
Working Hours Row: भारत में हाल के दिनों में एक बहस छिड़ी हुई है, जिसमें उद्योगपति और कारोबारी नेता इस बात पर विचार कर रहे हैं कि क्या काम के घंटों में इजाफा करना देश की आर्थिक स्थिति और कर्मचारियों की उत्पादकता को बढ़ा सकता है। इस मुद्दे पर खासतौर पर दो प्रमुख उद्योगपतियों के बयान ने तूल पकड़ा। पहले इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायणमूर्ति ने यह कहा कि युवाओं को हर हफ्ते 70 घंटे काम करना चाहिए, और इसके बाद लार्सेन एंड टूब्रो के प्रमुख शेखरीपुरम नारायणन सुब्रमण्यम ने हफ्ते में 90 घंटे काम करने की वकालत की।
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) के ताजे आंकड़ों के मुताबिक, भारत उन देशों में शामिल है, जहां पर काम के घंटे सबसे ज्यादा होते हैं। ILO के आंकड़ों के अनुसार, भारत में औसतन हर व्यक्ति हफ्ते में 46.7 घंटे काम करता है। यह आंकड़ा दक्षिण एशिया के अन्य देशों के मुकाबले भी अधिक है।
भूटान, यूएई और लेसेथो जैसे देशों में लोग भारत के मुकाबले ज्यादा घंटे (Working Hours Row in India) काम करते हैं। भूटान में औसतन कर्मचारी हर हफ्ते 54.4 घंटे काम करते हैं, जबकि यूएई (UAE) में यह आंकड़ा 50.9 घंटे है। कांगो और कतर में भी यह आंकड़ा 48 घंटे से ऊपर है। हालांकि, वनुआतु (Vanuatu), किरिबाती (Kiribati) , और माइक्रोनीशिया (Micronesia) जैसे देशों में कर्मचारी प्रति हफ्ते औसतन 30 घंटे से भी कम काम करते हैं, जो भारत के मुकाबले बहुत कम है।
भारत में जहां लोग हर हफ्ते औसतन 50 घंटे से अधिक काम (Working Hours Row in India) करते हैं, वहीं रूस जैसे देशों में 50 घंटे से अधिक काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या केवल 2% के आसपास है। यह अंतर सिर्फ काम के घंटों का नहीं, बल्कि वेतन का भी है। रूस में कर्मचारियों की औसत आय भारत के कर्मचारियों की औसत आय से ढाई गुना ज्यादा है। यह आंकड़ा भारत की मेहनत के बावजूद वेतन (Working Hours Row in India) में असमानता और उत्पादकता के बारे में सोचने को मजबूर करता है।
भारत में श्रम कानूनों के तहत, ब्लू-कॉलर कर्मचारियों को ओवरटाइम (Working Hours Row in India) का भुगतान उनके नियमित वेतन से दोगुना किया जाता है। इस तरह की व्यवस्था, विशेष रूप से ओवरटाइम की उच्च दरों के बावजूद, भारतीय कार्य संस्कृति में लंबे कार्य घंटे की प्रवृत्ति को बढ़ावा देती है। हालांकि, कई देशों में ओवरटाइम दर भारत के मुकाबले कम है। उदाहरण के लिए, फ्रांस, जापान, और चीन जैसे देशों में ओवरटाइम की दर 25% से लेकर 50% तक होती है, जबकि भारत में यह दर 100% है।
लंबे समय तक काम करने से कर्मचारियों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। थकान, तनाव, और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं कर्मचारियों को प्रभावित करती हैं। इसके साथ ही, काम के लंबे घंटे (Working Hours Row in India) उनके व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन को भी प्रभावित करते हैं।
Updated on:
14 Jan 2025 02:52 pm
Published on:
14 Jan 2025 02:47 pm
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