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PM Kisan Samman Yojana में इस बार आने वाली किस्त का नंबर 20वां होगा। इसके जून 2025 या जुलाई 2025 में आने की उम्मीद है। PM Kisan Samman Yojana दिसंबर 2018 में लॉन्च हुई। इसका मकसद था कि छोटे किसानों को खेती का सामान खरीदने में मदद मिले और खेती में आधुनिक तकनीक को अपनाया जा सके। इसके तहत हर साल 6000 रुपये की राशि 3 किस्त में किसानों के बैंक खाते में दी जाती है। देश के अलग-अलग हिस्सों में हुई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि योजना शुरू होने के 5 साल बाद किसानों को कृषि संबंधी कामकाज में 6000 रुपये की सालाना मदद खास सहयोग नहीं कर पा रही है। किसान इस मदद का 50 से 83 फीसदी तक खर्च कृषि कार्य पर कर रहे हैं। बाकी रकम उनके घरेलू खर्च में चली जा रही है। औसत खर्च के ये आंकड़े PM Kisan Samman Yojana के 2020 से 2023 के बीच आईं किस्तों के आधार पर हैं।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के एग्रो इकोनॉमिक रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के 4 जिलों में 120 लाभार्थियों (PM Kisan Samman Yojana Beneficiary) और 120 गैर-लाभार्थियों पर बनी है। स्टडी को कृषि मंत्रालय ने कराया था। स्टडी के अनुसार, लाभार्थियों की सालाना औसत कृषि आय 48,334 रुपये रही, जबकि गैर-लाभार्थियों की 43,573 रुपये। यानी PM Kisan Samman Yojana से सिर्फ 9.85% की बढ़त मिली। इसके अलावा फसल उत्पादन में पैडी की प्रति हेक्टेयर उपज में 3.08% और गेहूं में 1.93% की बढ़त देखने को मिली। यह दिखाता है कि योजना ने थोड़ा फायदा तो पहुंचाया है। वहीं किसानों ने PM Kisan Samman Yojana का खेती में जो पैसा खर्च किया, उसमें 40.82% जुताई, 22.69% खाद और 21.01% बीजों था। यानी किसान जरूरत की चीजों पर पैसा लगा रहे हैं, लेकिन कुछ हिस्से का दुरुपयोग भी हो रहा है। यह स्टडी वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 की PM Kisan Samman Yojana की किस्तों के आधार पर हुई।
यूपी के Meerut College की टीम की 2023 की रिसर्च 550 किसानों के सैंपल पर आधारित है। यह स्टडी मेरठ, सहारनपुर और अलीगढ़ डिविजनों के 7 जिलों और 35 गांवों में की गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक 48% किसान ने PM Kisan Samman Yojana की रकम खेती की बजाय घर चलाने में खर्च की। केवल 42% रकम कृषि में गई, जिसमें बीज, खाद, सिंचाई, बिजली, किराये के उपकरण शामिल थे।
| जमीन के आकार के अनुसार खर्च का पैटर्न | ||
| किसान वर्ग | खेती पर खर्च | घरेलू खर्च |
| मार्जिनल (<1 हे.) | 46.00% | 47.00% |
| स्मॉल (1-2 हे.) | 17.00% | 83.00% |
| सेमी-मीडियम (2-4 हे.) | 14.00% | 72.00% |
| मीडियम (4-10 हे.) | 50% | 38% |
रिपोर्ट में बताया गया है कि छोटे किसानों की पहली प्राथमिकता घरेलू जरूरत है। उनके पास खेती में निवेश की गुंजाइश कम है। जैसे-जैसे जमीन का आकार बढ़ता है, वैसे-वैसे खेती में खर्च का प्रतिशत भी बढ़ता है।
| पैसे का बंटवारा : आंकड़ों में साफ तस्वीर | ||
| खर्च का उपयोग | लाभार्थियों का प्रतिशत | कुल खर्च (रुपये में) |
| घरेलू खर्च (खाद्य, शिक्षा, मेडिकल आदि) | 48.00% | 51,74,400 |
| उर्वरक (फर्टिलाइज़र) | 20.14% | 21,71,092 |
| बीज | 14.07% | 15,16,747 |
| सिंचाई | 8% | 8,08,500 |
| बिजली बिल (घर/ट्यूबवेल) | 10% | 10,78,000 |
| कृषि उपकरण खरीद/किराया | 0.40% | 43,120 |
| कुल खर्च | 100% | 1,07,80,000 |
जिन किसानों की आमदनी सिर्फ खेती से है, उनका औसत मासिक खर्च 16,800 रुपये है जबकि आमदनी 12,091 रुपये ही है। यानी हर महीने 4,709 रुपये का घाटा हो रहा है। इस अंतर को पूरा करने में 6000 रुपये सालाना की PM Kisan Samman Yojana सहायता नाकाफी साबित हो रही है।
महाराष्ट्र के परबानी में स्थित वीएनएमकेवी यूनिवर्सिटी की दिसंबर 2024 की प्रकाशित रिपोर्ट में महाराष्ट्र के मराठवाड़ा के बीड और नांदेड जिलों के 6 तालुके के 30 गांव के 300 लाभार्थी किसानों पर वित्त वर्ष 2021-22 और 2022-23 की किस्त मिलने के बाद अध्ययन हुआ।
| 2021-22 में खर्च का ट्रेंड | ||
| किस्त | कृषि पर खर्च | गैर-कृषि खर्च |
| पहली (अप्रैल-जुलाई) | 58.33% | 41.67% |
| दूसरी (अगस्त-नवंबर) | 52.66% | 54.00% |
| तीसरी (दिसंबर-मार्च) | 15.00% | 78.33% |
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रिपोर्ट में आंकड़ों से यह साफ हो गया जो किस्त साल की शुरुआत में मिल रही थी उसका 52 से 68 फीसदी तक का हिस्सा खेती पर खर्च हो रहा था। लेकिन साल के अंत में आने वाली किस्त घरेलू खर्चों में खर्च हो जाती है। यानी साल की तीसरी किस्त सबसे ज्यादा घरेलू खर्च में जाती है क्योंकि ये खेती के लिए ऑफ सीजन है।
| 2022-23 में खर्च का ट्रेंड: | ||
| किस्त | कृषि पर खर्च | गैर-कृषि खर्च |
| पहली | 68.33% | 31.67% |
| दूसरी | 80.33% | 19.67% |
| तीसरी | 28.67% | 71.33% |
रिपोर्ट के अनुसार अब गैर-कृषि खर्च यानी राशन, पशु आहार, स्वास्थ्य, बच्चों की पढ़ाई PM Kisan Samman Yojana की प्रमुख प्राथमिकता बन गए हैं।
Updated on:
27 Jun 2025 01:57 pm
Published on:
26 Jun 2025 07:35 pm
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