“क्या आप इन लिंक को अपने इनबॉक्स में प्राप्त कर रहे हैं? स्टीयर क्लियर! इन फ़िशिंग लिंक पर क्लिक करने से आपकी व्यक्तिगत और सीक्रेट जानकारी गलत हाथों में जा सकती है. सतर्क रहें. क्लिक करने से पहले सोचें.”
– मेल या मैसेज में यूजर को हाइपरलिंक पर क्लिक करने के लिए कहा जाता है।
– यूजर जैसे ही हाइपरलिंक पर क्लिक करता है उसे एक फर्जी वेबसाइट पर ले जाया जाता है।
– यह साइट किसी सही इंटरनेट बैंकिंग साइट की तरह दिखती है।
– ई-मेल में या तो यूजर को किसी गिफ्ट आदि का प्रलोभन दिया जाता है या चेतावनी दी जाती है कि आपका केवाईसी – बंद हो जाएगा, खाता बंद हो जाएगा, आदि-आदि।
– इसी बिनाह पर यूजर से उसकी पर्सनल और बैंकिंग से जुड़ी जानकारी मांगी जाती है लॉगिन, प्रोफाइल, ट्रांजेक्शन, पासवर्ड और बैंक अकाउंट, पिन आदि की जानकारी मांगी जा सकती है।
– यूजर प्रलोभन में आ जाता है या खाता बंद होने के डर से जरूरी जानकारी दे बैठता है।
– अंत में सबमिट का बटन भी दबा देता है।
– इसी के साथ यूजर को एक एरर डिस्प्ले पेज दिखता है।
– इसी के साथ यूजर फिशिंग अटैक का शिकार हो जाता है।
फिशिंग से बचने का क्या है उपाय: किसी अज्ञात स्रोत से ई-मेल के माध्यम से आए किसी भी लिंक पर क्लिक नहीं करना चाहिए। इसमें खतरनाक कोड हो सकता है या ‘फ़िशिंग हमला’ हो सकता है। पॉप-अप विंडो के रूप में सामने आए पेज पर किसी को भी कोई जानकारी नहीं देनी चाहिए। बैंक ग्राहकों को यह बात याद रखनी चाहिए कि पासवर्ड, पिन, टिन आदि जैसी जानकारी पूरी तरह से सीक्रेट होती है और बैंक के कर्मचारियों/सेवा कर्मियों को भी इसकी जानकारी नहीं होती है। इसलिए मांगे जाने पर भी ऐसी जानकारी का खुलासा नहीं करना चाहिए।
SBI ने दी एक और बड़ी सुविधा:
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने अपने ग्राहकों की जरूरतों और मांगों को ध्यान में रखते हुए इंटरनेट बैंकिंग सेवा को 15 अलग-अलग भाषाओं में जारी किया है, देश में भाषाई विविधता को तरह-तरह की बोली को देखते हुए यह सर्विस जारी की गई है।