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रिटायरमेंट प्लानिंग की उलझनों का इस तरह से निकाले हल

विजयानंद प्रभु, निवेश विश्लेषक, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज

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नई दिल्‍ली. रिटायरमेंट प्लानिंग से जुड़ी उत्पादों की भरमार और जटिलताओं ने युवा पीढ़ी को भ्रम में डाल दिया है। इसके चलते बहुत से युवा चाह कर भी रिटायरमेंट प्लानिंग शुरू नहीं कर पा रहे हैं और वे इस बात को लेकर चिंतित है कि लंबी रिटायर्ड लाइफ शांति से गुजारने के लिए कैसे भरपूर राशि जुटाई जाए। अगर, आप भी उन युवाओं में शामिल हैं जो उपलब्ध रिटायरमेंट प्लानिंग की योजनाओं में से सही प्रोडक्ट का चुनाव नहीं कर पा रहे हैं तो हम आपकी इसमें मदद कर रहे हैं। हम आपको बता रहे हैं कि कोई भी रिटायरमेंट प्लानिंग की योजना चुनने में किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।


कितना कोष पर्याप्त
शिक्षा, विवाह इत्यादि अन्य लक्ष्यों की तरह रिटायरमेंट कोष की गणना करना थोड़ा जटिल है। अन्य लक्ष्यों के मामले में, यहां सिर्फ दो बातें शामिल है। पहला, आज कोई भी खर्च वार्षिक महंगाई के अधीन है। हमें सबसे पहले उस लक्ष्य के बढ़े भावी मूल्य का पता लगाना है। दूसरा कदम निवेश की जानी वाली आवश्क मासिक राशि का पता लगाना है, जिससे उस बढ़ी राशि तक पहुंचा जा सके। कोई भी व्यक्ति अब से 10, 15, 20 वर्ष के लिए ब्याज दर का सही अनुमान नहीं लगा सकता है। जितना संभव हो उतना कम एक निवेश रिटर्न का अनुमान लगाना अच्छा होगा।


बड़े कोष तक पहुंचना
कोई भी व्यक्ति पूरी तरह से संरक्षणात्मक नहीं हो सकता है। कुछ बिंदु पर हमें ऐसी स्थिति के लिए तैयार होना होगा। कोई भी व्यक्ति जोखिम उठा सकता है, उपलब्ध विकल्प अजमाएं, जिंदगी के शुरूआती उम्र के दौरान अधिक बचत और निवेश करे। जैसे रिटायरमेंट की राशि बढ़ती है, तब इस राशि को जमा करने के लिए जरूरी निवेश भी बढ़ेगा। निवेश के लिए अलग से रखनी होगी और ऐसे निवेश पर रिटर्न की दर जरूरी है।
सेवानिवृत्त बाद निवेश
यह पूरी कहानी में सबसे धुंधला क्षेत्र है। हमें ऐसे असेट में अपनी सेवानिवृत्त राशि का निवेश करना है जो रिटर्न की एक सुरक्षित दर दे रही है। यह दर उंची होनी चाहिए ताकि इंफ्लेशन को पछाड़ सके और सकारात्मक रिटर्न दे। अब यह समय एक बार फिर रूढ़ीवादी होने का है। कल्पना करें कि रियल रेट शून्य है अर्थात निवेश रिटर्न इंफ्लेशन के बराबर है और यहां निवेश करने का कोई लाभ नहीं है। तब कोष सीधे मासिक खर्च होगा।

निष्कर्ष

भावी ब्याज दरों, मार्केट मूवमेंट और स्पष्टता के साथ आर्थिक परिदृष्य का अनुमान लगाना संभव नहीं है। इसलिए हमेशा से यह बुद्विमत्तापूर्ण है कि सबसे खराब की उम्मीद करें, ताकि हम सदमों के बजाए आकस्मिकता का सामना जोरदार ढंग से कर सके। सेवानिवृत्त प्लानिंग के बारे में यह सच है। भारत जैसे देश में जहां वित्तीय साक्षरता बहुत कम है, रिटायरमेंट प्लानिंग के महत्व को सराहने की जरूरत है। लंबी उम्र के संदर्भ में महत्वपूर्ण हो गया है।