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Adani और Ambani ने मिलाया हाथ, आखिर क्यों साथ आए दो दिग्गज बिजनेस ग्रुप?

Adani Ambani Deal Done: गौतम अडानी और मुकेश अंबानी के बीच एक बड़ा सौदा हुआ है। यह दूसरी बार है जब इन दो कारोबारी दिग्गजों की कंपनियों ने सौदा किया है।

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भारत

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Devika Chatraj

Jun 26, 2025

Mukesh Ambani -Gautam Adani (पत्रिका)

Mukesh Ambani Gautam Adani Deal: भारत के दो सबसे बड़े बिजनेस दिग्गज, मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) और गौतम अडानी (Gautam Adani) ने एक बार फिर अपने कारोबारी साम्राज्य को और मजबूत करने के लिए हाथ मिलाया है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के जियो-बीपी (Jio BP) और अडानी टोटल गैस लिमिटेड (ATGL) के बीच हुई ताजा साझेदारी ने भारतीय ईंधन रिटेल बाजार में हलचल मचा दी है। यह दोनों उद्योगपतियों के बीच दूसरा बड़ा व्यावसायिक सहयोग है, जिसका उद्देश्य देश में उच्च गुणवत्ता वाले ईंधन की पहुंच को बढ़ाना और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं प्रदान करना है।

साझेदारी का क्या है मकसद?

इस साझेदारी के तहत, जियो-बीपी और अडानी टोटल गैस अपने-अपने रिटेल नेटवर्क का लाभ उठाकर पेट्रोल, डीजल और सीएनजी की बिक्री करेंगे। जियो-बीपी के पेट्रोल पंपों पर अब अडानी टोटल गैस की सीएनजी उपलब्ध होगी, जबकि अडानी टोटल गैस के चुनिंदा सीएनजी स्टेशनों पर जियो-बीपी का पेट्रोल और डीजल बिकेगा। इस समझौते से दोनों कंपनियां अपने नेटवर्क का विस्तार करेंगी और ग्राहकों को एक ही स्थान पर सभी प्रकार के ईंधन उपलब्ध कराएंगी।

सरकारी तेल कंपनियों को टक्कर

जियो-बीपी के पास वर्तमान में देशभर में 1,972 पेट्रोल पंप हैं, जबकि अडानी टोटल गैस 34 भौगोलिक क्षेत्रों में 650 से अधिक सीएनजी स्टेशन संचालित करती है। इस सहयोग से दोनों कंपनियां न केवल अपनी पहुंच बढ़ाएंगी, बल्कि सरकारी तेल कंपनियों जैसे इंडियन ऑयल, बीपीसीएल और एचपीसीएल, जो देश के 90% से अधिक पेट्रोल पंपों पर नियंत्रण रखती हैं, को कड़ी टक्कर देंगी।

पहले भी देखा गया साथ

यह पहली बार नहीं है जब अंबानी और अडानी ने एक-दूसरे के साथ साझेदारी की हो। इससे पहले मार्च 2024 में, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने मध्य प्रदेश में अडानी पावर के एक प्रोजेक्ट में 26% हिस्सेदारी खरीदी थी और 500 मेगावाट बिजली की खरीद के लिए समझौता किया था। यह साझेदारी ऊर्जा क्षेत्र में दोनों समूहों के बीच सहयोग का पहला कदम थी।

कस्टमर को क्या फायदा?

बेहतर पहुंच: एक ही स्थान पर पेट्रोल, डीजल और सीएनजी की उपलब्धता।

गुणवत्ता: दोनों कंपनियां उच्च गुणवत्ता वाले ईंधन की आपूर्ति पर जोर दे रही हैं।

प्रतिस्पर्धी कीमतें: बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण ईंधन की कीमतों में कमी की संभावना।

बाजार पर क्या होगा असर?

यह साझेदारी भारतीय ईंधन रिटेल बाजार में एक बड़ा बदलाव ला सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न केवल उपभोक्ताओं को बेहतर ईंधन विकल्प मिलेंगे, बल्कि बाजार में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी। दोनों कंपनियां रिटेल कीमतों पर छूट देकर ग्राहकों को आकर्षित करने की रणनीति अपना सकती हैं, जिससे सरकारी और निजी कंपनियों के बीच मुकाबला और तेज होगा। इसके अलावा, यह सहयोग दोनों समूहों के बीच लंबे समय से चली आ रही प्रतिद्वंद्विता को कम करने का संकेत भी देता है। ऊर्जा क्षेत्र में एक-दूसरे के खिलाफ माने जाने वाले ये दोनों दिग्गज अब साझेदारी के रास्ते पर चल पड़े हैं, जिससे भारतीय कारोबारी परिदृश्य में एक नया अध्याय शुरू हो सकता है।

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