
Startup Investment: भारतीय स्टार्टअप ईकोसिस्टम (Startup Investment) में निवेश के रुझान बदल रहे हैं। अब बड़े निवेश की बजाय छोटे और मझोले आकार के निवेश (Small & Mid-Sized Investments) का दौर चल रहा है। मंगलवार को फिनटेक यूनिकॉर्न ज़ेटा (Zeta) ने अमेरिकी हेल्थकेयर कंपनी Optum से 50 मिलियन डॉलर का निवेश जुटाने की घोषणा की। इस निवेश के बाद ज़ेटा की वैल्यूएशन 2 बिलियन डॉलर हो गई, जो पिछली 1.2 बिलियन डॉलर (Startup Investment) की वैल्यूएशन से अधिक है। इसके साथ ही, बेंगलुरु स्थित पेमेंट सॉल्यूशन स्टार्टअप ToneTag ने 78 मिलियन डॉलर का निवेश प्राप्त किया।
$20-30 मिलियन की रेंज वाले डील्स में हाल ही में तेजी देखी गई है। इसका मुख्य कारण घरेलू निवेशकों का बढ़ता रुझान है, जो अब शुरुआती और मध्य स्तर के निवेश दौरों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। हालांकि, कुल निवेश की रफ्तार अभी भी धीमी बनी हुई है।
स्टार्टअप्स में निवेश (Startup Investment) को लेकर निवेशक अब ज्यादा सतर्क हो गए हैं। ज़ेटा के सह-संस्थापक और ग्लोबल सीईओ भाविन तुरखिया के अनुसार, "कैपिटल उन्हीं बिज़नेस मॉडल्स को मिल रही है, जो स्थिर हैं और मुनाफा कमा सकते हैं।" यही कारण है कि निवेशक अब गहन विश्लेषण के बाद ही स्टार्टअप्स को फंडिंग दे रहे हैं।
Tracxn की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल जनवरी और फरवरी की शुरुआत में कुल 126 फंडिंग राउंड हुए, जो पिछले साल इसी अवधि में 200 से अधिक थे। कुल निवेश 600 मिलियन डॉलर से भी कम रहा, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 925 मिलियन डॉलर था।
इस मंदी के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि SoftBank और Tiger Global जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय निवेशक भारत में बड़े स्तर पर निवेश नहीं कर रहे हैं। SoftBank अब अधिकतर अपने मौजूदा पोर्टफोलियो स्टार्टअप्स (Startup Investment) में ही फॉलो-ऑन निवेश कर रहा है और उसकी निवेश सीमा $25-60 मिलियन के भीतर है। वहीं, Tiger Global ने हाल ही में Infra.Market में 121 मिलियन डॉलर का प्री-IPO निवेश किया, लेकिन बड़े लेवल पर नए स्टार्टअप्स को फंडिंग देने में धीमापन दिखाया है।
2020-21 के फंडिंग बूम के बाद अब कई बड़े निवेशक निष्क्रिय हो गए हैं। Rukam Capital की संस्थापक अर्चना जहागिरदार कहती हैं, "हमें ऐसे घरेलू वीसी फंड्स (Startup Investment) की जरूरत है जो स्टार्टअप्स के फंडिंग साइकल को पूरा कर सकें। अब तक, बड़े निवेश मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय फंड्स से आ रहे थे, लेकिन उनकी सक्रियता कम होने से एक फंडिंग गैप बन गया है।
इन्फ्लेक्सर वेंचर्स के पार्टनर मुरली कृष्ण गुन्टूरु के अनुसार, कई ग्लोबल वेंचर कैपिटल फंड्स अमेरिकी सरकार की नई टैरिफ नीतियों के असर का इंतजार कर रहे हैं। इससे निवेश के बड़े फैसले लेने में छह महीने से एक साल तक का समय लग सकता है। हालांकि, शुरुआती स्टेज के स्टार्टअप्स (Startup Investment) में निवेश बढ़ रहा है, जहां अब $5-6 मिलियन की जगह $8-10 मिलियन के निवेश हो रहे हैं।
कुछ सेक्टर्स अभी भी निवेशकों की पसंद बने हुए हैं, जिनमें क्विक कॉमर्स (Quick Commerce) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) प्रमुख हैं। इन क्षेत्रों में निवेशकों की रुचि लगातार बनी हुई है और बड़े निवेश की संभावना भी बनी हुई है।
क्या कहती हैं स्टार्टअप्स की रणनीतियां?
ज़ेटा के सीईओ भाविन तुरखिया का कहना है कि कंपनी की मजबूत वित्तीय स्थिति और बड़े ग्राहकों से जुड़े रहने की क्षमता ने उसे इस चुनौतीपूर्ण माहौल में भी अच्छी वैल्यूएशन पर निवेश हासिल करने में मदद की। ज़ेटा का लक्ष्य मार्च 2026 तक लाभदायक (Profitable) बनना है।
बड़े निवेशकों की सावधानी और वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम ने छोटे और मझोले निवेश के रूप में एक नया ट्रेंड देखना शुरू कर दिया है। $20-30 मिलियन की रेंज में डील्स तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे छोटे निवेशकों को भी अवसर मिल रहा है। यह ट्रेंड भारत के स्टार्टअप (Startup Investment) परिदृश्य को अधिक संतुलित और स्थिर बना सकता है, बशर्ते घरेलू निवेशकों की भागीदारी और बढ़े।
Updated on:
12 Feb 2025 04:19 pm
Published on:
12 Feb 2025 04:16 pm
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