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अमेरिका के दूसरे सबसे अमीर भारतीय Vinod Khosla ने कैसे खड़ा किया अरबों का साम्राज्य?

Second richest Indian in America: विनोद खोसला को कई बार रिजेक्शन झेलना पड़ा, कई प्रयास विफल हुए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। आज वह अमेरिका के दूसरे सबसे अमीर भारतीय हैं।

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Vinod Khosla Networth

विजय खोसला अमेरिका में दूसरे सबसे अमीर भारतीय हैं। (PC: Forbes)

Vinod Khosla net worth 2025: अमेरिका में दूसरे सबसे रईस भारतीय विनोद खोसला की दौलत का पहाड़ और ऊंचा हो गया है। साल 2025 में उनकी दौलत में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। खोसला की रियल-टाइम नेट वर्थ 12.6 अरब डॉलर पहुंच गई है। विनोद खोसला वेंचर कैपिटल फर्म खोसला वेंचर्स के फाउंडर हैं। पुणे के एक मध्यम वर्गीय परिवार से अमेरिका के दूसरे सबसे अमीर भारतीय तक का उनका सफर सभी को प्रेरित करता है।

जय चौधरी सबसे अमीर

अमेरिका के सबसे अमीर भारतीय का ताज जय चौधरी के पास है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जय चौधरी की नेट वर्थ इस साल जनवरी की शुरुआत में लगभग 70% बढ़कर लगभग 17 अरब डॉलर हो गई थी। इसी तरह, विनोद खोसला की दौलत में भी जमकर वृद्धि हुई है। 2024 में वह 9.01 अरब डॉलर की संपत्ति के मालिक थे और अब यह आंकड़ा बढ़कर 12.6 अरब डॉलर पहुंच गया है। फोर्ब्स की दुनिया भर के अरबपतियों की लिस्ट में वह 234वें और अमेरिका में 92वें नंबर पर हैं। वह Forbes 400 और टॉप टेक इन्वेस्टर्स की Midas लिस्ट में भी शामिल रहे हैं।

इस वजह से बढ़ी दौलत

विनोद खोसला की दौलत में वृद्धि की एक प्रमुख वजह बोल्ड टेक्नोलॉजी कंपनियों में उनके निवेश की वैल्यू में आया उछाल है। खोसला के पिता भारतीय सेना में थे और परिवार को उम्मीद थी कि वह भी अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए आर्मी जॉइन करेंगे। हालांकि, विनोद खोसला ने अपनी राह पहले ही चुन ली थी। वह टेक्नोलॉजी की दुनिया में कुछ बड़ा करना चाहते थे। IIT दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले खोसला ने अपने इंस्टीट्यूट में पहली कंप्यूटर क्लब शुरू की थी। इसके अलावा, एक स्टूडेंट के तौर पर उन्होंने भारत का पहला बायोमेडिकल इंजीनियरिंग प्रोग्राम शुरू करने में भी भूमिका निभाई।

फेल हुए, हौसला नहीं छोड़ा

विनोद खोसला ने 1975 में सोया मिल्क से जुड़ी फील्ड में हाथ आजमाया। वह ऐसे लोगों की मदद को आगे आए, जिनके पास रेफ्रिजरेटर नहीं पर वह इस कारोबार में उतरना चाहते थे। हालांकि, उनके इस प्रयास को सफलता नहीं मिली। फंडिंग की कमी के कारण यह आइडिया फेल हो गया। 21 साल की उम्र में विनोद खोसला पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए। उन्हें कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी में फुल स्कॉलरशिप मिली और यहां से उन्होंने बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने स्टैनफोर्ड बिज़नेस स्कूल से एमबीए किया। आज वह कारोबारी दुनिया में एक बड़ा नाम हैं और अमेरिका में दूसरे सबसे अमीर भारतीय हैं। 70 वर्षीय खोसला अपनी पत्नी नीरू और चार बच्चों के साथ अमेरिका में रहते हैं।

इस तरह बढ़ते रहे खोसला

खोसला ने 1982 में एंडी बेचटोल्शेम, बिल जॉय और स्कॉट मैकनीली के साथ मिलकर सन माइक्रोसिस्टम्स (Sun Microsystems) की शुरुआत की। यह कंपनी कंप्यूटर हार्डवेयर, सर्वर और सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में एक बड़ी ताकत बनकर सामने आई। सन छोड़ने के बाद, खोसला ने क्लेनर पर्किन्स (Kleiner Perkins) में लगभग दो दशक बिताए। 2004 में उन्होंने खोसला वेंचर्स लॉन्च किया। यह फर्म बायोमेडिसिन, रोबोटिक्स, फिनटेक, क्लीन एनर्जी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में कंपनियों की मदद करती है। यह OpenAI में इन्वेस्ट करने वाली पहली वेंचर फर्म भी रही है।

जोखिम में नजर आया मौका

पिछले कुछ सालों में खोसला वेंचर्स ने IPO और DoorDash, Affirm, QuantumScape और Opendoor जैसी कंपनियों की लिस्टिंग के जरिए बड़ी कमाई की है। खोसला वेंचर्स ने 2025 तक 1400 से अधिक कंपनियों में निवेश किया है। विनोद खोसला बचपन में सोचा करते थे कि इनोवेशन अमेरिका जैसे देशों में ही आकार क्यों लेते हैं। यही जिज्ञासा उन्हें अमेरिका ले गई और वहां कई रिजेक्शन और परेशानियों से लड़ते हुए उन्होंने अपना एक अलग मुकाम बनाया। उन्होंने सिलिकॉन वैली के स्टार्टअप कल्चर को आकार देने में मदद की और कई ऐसे आइडियाज में निवेश किया, जिन्हें दूसरे जोखिम मानते थे।