
ओमान के सुल्तान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (फोटो: AI Generated)
India-Oman CEPA: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिसंबर 2025 की ओमान यात्रा (PM Modi Muscat Visit) ने मध्य-पूर्व में भारत की कूटनीतिक और आर्थिक पकड़ को एक नई ऊंचाई दी है। 17-18 दिसंबर की यह दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा न केवल दोनों देशों के बीच 70 साल के कूटनीतिक रिश्तों का जश्न है, बल्कि यह भविष्य के 'सशक्त भारत-ओमान' (India Oman CEPA 2025) की नींव भी है। इस दौरे का सबसे बड़ा आकर्षण व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA) है, जिसके जल्द ही हकीकत बनने की उम्मीद है। भारत और ओमान के बीच आर्थिक संबंध केवल तेल तक सीमित नहीं हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में दोनों देशों के बीच व्यापार का आंकड़ा 10.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। हालांकि भारत का आयात (6.5 अरब डॉलर) निर्यात (4 अरब डॉलर) से अधिक है, लेकिन ओमान आज खाड़ी क्षेत्र में भारत का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य बन चुका है। भारत यहाँ से मुख्य रूप से पेट्रोलियम और यूरिया आयात करता है, जबकि मशीनरी, चावल और दवाओं का बड़े पैमाने पर निर्यात करता है।
प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (CEPA) दोनों देशों के लिए व्यापारिक बाधाओं को खत्म करने का काम करेगा।
सस्ता निर्यात: सीमा शुल्क कम होने से भारतीय उत्पाद ओमान के बाजारों में अन्य देशों के मुकाबले अधिक प्रतिस्पर्धी होंगे।
ऊर्जा सुरक्षा: भारत के लिए ओमान से उर्वरक और हाइड्रोकार्बन का आयात आसान और सस्ता हो जाएगा।
प्रवेश द्वार: ओमान की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहां से भारतीय कंपनियां अफ्रीका और मध्य एशिया के बाजारों तक अपनी पहुंच बना सकती हैं।
भारत का कपड़ा उद्योग दुनिया भर में अपनी गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। वर्तमान में ओमान को होने वाला 60-70 मिलियन डॉलर का टेक्सटाइल निर्यात CEPA के बाद कई गुना बढ़ सकता है। ओमान में भारतीय रेडीमेड गारमेंट्स की भारी मांग है, जिससे भारत में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए भी ओमान एक उभरता हुआ बाजार है। भारतीय कारें और स्पेयर पार्ट्स अब ओमान की सड़कों पर अधिक दिखाई देंगे। साथ ही, दोनों देश 'ग्रीन एनर्जी' और इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के क्षेत्र में तकनीकी साझाकरण पर भी सहमत हुए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारिक के बीच रक्षा और समुद्री सुरक्षा चर्चा का अहम विषय है। हिंद महासागर में शांति बनाए रखने के लिए ओमान भारत का सबसे पुराना और भरोसेमंद रणनीतिक साझेदार है। तकनीकी सहयोग, कृषि और अंतरिक्ष विज्ञान जैसे क्षेत्रों में भी नए समझौतों पर सहमति बनी है।
ओमान में रहने वाले 7 लाख से अधिक भारतीय दोनों देशों के बीच एक जीवंत सेतु का काम करते हैं। पीएम मोदी ने प्रवासी भारतीयों के योगदान की सराहना की है। डॉक्टरों से लेकर कुशल श्रमिकों तक, भारतीय समुदाय ओमान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बना हुआ है। मोदी जी की इस यात्रा से ओमान में रह रहे भारतीयों में एक नया उत्साह और गौरव का भाव भरा है।
भारत और ओमान के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement - FTA), जिसे तकनीकी भाषा में व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA) कहा जा रहा है, दोनों देशों के आर्थिक इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा । यहां इस समझौते से जुड़ी मुख्य बातें और इसके दूरगामी प्रभावों का आसान विश्लेषण किया गया है।
वर्तमान में भारत से ओमान जाने वाले कई उत्पादों पर आयात शुल्क (Import Duty) लगता है। यह समझौता लागू होते ही भारत के 90% से अधिक उत्पादों को ओमान के बाजार में 'ड्यूटी-फ्री' यानि बिना किसी सीमा शुल्क के प्रवेश मिलेगा। इससे भारतीय सामान वहां सस्ते होंगे और उनकी मांग बढ़ेगी।
टेक्सटाइल और परिधान: भारतीय कपड़ों के लिए ओमान एक बड़ा हब बन सकता है। यहां से हम खाड़ी के अन्य देशों में भी सप्लाई कर सकेंगे।
इंजीनियरिंग और मशीनरी: भारत के ऑटो पार्ट्स, लोहे और स्टील के सामान की लागत कम होगी।
कृषि उत्पाद: चावल, मसालों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों (Processed Food) के निर्यात में भारी उछाल आने की उम्मीद है।
फार्मास्युटिकल्स: भारतीय दवाओं को ओमान के स्वास्थ्य क्षेत्र में प्राथमिकता मिलेगी।
भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए ओमान पर काफी हद तक निर्भर है। FTA के माध्यम से
भारत को कच्चा तेल (Crude Oil) और एलएनजी (LNG) की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
ओमान भारत को यूरिया और उर्वरक का बड़ा निर्यातक है। इस समझौते से भारतीय किसानों को सस्ती खाद मिलने का रास्ता साफ होगा।
ओमान भारत के 'सॉफ्टवेयर' और 'आईटी' क्षेत्र में निवेश करना चाहता है, जबकि भारतीय कंपनियां ओमान में 'ग्रीन हाइड्रोजन' और 'लॉजिस्टिक्स' के क्षेत्र में पैसा लगा रही हैं।
रोजगार: जब निर्यात बढ़ेगा, तो भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में लाखों नए रोजगार पैदा होंगे।
स्टार्टअप्स: भारतीय फिनटेक और डिजिटल पेमेंट्स (जैसे UPI) को ओमान के बाजार में विस्तार मिलेगा।
ओमान की भौगोलिक स्थिति रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। यह समझौता भारत को केवल ओमान तक सीमित नहीं रखेगा, बल्कि इसके माध्यम से भारत की पहुंच जीसीसी (GCC) देशों, अफ्रीकी देशों और यूरोप तक आसान हो जाएगी।
भारत-ओमान FTA केवल कागजों पर एक व्यापारिक सौदा नहीं है, बल्कि यह "समान विकास" की एक साझा दृष्टि है। जहां ओमान को अपनी अर्थव्यवस्था तेल से हट कर विविधता देने में मदद मिलेगी, वहीं भारत को एक भरोसेमंद वैश्विक साझेदार और विशाल बाजार मिलेगा।
बहरहाल, पीएम मोदी की यह ओमान यात्रा केवल एक औपचारिक दौरा नहीं, बल्कि आर्थिक समृद्धि का एक नया रोडमैप है। CEPA के लागू होने के बाद उम्मीद की जा रही है कि आने वाले 5 वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार दोगुना हो जाएगा। यह दोस्ती न केवल भारत की ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित करेगी बल्कि 'मेक इन इंडिया' उत्पादों को विश्व पटल पर एक नया मुकाम देगी।
Updated on:
18 Dec 2025 02:01 pm
Published on:
18 Dec 2025 01:59 pm
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