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सोना-चांदी-कॉपर की रिकॉर्ड तेजी: क्या 2026 में भी चमकेंगे मेटल्स? जानिए 5 बड़े कारण

क्या सोना, चांदी और कॉपर साल 2026 में भी रिकॉर्ड हाई बनाएंगे. क्या हैं वो पांच वजहें जो इनकी तेजी का कारण बनी रहेंगे.

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सोन-चांदी-कॉपर साल 2025 में बम्पर रिटर्न दे चुके हैं. (PC: Canva)

Gold Silver Prices Today: सोने और चांदी की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी जारी है. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही बाजारों में सोना-चांदी ने इस साल अबतक धमाकेदार रिटर्न दिया है. सोने और चांदी की लगातार तेजी ने कमोडिटी मार्केट को एक नया ही आकार दे दिया है. इन दो मेटल्स के अलावा कॉपर की तेजी ने भी सबको चौंका दिया है. जिसने इस साल अबतक 65% का रिटर्न दिया है. अब सवाल ये है कि क्या यह तेजी सिर्फ 2025 की कहानी है या 2026 में भी मेटल्स की रैली जारी रहेगी?

26 दिसंबर, 2025 को सोने और चांदी की कीमतों ने MCX पर नया रिकॉर्ड हाई बनाया है. सोना वायदा ने इंट्राडे में 1,39,216 रुपये प्रति 10 ग्राम का नया ऑल टाइम हाई बनाया है. चांदी वायदा भी 2,32,741 रुपये प्रति किलोग्राम की नई रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है. जबकि कॉपर वायदा ने 1205.40 रुपये प्रति का नया रिकॉर्ड हाई बनाया है.

दिसंबर 2025 में सोना, चांदी और कॉपर का रिटर्न

दिसंबर के महीने में MCX पर सोना वायदा 8,500 रुपये प्रति 10 ग्राम महंगा हो चुका है, चांदी वायदा 54,500 रुपये प्रति किलो महंगी हो चुकी है जबकि कॉपर वायदा 155 रुपये प्रति किलो महंगा हो चुका है.

मेटल1 दिसंबर, 2025 को भाव26 दिसंबर, 2025 को भावरिटर्न
सोना₹1,30,652/10 ग्राम₹1,39,216/10 ग्राम6.5%
चांदी₹1,78,200/किलो₹2,32,741/किलो30%
कॉपर₹1050.25/किलो₹1205.40/किलो15%
Source: MCX

साल 2025 में अबतक सोना, चांदी और कॉपर का रिटर्न

साल 2025 मेटल्स के रिटर्न के मामले में रिकॉर्डतोड़ रहा है. सोने इस साल अबतक 120% का रिटर्न दिया है, चांदी ने 212% और कॉपर ने 65% का दमदार रिटर्न दिया है.

मेटल1 जनवरी, 2024 को भाव26 दिसंबर, 2025 को भावरिटर्न
सोना₹63,320/10 ग्राम₹1,39,216/10 ग्राम120%
चांदी₹74,390/किलो₹2,32,741/किलो212%
कॉपर₹731/किलो₹1205.40/किलो65%
Source: MCX

क्या 2026 में जारी रहेगी तेजी, ये 5 कारण समझ लीजिए

इन तीनों मेटल्स में तेजी सिर्फ स्पेकुलेशन पर नहीं है बल्कि ये ग्लोबल इकोनॉमी को नया आकार देने वाले गहरे बदलावों को दर्शाती है. इस बदलाव पीछे वो कारण कौन से हैं जिसने इन मेटल्स की चमक का बढ़ाया है. उनका जिक्र करना भी जरूरी है, क्योंकि ये वो कारण है जो साल 2026 में भी कीमतों को सपोर्ट करेंगे. क्योंकि दुनिया अनिश्चितता और बदलाव के जिस मुहाने पर खड़ी वो जल्द खत्म होने वाला नहीं है.

