
क्विक कॉमर्स कंपनियां छोटे शहरों में तेजी से अपना नेटवर्क फैला रही हैं। (PC: Pexels)
पहले महानगरों में ई-कॉमर्स कंपनियां और बड़े रिटेल स्टोर्स ने स्थानीय किराना दुकानदारों का बिजनेस चौपट किया, फिर क्विक कॉमर्स यानी 10 मिनट में घर तक सामान पहुंचाने वाली कंपनियों ने किराना दुकानदारों के जले पर और नमक छिडक़ा। अब छोटे-शहरों में भी क्विक कॉमर्स कंपनियां छोटे किराना दुकनादारों का बिजनेस खा रही हैं। एमके ग्लोबल की रिपोर्ट के मुताबिक, क्विक कॉमर्स कंपनियां अब जयपुर, कानपुर, वाराणसी, पटना, भोपाल, उदयपुर, अमृतसर, मंगलुरु, वारंगल, सेलम, कोच्चि जैसे छोटे शहरों (टियर-2) के साथ टियर-3 शहरों में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है। अब इन शहरों में भी लोग तेजी से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जरूरी सामान मंगवाने लगे हैं। कई कंपनियों का नेटवर्क 100 से अधिक छोटे शहरों में फैल चुका है।
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में क्विक कॉमर्स कंपनियों से सामान मंगाने वाला हर चार नए ग्राहकों में से एक टियर 2 और टियर 3 शहरों से था। अगर यह ट्रेंड और मजबूत होता है, तो क्विक कॉमर्स कंपनियों के लिए नए बाजार खोल सकता है। ये कंपनियां अपने विस्तार की रणनीति में बड़ा बदलाव कर सकती हैं। लेकिन इससे स्थानीय किराना दुकानों का कारोबार चौपट होने की आशंका है। ग्राहकों का यह व्यवहार दर्शाता है कि क्विक कॉमर्स अब प्रीमियम सेवा नहीं, बल्कि मुख्य आवश्यकता बन रही है। छोटे शहरों में मांग बढऩा क्विक कॉमर्स के लिए सकारात्मक संकेत हैं। यदि कंपनियां लॉजिस्टिक्स और मूल्य निर्धारण का सही संयोजन खोज लें तो क्विक कॉमर्स का बाजार कई गुना बढ़ा सकता है।
क्विक कॉमर्स सेवा अब तक केवल महानगरों और बड़े शहरों तक ही सीमित थी। इसका कारण यह है कि इस मॉडल को सफल बनाने के लिए तेज डिलीवरी नेटवर्क की जरूरत होती है। छोटे गोदामों की भी जरूरत होती है, जिनके जरिए उच्च मांग वाले क्षेत्रों में तेजी से डिलीवरी की जा सके। इसके अलावा मेट्रो शहरों में लोगों की खरीदने की क्षमता ज्यादा होती है और वे सुविधा के लिए अतिरिक्त रकम देने को भी तैयार रहते हैं। टियर-2 शहरों में अब तक इसका अभाव था। पर एमके ग्लोबल की रिपोर्ट के मुताबिक, छोटे शहरों में क्विक कॉमर्स के लिए स्थितियां तेजी से बदल रही हैं।
छोटे शहरों के लोग अब इन ऐप्स पर मिलने वाले ज्यादा उत्पाद विकल्पों और सुविधाओं के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। जहां स्थानीय किराना दुकानों में आमतौर पर औसतन 1,000 वस्तुएं मिलती हैं, वहीं क्विक कॉमर्स ऐप्स पर 8,000 तक वस्तुएं उपलब्ध हो जाती हैं। छोटे शहरों में गोदाम चलाने की लागत जैसे किराया और कर्मचारियों का वेतन कम है, इसलिए कम ऑर्डर में भी मुनाफा निकलने लगा है।
Published on:
18 Jul 2025 10:10 am
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