मामले में पुलिस का कहना है कि कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड ने बाजार नियामक सेबी के नियमों को तोड़ा है। केएसबीएल ने अपने छह बैंकर्स के शेयर गिरवी रखकर फंड जुटाया था लेकिन इन पैसों को स्टॉक ब्रोकर क्लाइंट खाते में नहीं डाला। बल्कि फर्म के व्यक्तिगत बैंक खाते में ट्रांसफर किया गया। जांच के लिए इस मामले को साइबराबाद की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग को भेजा गया है। इतना ही नहीं, जांच के लिए एक विशेष टीम का भी गठन किया गया है।
ये भी पढ़ें: Petrol-Diesel Price Today : 7 दिन में 90 पैसे तक सस्ता हुआ डीजल, जानिए पेट्रोल में कितनी हुई कटौती
इस मामले को साइबराबाद की आर्थिक अपराध शाखा में स्थानांतरित कर दिया गया है। इसकी जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन करा गया है। गौरतलब है कि पार्थसारथी को एक अन्य मामले में भी 19 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था।
क्यों हुई गिरफ्तारी
बीते दिनों संयुक्त पुलिस आयुक्त (जासूसी विभाग) अविनाश मोहंती ने जानकारी दी कि सी.पार्थसारथी को 2019 में इंडसइंड बैंक से लिए दिया कर्ज न चुकाने और निधि को किसी दूसरे बैंक को देने के आरोप में गिरफ्तार करा गया है। एचडीएफसी बैंक ने उनके खिलाफ दो ऐसे मामले दर्ज किए हैं।
बैंकों की शिकायत के अनुसार पार्थसारथी के कार्वी समूह ने गैरकानूनी तरीके से अपने ग्राहकों के शेयर गिरवी रखे और कर्ज लिया। कर्ज राशि को दूसरी कंपनियों को दिया गया और कर्ज का भुगतान करा गया। एचडीएफसी बैंक ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि कार्वी ने 350 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की जबकि इंडसइंड बैंक से 237 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की है।