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Digital Gold में जेन-Z का बढ़ता रुझान, 11 महीनों में 12 टन की खरीद, 16,670 करोड़ रुपये का निवेश, क्या है सेबी की सलाह?

डिजिटल गोल्ड भारत में निवेश का नया चेहरा बन रहा है, जहां जेन Z निवेशक अगुवाई कर रहे हैं। इस साल करीब 12 टन डिजिटल गोल्ड खरीदा गया।

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भारत

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Thalaz Sharma

Dec 26, 2025

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डिजिटल गोल्ड में ज्यादातर जेन Z इंवेस्ट कर रहे हैं। (PC: AI/Gemini)

भारत में डिजिटल गोल्ड में निवेश करना तेजी से उभरता हुआ ट्रेंड बन गया है, खासकर जेन Z निवेशकों के बीच। जनवरी 2025 से नवंबर 2025 तक भारतीय निवेशकों ने अनुमानित 12 टन डिजिटल गोल्ड खरीदा। इससे सोने में निवेश करने के तरीकों में बदलाव देखा जा सकता है। हालांकि, नवंबर 2025 में सेबी की चेतावनी के बाद इस रफ्तार में कुछ ठहराव जरूर देखने को मिला।

UPI डेटा से लगाया अनुमान

नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने इस साल पहली बार डिजिटल गोल्ड खरीद से जुड़े UPI ट्रांजैक्शंस का डेटा साझा किया है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ने इसी डेटा के आधार पर डिजिटल गोल्ड की खरीद का अनुमान लगाया है। बुधवार के मुबंई के हाजिर भाव के हिसाब से 12 टन 24 कैरेट सोने की कीमत करीब 16,670 करोड़ रुपये बैठती है। वहीं, अगर तुलना करें तो साल 2024 में डिजिटल गोल्ड की खरीद करीब 8 टन के बराबर थी।

क्यों है डिजिटल गोल्ड जेन Z की पसंद?

डिजिटल गोल्ड निवेशकों को बिना वास्तविक सोना लिए ऑनलाइन सोना खरीदने और बेचने की सुविधा देता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि 1 रुपये जैसी छोटी से छोटी रकम से भी निवेश शुरू किया जा सकता है। इसमें ग्राहक की खरीद के बराबर मात्रा का असली सोना किसी सुरक्षित तिजोरी में रखा जाता है, और बाद में इसकी भौतिक डिलीवरी की सुविधा भी मिलती है। यही वजह है कि पहली बार निवेश करने वाले, मिलेनियल्स और जेन Z निवेशक डिजिटल गोल्ड में निवेश को तेजी से अपना रहे हैं।

SEBI की चेतावनी से बढ़ी सतर्कता

नवंबर 2025 में सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने एक एडवाइजरी जारी की थी। इसमें सेबी ने कहा कि डिजिटल गोल्ड उसके द्वारा नियंत्रित नहीं है। यानी यह न तो सेबी के नियमों के तहत आता है और न ही मौजूदा कमोडिटी मार्केट के नियमों के दायरे में है। इसके बाद निवेशकों में भ्रम की स्थिति बनी और मांग में गिरावट देखी गई। हालांकि इंडस्ट्री का मानना है कि डिजिटल गोल्ड के लिए एक स्पष्ट रेगुलेटरी फ्रेमवर्क जरूरी है, ताकि निवेशकों का भरोसा बना रहे।

इंडस्ट्री की पहल: सेल्फ-रेगुलेशन की ओर कदम

रेगुलेशन की कमी को देखते हुए India Bullion & Jewellers Association (IBJA) ने डिजिटल गोल्ड कंपनियों के लिए सेल्फ-रेगुलेटरी ऑर्गनाइजेशन (SRO) बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। जनवरी 2026 से इसके तहत कंपनियों को दर्ज किया जाएगा। SRO के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ग्राहकों के डिजिटल गोल्ड के मूल्य का फिजिकल गोल्ड सुरक्षित हो। कंपनियों की नियमित ऑडिट हो और साथ ही कंपनियों के लिए न्यूनतम नेटवर्थ जैसे नियम लागू किए जाएं। इंडस्ट्री के मुताबिक, डिजिटल गोल्ड खरीदारों में करीब दो-तिहाई हिस्सेदारी मिलेनियल्स और जेन Z की है।