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NSE Scam: सीबीआई का बड़ा खुलासा- आनंद सुब्रमण्यम ने बनाई थी ‘अज्ञात योगी’ वाली ई-मेल आईडी

NSE घोटाले के मामले में सीबीआई ने एक बड़ा दावा किया है और कहा है कि जिस ईमेल आईडी से चित्रा रामाकृष्णा बात करती थीं वो किसी और ने नहीं बल्कि आनंद सुब्रमण्यम ने ही बनाई थी।

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Mahima Pandey

Mar 12, 2022

Ex-NSE official Anand Subramanian is  ‘Himalayan Yogi’, says CBI

Ex-NSE official Anand Subramanian is ‘Himalayan Yogi’, says CBI

NSE घोटाले के मामले में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है वैसे वैसे बड़े खुलासे हो रहे हैं। सीबीआई ने अब दावा किया है कि एनएसई की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामाकृष्णा जिस 'हिमालय के अज्ञात योगी' से ईमेल के जरिए बात करती थीं वो ईमेल खुद ग्रुप ऑपरेटिेंग ऑफिसर आनंद सुब्रमण्यम ने ही बनाया था। इससे पहले एनएसई के फॉरेंसिक ऑडिट में आनंद सुब्रमण्यम को ही अज्ञात योगी बताया गया था। इन खुलासों से स्पष्ट होनी लगा है कि इस पूरे मामले में आनंद सुब्रमण्यम ने एनएसई के पूर्व सीईओ को मूर्ख बनाया है। हालांकि, सेबी ने अपनी रिपोर्ट में आनंद सुब्रमण्यम के 'योगी' होने के दावे को खारिज कर दिया है।

आनंद सुब्रमण्यम ही "हिमालयी योगी" हैं
दरअसल, शुक्रवार को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने को-लोकेशन मामले में एनएसई के पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर आनंद सुब्रमण्यम की जमानत अर्जी पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि आनंद सुब्रमण्यम ही "हिमालयी योगी" बनकर पूर्व एमडी चित्रा रामकृष्ण के निर्णयों को प्रभावित कर रहे थे।

24 मार्च को फैसला सुनाएगा कोर्ट
बता दें कि सुब्रमण्यम रामकृष्ण के सलाहकार थे जो इस मामले में गिरफ्तार हुए हैं। वर्तमान में पुलिस रिमांड पर हैं। अदालत ने पहले सुब्रमण्यम को 12 दिन की पुलिस हिरासत के बाद 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा था। स्पेशल जज संजीव अग्रवाल 2018 में सुब्रमण्यम द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। इसपर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा है कि कोर्ट 24 मार्च को अपना आदेश सुनाएगा।

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चार सालों तक योगी बनकर रहे सुब्रमण्यम
आगे की रिमांड के लिए सीबीआई ने कोर्ट में कई तर्क दिए। सीबीआई का मानना है कि सुब्रमण्यम की कोई भी विदेश यात्रा अभी उचित नहीं है वो भाग सकते हैं। सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि सुब्रमण्यम चार साल तक योगी बनकर रहा, लेकिन अलग पहचान के साथ ताकि उसे कोई पहचान न सके। वो उस योगी के नाम से ईमेल आईडी चला रहा था।

सुब्रमण्यम के वकील ने सेबी की रिपोर्ट का दिया हवाला
सुब्रमण्यम के वकील अर्शदीप ने अदालत को बताया कि यह घोटाला 2010 और 2014 के बीच हुआ था और सुब्रमण्यम एनएसई से 2013 में जुड़े थे। उनके वकीलों ने अदालत को यह भी बताया कि सेबी की दो आंतरिक जांच में उनके मुवक्किल के खिलाफ इस मामले में कुछ भी नहीं मिला है।

कोर्ट ने सीबीआई पर उठाए सवाल
इसपर कोर्ट के जज ने कहा, "आप हिमालय के योगी हैं। दैवीय शक्तियों के साथ हिमालय की ऊंचाईयों में रहते हैं। सीबीआई चार साल से हाइबरनेशन में थी और अब अचानक जाग गई है। मुझे नहीं पता क्यों।"

इसपर सुब्रमण्यम के वकील अर्शदीप ने उत्तर दिया, "सुब्रमण्यम योगी नहीं हैं।" सीबीआई ने सुब्रमण्यम की जमानत का विरोध करते हुए सीबीआई ने कहा कि उसने 832GB का डाटा बरामद किया है और कुछ को डिलीट किया जा चुका है।

दरअसल, बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने NSE Scam को लेकर अपनी अंतरिम रिपोर्ट में सुब्रमण्यम के 'योगी' होने के दावे को नकार दिया था। इसी का उल्लेख सुब्रमण्यम के वकील ने किया है।

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क्या है मामला?
बता दें कि सीबीआई ने NSE से जुड़े को-लोकेशन घोटाले में आनंद सुब्रमण्यम और चित्रा रामाकृष्णा को गिरफ्तार किया था। चित्रा रामाकृष्णा विश्व में स्टॉक एक्सचेंज के क्षेत्र में बड़े पदों पर रही हैं जिन्हें फॉर्चून मैगजीन ने विश्व की 27वीं नंबर की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में से एक बताया था।

सेबी ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि चित्रा रामाकृष्णा हिमालय में रहने वाले योगी से काफी प्रभावित थीं और कई बड़े निर्णय योगी के इशारे पर लिए। इस बात को खुद रामाकृष्णा ने स्वीकार किया था। इस मामले में एक्शन लेते हुए SEBI ने रामकृष्ण पर 3 करोड़ रुपये, NSE के पूर्व प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि नारायण और सुब्रमण्यम पर 2-2 करोड़ रुपये और वी आर नरसिम्हन पर 6 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।