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फोर्टिस ने राजधानी में खाेला पहला ब्रेस्ट मिल्क बैंक ‘अमारा’

मुंबई के धारावी की तर्ज पर देश की राजधानी दिल्ली में भी अब ब्रेस्ट मिल्क बैंक खुल गया है।

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vishal pareek

Apr 27, 2016


मुंबई के धारावी की तर्ज पर देश की राजधानी दिल्ली में भी अब ब्रेस्ट मिल्क बैंक खुल गया है।


ग्रेटर कैलाश स्थित फोर्टिस ला फेम अस्पताल ने एनजीआे ब्रेस्ट मिल्क फाउंडेशन (बीएमएफ) के साथ मिलकर दिल्ली में मां के दूध का पहला बैंक शुरू किया है।

अमारा नाम के इस ह्यूमैन मिल्क बैंक का बुधवार को औपचारिक उद्घाटन किया गया जबकि पिछले 20 दिन से यहां दूध एकत्र करने तथा जरूरतमंद बच्चों में बांटने का काम चल रहा है। अस्पातल में ही दूध बैंक बनाया गया है।

नवजात शिशु विभाग के निदेशक डॉ. रघुराम मलाया ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में दूध दान करने की इच्छुक कोई भी मां हेल्पलाइन नंबर 9999035600 पर या एएमएएआरएडॉटओआरजीडॉटइन पर संपर्क करके अपना पंजीकरण करवा सकती हैं।

150 से 200 रुपए होगी कीमत

अस्पताल के नवजात शिशु विभाग के निदेशक डॉ. रघुराम मलाया का कहना है कि मां का दूध बच्‍चों के लिए काफी लाभदायक है। ऐसे में कई बार मां का दूध न मिलने से बच्‍चों की जान पर बन आती है। इस दिशा में सुरक्षा और साफ सफाई के कई मानक तय हुए हैं। 130 मिलिलीटर की बोतलों में पैक करके इसे कम तापमान पर रखा जाता है। एक बोतल की कीमत 150 से 200 रुपये के बीच रखी जाएगी। इतना ही नहीं जो महिलाएं दूध देने के लिए संपर्क करेंगी उनकी भी पहले पूरी जांच होगी। स्‍वस्‍थ होने पर ही नि:शुल्क पंपिंग मशीन के जरिए ही वह घर बैठे दूध भेज सकेंगी।

छह महीने तक सुरक्षित रहेगा दूध

डॉ. मलाया ने बताया कि यह दूध छह महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है। फिलहाल 15 महिलाएं अमारा में सहयोग कर रही हैं और फोर्टिस ला फेम में समय से पहले पैदा हुए जरूरतमंद बच्चों को बैंक से दूध दिया जा रहा है। बैंक के लिए सहयोग करने वालाी महिलाओं की संख्या बढऩे पर अन्य अस्पतालों को भी जरूरतमंद बच्चों के लिए यहां से दूध की आपूर्ति की योजना है। उन्होंने कहा कि दूध सिर्फ अस्पतालों को दिया जाएगा और निजी तौर पर लोग इसे नहीं खरीद सकेंगे।

पहला दूध बैंक मुंबई के धारावी में खुला था

देश में माँ के दूध का पहला बैंक नवंबर 1989 में मुंबई के धारवी इलाके में खुला था। डॉ. मलाया ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में कम से कम चार-पांच ऐसे बैंकों की जरूरत है, लेकिन इसमें ध्यान रखने की बात यह है कि गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि अमारा के तहत आपूर्ति की जाने वाली बोतलों पर पोषक तत्वों की मात्रा भी लिखी होती है जिससे डॉक्टरों को भी पता रहे कि बच्चे को कितना दूध देना है।