ग्लोबल अनिश्चितता का माहौल


सोना आमतौर पर तब सबसे तेज़ी से चढ़ता है, जब दुनिया भर में उथल-पुथल मची हो, निवेशकों को जियो-पॉलिटिक्स, ट्रेड या वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर अनिश्चितता महसूस होती हो. इस साल ऐसा माहौल बना ही रहा, जिसकी वजह से सुरक्षित निवेश की तलाश में सोने की डिमांड मजबूत रही। रूस-यूक्रेन की जंग हो, मिडिल ईस्ट में तनाव हो, अमेरिका-चीन का ट्रेड वॉर हो, ये सबकुछ अभी खत्म नहीं हुआ है, ये 2026 में भी चलेगा।

सेंट्रल बैंको की खरीदारी


सोने की मजबूती का एक सबसे बड़ा कारण ये भी रहा कि सेंट्रल बैंक्स की ओर से लगातार सोना खरीदा गया. सेंट्रल बैंक्स की सोने की खरीदारी के पीछे लॉन्ग टर्म स्ट्रैटिजी होती है, वो लंबी अवधि के लिए रिजर्व को डायवर्सिफाई करते हैं. यही वजह है कि यह मांग सामान्य निवेशक मांग की तुलना में ज़्यादा टिकाऊ मानी जाती है। जब सेंट्रल बैंक्स ही सोना खरीद रहे हैं तो निवेशक क्यों पीछे रहें. अब डिमांड ज्यादा और सप्लाई सीमित, इसी ने सोने की कीमतों को और मजबूती दी.

फेड का ब्याज दरों के लेकर नरम रवैया


जब दुनिया भर के बाजारों को लगता है कि सेंट्रल बैंक्स ब्याज दरों को लेकर नरम रवैया अपनाने वाले हैं, सोने, चांदी की डिमांड अपने आप बढ़ जाती है. क्योंकि बॉन्ड से मिलने वाला रिटर्न कम आकर्षक हो जाता है और सोना-चांदी जैसे मेटल्स रिटर्न के मामले में आकर्षक लगने लगते हैं, और ऐसा इस साल साबित भी हुआ है. जहां रिटर्न के मामले में मेटल्स ने इक्विटी, बॉन्ड्स सबको पछाड़ दिया है.

डॉलर की कमजोरी


जब अमेरिकी फेड की पॉलिसी नरम होने लगती है तो इसका सीधा असर डॉलर पर पड़ता है, डॉलर कमजोर होने लगता है, जिससे सोने और चांदी की कीमतों को सपोर्ट मिलता है और दाम बढ़ने लगते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सोना और चांदी की अंतरराष्ट्रीय कीमतें डॉलर में तय होती हैं, जैसे ही डॉलर कमजोर होता है तो दूसरे देशों कीर करेंसीज में खरीदारी सस्ती पड़ती है, जिससे वो ज्यादा सोना-चांदी खरीदते हैं, यानी डिमांड बढ़ जाती है और कीमतें ऊपर चढ़ने लगती हैं.

औद्योगिक मांग में बढ़ोतरी


पूरी दुनिया और देश में जिस तरह से इलेक्ट्रिक व्हीकल, इलेक्ट्रॉनिक्स का विस्तार हो रहा है, इसमें चांदी एक प्रमुख घटक है. ग्रीन इकोनॉमी और तकनीक से जुड़े इस्तेमाल के चलते चांदी की औद्योगिक मांग लगातार बढ़ रही है. सिल्वर इंस्टीट्यूट के मुताबिक, 2024 में औद्योगिक मांग बढ़कर 680.5 मिलियन आउंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई, जबकि बाजार में सप्लाई की बड़ी कमी भी देखने को मिली. जब डिमांड ज्यादा हो और सप्लाई उतनी तेजी से न मिले तो कीमतें तेजी से ऊपर जाती हैं. यही चांदी के साथ हो रहा है. जबकि कॉपर में तेजी सप्लाई की कमी को लेकर चिंताओं और टैरिफ जैसी पॉलिसीज की वजह से है. नरम मॉनिटरी पॉलिसी से भी कॉपर की कीमतों को सपोर्ट मिला है.

अगर यही कारण आगे भी जारी रहते हैं, तो साल 2026 में भी इन मेटल्स की चमक और बढ़ेगी, कीमतें नए रिकॉर्ड्स बनाएंगी. क्योंकि पूरी दुनिया इस वक्त ट्रेड को लेकर जूझ रही है, ब्याज दरों को लेकर सेंट्रल बैंकों का रुख बदल रहा है. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, ग्रीन एनर्जी और नई टेक्नोलॉजी के इंजन को चलाए रखने के लिए इन मेटल्स की जरूरत हमेशा बनी रहेगी.