
( SEBI ) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने खुदरा और निवेशकों की सुरक्षा के लिए कई नियमों में बदलाव किए हैं। बदले गए इस नियम के कारण आईपीओ और म्यूचुअल फंड में पैसा निवेश करने वाले निवेशकों पर जोखिम कम होगा सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने निवेशकों की निकासी सीमा और समय तय करने के साथ जुटाए गए फंड के सही इस्तेमाल हो इसके लिए भी नियम बनाए हैं।अजय त्यागी ( भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ) के चेयरमैन की अध्यक्षता में हुई बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा सार्वजनिक निर्गम को लेकर रहा।
आईपीओ के लिए सबसे जरूरी माने जाने वाले एंकर निवेशकों की लॉक इन सीमा 30 दिन से बढ़ाकर 90 दिन कर दिया गया है। जबकि उनकी निकासी सीमा भी 50% तय कर दी गई है। Initial Public Offering ( IPO ) से फंड जुटाने वाली कंपनियां अब सिर्फ 25 प्रतिशत का इस्तेमाल इन-ऑर्गेनिक कार्यों में कर सकेंगे। जबकि 75 प्रतिशत राशि उन्हें कारोबार के बढ़ावा में लगाना पड़ेगा।
नियमों में बदलाव से निवेशकों पर पड़ने वाला असर
किसी भी आईपीओ में 20% से ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाले शेयर होल्डर या एंकर निवेशक अब अपना पूरा हिस्सा नहीं बेच सकेंगे। ऐसे शेयर होल्डर सूचीबद्ध के दिन कुल हिस्सेदारी का 50% ही बेच पाएंगे। इस फैसले से स्टॉक के मूल्य में भारी उतार-चढ़ाव पर रोक लग सकेगा और निवेशको पर आने वाले जोखिम भी घटेंगा।
आईपीओ के मूल्य बैंड के नियमों में हुए बदलाव के कारण इसका दायरा बढ़ा दिया गया है। अब किसी भी आईपीओ का फ्लोर प्राइस और अपर प्राइस के बीच का अंतर कम से कम 105% रहेगा। आईपीओ का मानना है कि कंपनियों की ओर से हाल ही में पेश किए गए आईपीओ के प्राइस बैंड का दायरा काफी छोटा था। प्राइस बैंड वह दायरा होता है जिसके बेस पर निवेशक किसी भी आईपीओ की बोली लगाता है।
यह भी पढ़ें :
नए साल से बदल जाएंगे GST के नियम, जानिए किन चीजों के खरीद पर पड़ेगा असर
विशेष स्थिति फंड
जोखिम वाली संपत्तियों में पैसा लगाने के इच्छुक निवेशकों के लिए भी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने विशेष स्थिति फंड का उपाय किया है। इसका न्यूनतम कॉर्पस 100 करोड़ होगा, जबकि न्यूनतम निवेश 5 करोड़ और 10 करोड़ रुपया होगा। ये सारे फंड जोखिम वाली संपत्तियों में ही निवेश किए जाएंगे।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ( SEBI ) ने विदेशी निवेशकों से जुड़े नियमों में भी बदलाव किए हैं। अब एफपीओ का पंजीकरण करते समय सामान्य जानकारियों के साथ विशेष पंजीकरण संख्या भी दी जाएगी। इससे निवेशक की ओर से डुप्लीकेट शेयर की मांग करने पर डीमेट के रूप में प्रतिभूतियों को जारी किया जा सकेगा। इस नए कदम से निवेशकों के लिए लेनदेन सुगम हो जाएगा और उनकी सुरक्षा भी बढ़ेगी।
Updated on:
29 Dec 2021 09:37 am
Published on:
29 Dec 2021 09:34 am
बड़ी खबरें
View Allकारोबार
ट्रेंडिंग
