
Rise in vegetable price: इस साल मानसून की अनियमितता और आपूर्ति शृंखला में आई बाधाओं के चलते सब्जियों की कीमतों में जो तेज़ी आई है, वह अक्टूबर महीने में भी जारी रहने की आशंका है। देशभर में बढ़ती महंगाई ने आम आदमी के किचन का बजट बिगाड़ दिया है। प्याज, टमाटर, आलू जैसी बुनियादी सब्जियों की कीमतों में पिछले कुछ महीनों में लगातार बढ़ोतरी देखी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अक्टूबर में भी सब्जियों की महंगाई से राहत मिलने की कोई खास उम्मीद नहीं है।
इस साल मानसून के अनियमित रहने के कारण देश के कई हिस्सों में फसलों को नुकसान हुआ। कुछ राज्यों में भारी बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाया, तो कहीं सूखे जैसे हालात ने उत्पादन को प्रभावित किया। यह स्थिति खासतौर पर उन राज्यों में देखने को मिली, जो सब्जियों के बड़े उत्पादक हैं, जैसे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और राजस्थान।
आपूर्ति शृंखला में भी कई तरह की बाधाएं सामने आईं। भारी बारिश के कारण परिवहन व्यवस्था चरमरा गई और सब्जियों को मंडियों तक पहुंचाना मुश्किल हो गया। इसके अलावा, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी ने भी ट्रांसपोर्टेशन लागत को बढ़ा दिया, जिसका सीधा असर सब्जियों के खुदरा भाव पर पड़ा।
पिछले कुछ महीनों में टमाटर की कीमतों में सबसे ज्यादा उछाल देखा गया है। टमाटर की कीमतें जुलाई-अगस्त के महीने में 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई थीं। हालांकि सितंबर में इसमें कुछ गिरावट आई, लेकिन अक्टूबर में भी यह 80-100 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच बना हुआ है।
प्याज की कीमतों में भी तेज़ी बनी हुई है। प्याज के थोक भाव में 30-40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जिससे खुदरा बाजार में इसकी कीमत 60-80 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास हो गई है। प्याज की महंगाई का मुख्य कारण महाराष्ट्र में हुई भारी बारिश है, जिसने फसल को नुकसान पहुंचाया और उत्पादन में कमी आई।
Rise in vegetable price: आलू की कीमतें भी अक्टूबर में बढ़ी हुई बनी रह सकती हैं। आलू की कीमतें 30-40 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुकी हैं। हरी सब्जियों, जैसे शिमला मिर्च, लौकी, और बैंगन के दाम भी पिछले महीने की तुलना में काफी बढ़े हैं। हरी सब्जियों की कीमतों में वृद्धि का कारण सीजनल फसलों की कमी और परिवहन लागत है।
Rise in vegetable price: अक्टूबर-नवंबर का महीना भारत में त्योहारों का समय होता है, जब सब्जियों की मांग तेजी से बढ़ती है। दशहरा, दिवाली, और छठ जैसे त्योहारों के दौरान सब्जियों की खपत बढ़ने से कीमतों में और उछाल की संभावना है। इसके अलावा, किसान अक्सर त्योहारों के समय अधिक मुनाफा कमाने के लिए अपनी उपज के दाम बढ़ा देते हैं, जिससे खुदरा बाजार में कीमतें और बढ़ सकती हैं।
महंगाई का सीधा असर आम जनता पर पड़ रहा है। खासकर निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है। किचन का बजट हर महीने बढ़ता जा रहा है, जिससे परिवारों को दूसरी जरूरतों के लिए समझौता करना पड़ रहा है।
Published on:
16 Oct 2024 01:00 pm
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