
जीएसटी की नई दरें 22 सितंबर से लागू हो जाएंगी। (PC: Gemini)
GST 2.0 impact on manufacturing India:भारत सरकार ने GST‑2.0 सुधारों की घोषणा की है। माना जा रहा है कि इससे भारत में कन्ज्यूमर प्रोडक्ट्स का उत्पादन (GST 2.0 impact on manufacturing India) और बिक्री आधारित रोजगार दोनों को ताकत मिलेगी। यानि इससे देश भर में रोजगार के नये अवसर (new employment opportunities) पैदा होंगे और आयात पर निर्भरता घटेगी। क्वेस कॉर्प के लॉहित भाटिया के मुताबिक, कंपनियां घरेलू उत्पादों (household products) का निर्माण बढ़ाएंगी,जिससे कारोबार और नौकरियों (Jobs )में तेजी आएगी। ध्यान रहे कि महत्वपूर्ण खाने‑पीने और रोजमर्रा की वस्तुओं जैसे हेयर ऑयल, शैम्पू, टूथपेस्ट, और साबुन पर पहले 18% GST था, अब इसे घटाकर 5% कर दिया गया है। डेयरी जैसे मक्खन, घी, पनीर और स्नैक्स जैसे नमकीन भी 12% से गिर कर 5% पर आ गए हैं। इससे सामान सस्ता तो होगा ही, बजट (Budget) भी सहूलियत भरा बनेगा। जीएसटी की नई दरें 22 सितंबर से लागू हो जाएंगी।
बिन्नतून उद्योगपति स्पर्श सच्चर बताते हैं कि इन कदमों से घरेलू निर्माण (मेड–इन–इंडिया) को प्रोत्साहन मिलेगा और आयात पर निर्भरता भी घटेगी। इससे हमारी आत्मनिर्भरता और मजबूत होगी।
टीमलीज रेगटेक के सिर ऋषि अग्रवाल ने बताया कि अब दो टैक्स स्लैब — 5% और 18%, और लग्ज़री माल पर 40% — से वर्गीकरण आसान हुआ है। इससे पुराने मुश्किल नियम, उलझे हुए इनपुट टैक्स क्रेडिट, और निरंतर संघर्ष को कम किया जाएगा।
VSRK कैपिटल के स्वप्निल अग्रवाल के अनुसार, बीमा प्रीमियम से GST हटना एक ऐतिहासिक और परिवारों के लिए बहु‑ उपयोगी कदम है। वह कहते हैं कि जिससे घरेलू बचत और खर्च को प्रोत्साहन मिलेगा, और लोगों की वित्तीय चाप आसान होगी।
मेड‑इन‑इंडिया प्रोडक्शन में तेजी।
उपभोक्ता मांग बढ़ने से विनिर्माण का विस्तार।
नयी उत्पादन इकाइयों में रोजगार के अवसर, खासकर डिजिटल लॉजिस्टिक्स और लाइफ साइंस जैसे क्षेत्रों में।
GST 2.0 की घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर जनता और इंडस्ट्री से मिले-जुले रिएक्शन देखने को मिले।
साधारण लोग इस बात से खुश हैं कि शैम्पू, टूथपेस्ट और घी जैसी रोज़मर्रा की चीज़ें सस्ती होंगी।
वहीं, कुछ अर्थशास्त्रियों ने इसे "चुनावी झटका" बताते हुए सवाल खड़े किए हैं कि क्या ये सुधार टिकाऊ हैं या सिर्फ तात्कालिक राहत?
क्या GST 2.0 से टैक्स कलेक्शन में गिरावट आएगी ?
राज्यों की राजस्व क्षति पर केंद्र सरकार क्या योजना बना रही है?
क्या अगला कदम पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाना होगा?
कम टैक्स दर से जहां मुनाफा बढ़ सकता है, वहीं GST रिटर्न की जटिलता अब भी सिरदर्द बनी हुई है।
डायपर, सैनिटरी प्रोडक्ट्स और किचन आइटम्स सस्ते होने से घरेलू बजट को राहत मिलेगी।
अहम बात: क्या GST‑2.0 भारत की अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार देगा ?
बहरहाल भारत सरकार ने कर दरों में सुधार करके जीवनशैली और व्यापार दोनों को सरल बनाने की कोशिश की है। सस्ता सामान, बेहतर कर नियम, और अधिक आत्मनिर्भरता, इनसे अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिल सकती है।
Updated on:
04 Sept 2025 08:12 pm
Published on:
04 Sept 2025 08:11 pm
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