
GST--बोगस फर्मो से 80 करोड़ का लेनदेन उजागर
नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (GST) को लागू किए चार वर्ष पूरे हो गए हैं। जीएसटी ने पिछले कुछ महीनों से देश को अच्छा राजस्व दिया है, लेकिन इसकी पूर्ण क्षमता का दोहन बाकी है।
विशेषज्ञों ने जीएसटी को कई मानदंड़ों की कसौटी पर कसा है, लेकिन सरकार के नजरिए से इसकी सफलता का सबसे अहम पैमाना यह है कि क्या जितनी उम्मीद थी, उतनी धनराशि इससे जुटाई जा सकी। 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी से यह उम्मीद लगाई गई थी कि उससे मध्यम अवधि के कर जीडीपी अनुपात में सुधार होगा और राज्यों को अधिक केन्द्रीय हस्तांतरण होंगे। हालांकि इसमें जीएसटी फिलहाल लक्ष्य से काफी पीछे है।
उम्मीद से कम राजस्व
एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू हुआ था। वर्ष 2018-19 में जब बजट पेश किया गया तो केन्द्र को उम्मीद थी कि जीएसटी से 7.44 लाख करोड़ रुपए की कमाई होगी। आखिर में कमाई हुई 5.82 लाख करोड़ रुपए की, जो कि लक्ष्य से 21.8 फीसदी कम थी।
हासिल नहीं हो पाया लक्ष्य
जीएसटी का लक्ष्य फिलहाल हासिल नहीं किया जा सका है। इसका मुख्य लक्ष्य था, कर - जीडीपी अनुपात को बढ़ाना या सरकार को अधिक टैक्स हासिल करने में मदद करना। सरकार ने वर्ष 2018-19 से जीएसटी पर इस मकसद से काम करना शुरू कर दिया था कि जीडीपी का 3.9 फीसदी टैक्स जमा कर पाएंगे, लेकिन तीन साल बाद भी जीडीपी के 2.8 फीसदी के बराबर टैक्स जमा कर पाए हैं।
फर्जी इनवॉयस सबसे बड़ी मुसीबत
जीएसटी प्रणाली लागू हुई तो फर्जी इनवॉयस का कारोबार भी शुरू हो गया। कंपनियों और लोगों ने फर्जी खर्च दिखाने के लिए फर्जी इनवॉयस बनाने शुरू कर दिए। लोकसभा में एक सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि जुलाई 2017 और दिसंबर 2020 के बीच जाली इनवॉयस के 3,852 मामले दर्ज किए गए। इनमें 35,620 करोड़ रुपए के इनपुट टैक्स क्रेडिट की चोरी की गई।
Published on:
02 Jul 2021 07:24 am
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