर्मचारियों की कंपनी बंद हो चुकी है और क्लेम सर्टिफाइड करने के लिए कोई नहीं है तो ऐसे क्लेम को बैंक केवाईसी दस्तावेजों के आधार पर सर्टिफाई करते है। 50 हजार रुपए से ज्यादा राशि होने पर असिस्टेंट प्रोविडेंट फंड कमिश्नर की मंजूरी की जरूरत पड़ती है। इसी तरह, 25 हजार रुपए से ज्यादा और 50 हजार रुपए से कम राशि होने पर फंड ट्रांसफर की मंजूरी अकाउंट ऑफिसर देता है। अगर राशि 25 हजार रुपए से भी कम है, तो इसमें डीलिंग असिस्टेंट की मंजूरी की आवश्यकता होती है।

यहां निवेश होता है पीएफ का पैसा

खाताधारक के खाते में जमा राशि का कई जगहों पर निवेश किया जाता है। इस निवेश से होने वाली कमाई का एक हिस्सा ब्याज के रूप में खाताधारकों को मिलता है। अभी ईपीएफओ 85 फीसदी हिस्सा डेबिट में निवेश होता है। इनमें सरकारी सिक्योरिटी और बॉन्ड भी शामिल हैं। बाकी के 15 फीसदी हिस्से को ईटीएफ में लगाया जाता है। डेट और इक्विटी से हुई कमाई के आधार पर पीएफ का ब्याज तय होता है।

2015 से लेकर अब तक का ब्याज दर सफर...

2015-16.... 8.80%
2016-17.... 8.65%
2017-18.... 8.55%
2018-19.... 8.65%
2019-20.... 8.50%
2020-21.... 8.50%
2021-22.... 8.10%
2022-23.... 8.10%

Published on:
19 Jun 2023 11:02 am
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