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Share Market: 10 साल में डॉलर की सबसे बड़ी गिरावट, 15% तक लुढ़की वैल्यू

US Dollar: डॉलर इंडेक्स 9% से अधिक लुढक़कर अब 100 के नीचे 99.50 तक फिसल गया है। यह डॉलर का तीन साल का सबसे निचला स्तर और 10 साल की सबसे बड़ी सालाना गिरावट है।

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भारत

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Devika Chatraj

Apr 12, 2025

डॉनल्ड ट्रंप जिस अमेरिकी डॉलर (American Dollar) को और मजबूत बनाने निकले थे, उनकी नीतियों ने उसी डॉलर को अर्श से फर्श पर पटक दिया है। जो डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) ट्रंप की ताजपोशी के समय 110 अंक के ऊपर था, वह 9% से अधिक लुढक़कर अब 100 के नीचे 99.50 तक फिसल गया है। यह डॉलर का तीन साल का सबसे निचला स्तर और 10 साल की सबसे बड़ी सालाना गिरावट है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लेकर घटते भरोसे ने शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर को बड़ा झटका दिया। निवेशकों ने अमेरिकी इनवेस्टमेंट एसेट्स से पैसा निकालकर सेफ-हैवन यानी सुरक्षित ठिकानों जैसे स्विस फ्रैंक, जापानी येन, यूरो और सोना की ओर रुख किया। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसी वजह से सोना रेकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। वहीं, स्विस फ्रैंक ने 10 साल का नया उच्च स्तर छू लिया।

लगातार टूटा डॉलर

दरअसल, बुधवार को डॉनल्ड ट्रंप ने कई देशों के लिए 90 दिन के लिए टैरिफ बढ़ोतरी पर रोक लगा दी, लेकिन चीन पर टैरिफ बढ़ाकर 145% कर दिया, जिससे ट्रेड वॉर और गहरा गया। इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिका पर 125 टैरिफ लगा दिया। इससे गुरुवार को वॉल स्ट्रीट में जबरदस्त बिकवाली हुई और निवेशकों ने डॉलर को बेचकर सुरक्षित विकल्पों में निवेश शुरू कर दिया। बाजार में आई गिरावट के साथ ट्रंप की अनिश्चित नीतियों से सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में डॉलर की स्वीकार्यता कम हो रही है, जिससे ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से अब तक डॉलर लगातार टूट रहा है।

बॉन्ड यील्ड्स में भी हलचल

इन्वेस्टमेंट फर्म पेपर स्टोन के रिसर्च हेड क्रिस वेस्टन का कहना है कि अब शेयर बाजार में साफ तौर पर ‘अमेरिका बेचो’ का माहौल बन गया है, जिससे डॉलर औंधे मुंह गिरा है। वहीं, स्पेक्ट्रा मार्केट्स के ब्रेंट डोनेली के मुताबिक, अब बाजार पूरी तरह से 'डॉलर बेचो' के मोड में आ गया है। बॉन्ड यील्ड्स में भी हलचल है। अमेरिका के 10 साल के बॉन्ड का यील्ड बढक़र 4.488% हो गया, जो सप्ताह की सबसे बड़ी उछालों में से एक है।

इनपर भी असर

  • जब डॉलर गिरता है तब लोग सोने में पैसा लगाते हैं, इससे भारतीय खरीददारों के लिए सोना और महंगा हो सकता है।
  • कमजोर डॉलर से विदेशी निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों में निवेश बढ़ा सकते हैं। इससे भारतीय शेयर बाजार में तेजी देखने को मिल सकती है।
  • अगर रुपया ज्यादा मजबूत होता है तो भारत के निर्यात (जैसे कपड़ा, इंजीनियरिंग, केमिकल्स) महंगे हो सकते हैं। इससे निर्यातकों की कमाई पर असर पड़ सकता है।
  • कमजोर डॉलर से कच्चा तेल थोड़ा सस्ता हो सकता है, इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलने की उम्मीद है।

प्रमुख करेंसीज के मुकाबले इतना गिरा

डॉलर शुक्रवार को स्विस फ्रैंक के मुकाबले 1.2% गिरकर 0.81405 पर पहुंच गया। वहीं जापानी येन के मुकाबले 1.1% फिसलकर 142.88 पर रहा, जो सितंबर 2023 के बाद सबसे कमजोर स्तर है। कनाडाई डॉलर के मुकाबले भी अमरीकी डॉलर ने 0.5% गिरावट दर्ज की। वहीं डॉलर के मुकाबले यूरो 1.7% उछल गया। डॉलर के मुकाबले रुपए में भी शुक्रवार को 61 पैसे की तेजी आई और एक डॉलर की कीमत 86.06 रुपए रह गई।

2025 में गिरा डॉलर

तिथिडॉलर
02 जनवरी109.44
14 जनवरी110.20
3 फरवरी109.02
03 मार्च106.45
11 अप्रेल99.50

भारत के लिए अच्छा या खराब?

डॉलर गिरने से भारतीय रुपए को मजबूती मिल सकती है। जब डॉलर कमजोर होता है, तो बाकी मुद्राएं मजबूत होती हैं। रुपया मजबूत होने से आयात करना सस्ता हो जाएगा। पेट्रोल-डीजल जैसी चीजें, जो भारत बाहर से खरीदता है, उनकी लागत थोड़ी घट सकती है। साथ ही महंगाई भी कम हो सकती है।

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