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25,000 के प्रीमियम पर हो जाएगी 4500 की बचत, आपकी LIC पॉलिसी कितनी होगी सस्ती? यहां समझिए

LIC Policy After GST: सरकार ने इंश्योरेंस पॉलिसीज पर जीएसटी को जीरो कर दिया है। इसका असर एलआईसी की इंश्योरेंस पॉलिसीज के प्रीमियम पर भी पड़ेगा।

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LIC Policy

एलआईसी पॉलिसी खरीदना अब होगा सस्ता

लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर सरकार ने बड़ी राहत दी है। सरकार ने इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम पर जीएसटी को जीरो कर दिया है। यानी अब आपको इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी नहीं देना होगा। सभी इंडिविजुअल यूलिप प्लान्स, फैमिली फ्लोटर प्लान्स और टर्म प्लान्स को जीएसटी के दायरे से बाहर कर दिया गया है। अब कई लोगों के मन में यह सवाल है कि जीएसटी हटने से उनकी एलआईसी पॉलिसी का प्रीमियम कितना सस्ता होगा।

एंडोमेंट पॉलिसीज में कितना कम होगा प्रीमियम?

एलआईसी की एंडोमेंट पॉलिसीज में पहले साल के प्रीमियम पर अभी 4.5 फीसदी प्रीमियम देना होता है। एलआईसी के एक सीमियर अधिकारी ने बताया कि 22 सिंतबर से यह प्रीमियम नहीं देना होगा। मान लीजिए अगर प्रीमियम की रकम 15000 रुपये है, तो अभी 675 रुपये जीएसटी के भी देने होते हैं, 22 सितंबर के बाद से यह पैसा नहीं देना होगा।

एंडोमेंट पॉलिसीज में एक साल के बाद प्रीमियम पर अभी 2.25 फीसदी जीएसटी लगता है। यानी 15000 रुपये प्रीमियम की रकम है, तो 337 रुपये जीएसटी देना होता है। 22 सितंबर से यह जीएसटी नहीं देना होगा।

टर्म और हेल्थ इंश्योरेंस पर प्रीमियम

अधिकारी ने बताया कि टर्म और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर अभी 18 फीसदी जीएसटी लगता है, जो 22 सिंतबर से नहीं लगेगा। यानी किसी व्यक्ति की टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी का सालाना प्रीमियम 25,000 रुपये है, तो वो अभी 4500 रुपये जीएसटी देता है। इस तरह ग्राहक को कुल 29,500 रुपये देने होते हैं। लेकिन 22 सितंबर से सिर्फ 25,000 रुपये ही देने होंगे।

क्या इनपुट टैक्स क्रेडिट का पड़ेगा असर?

एलआईसी में सरकार की भी हिस्सेदारी है। ऐसे में सरकार चाहेगी कि जीएसटी हटने का पूरा फायदा ग्राहकों को मिले। ऐसे में इस बात की बहुत कम संभावना है कि एलआईसी इनपुट टैक्स क्रेडिट का बोझ ग्राहकों पर डाले।

क्या होता है इनपुट टैक्स क्रेडिट?

जीएसटी रिजीम के तहत इंश्योरेंस कंपनियों को ऑपरेशनल एक्टिविटीज पर भुगतान किये गए टैक्स को ग्राहकों से कलेक्ट किये गए टैक्स के अगेंस्ट एडजस्ट करने की अनुमति होती है। जो डिफरेंस बचता है, उसका भुगतान कंपनियां सरकार को कर देती हैं। 22 सिंतबर से बीमा कंपनियों के पास प्रीमियम के साथ कोई जीएसटी नहीं आएगा। बीमा कंपनियों के पास कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट उपबल्ध नहीं होगा। आईटीसी नहीं होने की स्थिति में बीमा कंपनी लोस्ट आईटीसी को ग्राहक पर अतिरिक्त लागत के रूप में ट्रांसफर कर सकती हैं।