फॉर्म 16 एक TDS सर्टिफिकेट है, जिसे आपको एंप्लॉयर आपको जारी करता है और इसमें आपको दी गई पूरी सैलरी की डिटेल्स दी हुई होती है। इसमें उस पर की गई टैक्स की कटौती भी होती है।
2. ब्याज आय और बैंकों और पोस्ट ऑफिस से TDS सर्टिफिकेट/ फॉर्म 16A: लेटेस्ट आईटीआर फॉर्म में व्यक्ति को अलग-अलग स्रोतों से मिली ब्याज आय का ब्रेक अप देने के लिए कहा जाता है। इनमें सेविंग्स अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट आदि शामिल हैं. इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि आप बैंकों और पोस्ट ऑफिस में अपना इंट्रस्ट सर्टिफिकेट ले लें, जिससे आपको वित्त वर्ष के दौरान सेविंग्स अकाउंट्स और फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिली कुल राशि का पता चल जाए। इसके अलावा वित्त वर्ष के लिए अपनी बैंक पासबुक को भी अपडेट और चेक कर लें, जिससे किसी दूसरी आय के बारे में जानकारी मिले, जैसे आरबीआई बॉन्ड्स से ब्याज, पीपीएफ ब्याज आदि।
3. दूसरी इनकम से TDS सर्टिफिकेट:
4. फॉर्म 26AS: फॉर्म 26AS आपकी कंसोलिडेटेड एनुअल टैक्स स्टेटमेंट है. यह एक तरह की आपकी टैक्स पासबुक है, जिसमें आपके पैन के अंगेस्ट डिपॉजिट हुए सभी टैक्स की जानकारी होती है। इनमें एंप्लॉयर द्वारा डिडक्ट किया गया TDS, बैंकों द्वारा काटा गया TDS, आपको किए गए भुगतान पर किसी दूसरी संस्था द्वारा काटा गया TDS, आपके द्वारा जमा किया गया एडवांस टैक्स और आपके द्वारा दिया गया सेल्फ असेसमेंट टैक्स शामिल होता है।
5. टैक्स सेविंग निवेश के प्रूफ: अगर आप पुरानी टैक्स व्यवस्था के साथ जारी रख रहे हैं, तो आपको वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान अपने योग्य निवेश और खर्चों से संबंधित सभी दस्तावेजों को तैयार रखना चाहिए. अगर आपने सेक्शन 80C, सेक्शन 80D और HRA छूट आदि से संबंधित टैक्स सेविंग प्रूफ को सब्मिट किया है, तो ये डिटेल्स फॉर्म 16 में दिखेंगी. हालांकि, अगर आपने कोई टैक्स सेविंग प्रूफ नहीं घोषित किया है, तो आईटीआर फाइल करते समय इसे क्लेम किया जा सकता है।
6. कैपिटल गेन्स: अगर आपने प्रॉपर्टी की बिक्री या म्यूचुअल फंड्स या इक्विटी शेयर से कैपिटल गेन्स कमाया है, तो आपको मुनाफे को आईटीआर में बताना होगा। कैपिटल गेन्स कैलकुलेट करने के लिए, आपको खरीदारी या सेल के दस्तावेज की जरूरत पड़ेगी। म्यूचुअल फंड्स की बिक्री पर कैपिटल गेन्स के मामले में, व्यक्ति को म्यूचुअल फंड्स हाउस या ब्रोकर से स्टेटमेंट की जरूरत होगी।
7. आधार नंबर: :व्यक्ति को आईटीआर फाइल करते समय, अपना आधार नंबर भी बताना होता है। अगर आपके पास अभी तक अपना आधार नंबर मौजूद नहीं है, तो आपको अपने आईटीआर फॉर्म में एनरॉलमेंट आईडी देनी होगी।
8. अनलिस्टेड शेयरों में निवेश की डिटेल्स: अगर वित्त वर्ष के दौरान आपके पास अनलिस्टेड शेयर थे, तो आपको इसे अपने आईटीआर में घोषित करना होगा। इस मामले में, यह ध्यान में रखें कि आईटीआर-1 का इस्तेमाल करके आप टैक्स रिटर्न फाइल नहीं कर सकते हैं, अगर आपके इनकम के स्रोत सैलरी और बैंक अकाउंट पर कमाई गई ब्याज है, तो उस स्थिति में भी, आपको आईटीआर-2 का इस्तेमाल करना होगा
9. बैंक अकाउंट की डिटेल्स: व्यक्ति के लिए उसके बैंक अकाउंट की डिटेल्स देना भी जरूरी है। अगर आपने वित्त वर्ष के दौरान अपना अकाउंट बंद कर दिया है, तो भी आपको उसे अपने आईटीआर में भरना होगा। आपको अपना बैंक का नाम, अकाउंट टाइप और IFS कोड देना होगा।