
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने गोवा मडगाम अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। इस फैसले के बाद मडगाम को-ऑपरेटिव बैंक को किसी भी तरह का बैंकिंग कारोबार करने का अधिकार नहीं रह गया है। आरबीआई ने गोवा रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव सोसायटी से कहा है कि वह कम से कम समय में आदेश जारी कर ऑर्डर जारी कर एक लिक्विडेटर को नियुक्त करे।
जमाकर्ताओं का नहीं होगा नुकसान
गोवा मडगाम अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक की ओर से जो डेटा जमा किया गया है उसके मुताबिक 99 फीसदी जमाकर्ताओं को एक भी रुपए का नुकसान नहीं होगा। उन्हें जमा राशि का पूरा-पूरा इंश्योरेंस के तहत मिल जाएगा। DICGC Act, 1961 यानी डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी को-ऑपरेशन के तहत खाताधारकों को इंश्योरेंस का लाभ मिलता है। लाइसेंस रद्द को लेकर आरबीआई की ओर से कहा गया है कि बैंक के पास ऑपरेशन के लिए पर्याप्त कैपिटल नहीं था। इसके अलावा कमाई को लेकर भी भविष्य धुंधला दिख रहा है। इसके अलावा बैंक rbi के मानकों का पालन नहीं करता है।
कुछ महीनों में एक दर्जन बैंकों का लाइसेंस रद्द
पिछले कुछ समय से भारतीय रिजर्व बैंक के निशाने पर देश के वे सभी बैंक हैं जहां संचालन ठीक से नहीं हो रहा है या फिर नहीं किया जा रहा है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पिछले कुछ महीनों में करीब एक दर्जन कमजोर को-ऑपरेटिव बैंकों का लाइसेंस रद्द किया है। साथ ही बैंक प्रबंध के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं।
1 दिन पहले मोदी कैबिनेट ने लिया था बड़ा फैसला
एक पहले यानि बुधवार को ही मोदी कैबिनेट ने डिपॉजिटर इंश्योरेंस को लेकर बड़ा फैसला लिया था। कैबिनेट की बैठक में डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन यानी DICGC एक्ट 1961 में संशोधन को को मंजूरी दी गई थी। इसके तहत किसी बैंक के डूबने या बंद होने पर डिपॉजिटर्स को 90 दिन के भीतर पैसा मिल जाएगा। यह अधिकतम राशि 5 लाख होगी जो पहले केवल 1 लाख रुपए थी।
Updated on:
29 Jul 2021 09:06 pm
Published on:
29 Jul 2021 09:05 pm
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