30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Gold-Silver Loan Rules: 2026 से बदल जाएंगे सोने-चांदी पर लोन के नियम! फायदे गिनते रह जाएंगे

RBI ने सोने की तरह ही चांदी के बदले लोन को भी मंजूरी दी है। ये गाइडलाइंस अगले साल अप्रैल 2026 से लागू हो जाएंगी।

4 min read
Google source verification

सोने-चांदी लोन पर नियम 2026 से बदल जाएंगे (PC: ChatgptAI)

सोने और चांदी पर लोन के नियम 1 अप्रैल, 2026 से बदलने वाले हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस साल जून में कुछ स्टैंडर्ड लेंडिंग गाइडलाइंस जारी की थीं, जिसका मकसद उपभोक्ताओं की सुरक्षा, लोन में पारदर्शिता लाना और लोन देने वाले लेंडर्स की जवाबदेही तय करना है। RBI ने सोने की तरह ही चांदी के बदले लोन को भी मंजूरी दी है। ये गाइडलाइंस अगले साल अप्रैल से लागू हो जाएंगी। ये नियम क्या हैं, इससे गोल्ड और सिल्वर लोन लेने वाले ग्राहकों पर क्या असर होगा। चलिए इसको समझते हैं।

सोने-चांदी पर ज्यादा लोन मिल सकेगा

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लोन-टू-वैल्यू (LTV) अनुपात को 2.5 लाख रुपये तक के लोन के लिए 85% तक बढ़ा दिया है। ये सोने और चांदी के बदले मिलने वाले लोन के नियमों में बड़ा बदलाव है। यानी कि अब 2.5 लाख रुपये तक की वैल्यू पर 85% तक लोन मिल सकेगा। उदाहरण के तौर पर, अगर आपके सोने या चांदी की कीमत 1 लाख रुपये है, तो आप 85,000 तक का लोन ले सकते हैं। इसी तरह, अगर वैल्यू 2.5 से 5 लाख रुपये तक है तो अधिकतम 80% तक लोन मिल सकेगा और सोने-चांदी की वैल्यू 5 लाख रुपये से ज्यादा है तो अधिकतम 75% तक लोन मिल सकेगा।
यह LTV पूरे लोन की अवधि में बनाए रखना होगा।

नया LTV अनुपात (Loan To Value Ratio)

2.5 लाख रुपये तक: 85%
2.5 लाख से 5 लाख तक: 80%
5 लाख से ज्यादा: 75%

बैंकों की जवाबदेही तय होगी

रिजर्व बैंक की नई गाइडलाइंस के मुताबिक - लोन देने वाले बैंकों और संस्थाओं को अपनी स्पष्ट पॉलिसी बनानी होगी। जिसमें ये बताना होगा कि किसी व्यक्ति को कितना लोन दिया जा सकता है, कुल लोन की सीमा, ज्यादा से ज्यादा LTV अनुपात क्या होगा, ये सब लिखित में रखना होगा। साथ ही सोने, चांदी की शुद्धता के नियम, वैल्यूएशन के तरीके और प्राथमिकता वाले सेक्टर के लिए दस्तावेज भी बताने होंगे। इसके अलावा, अगर कोई ग्राहक 2.5 लाख रुपये से ज्यादा का लोन लेता है तो उसकी कमाई और लोन चुकाने की क्षमता की पूरी जांच करना होगा।

कीमत तय करने का एक जैसा तरीका

रिजर्व बैंक की गाइडलाइंस कहती है कि सोने, चांदी की कीमतें तय करने का एक स्टैंडर्ड तरीका होना चाहिए. इसलिए सभी बैंकों और लोन देने वाली संस्थाओं को एक जैसा ही तरीका अपनाना पड़ेगा। मतलब ये कि सोने-चांदी की शुद्धता और वज़न को लेकर एक जैसा ही स्टैंडर्ड फॉलो करना होगा। ऐसे करते वक्त ग्राहक वहां रहना भी अनिवार्य होगा, यानी जो कुछ भी होगा ग्राहक के सामने होगा, ताकि पारदर्शिता रहे। अगर बैंक वजन में किसी तरह की कटौती करता है या डिफेक्ट पाता है तो ये बात ग्राहक को समझानी होगी। ये सबकुछ होने के बाद बैंक ग्राहक को एक सर्टिफिकेट भी जारी करेगा। जिसमें उसकी शुद्धता, वज़न वगैरह की पूरी जानकारी होगी।

इन चीजों पर लोन नहीं मिलेगा

रिजर्व बैंक ने साफ किया है कि प्राइमरी गोल्ड या सिल्वर (बुलियन, ETFs) पर लोन नहीं मिलेगा। लोन सिर्फ सोने, चांदी के गहनों और सिक्कों पर ही मिलेगा। लेकिन इसके लिए भी कुछ तय सीमाएं हैं। जैसे कि कोई ग्राहक ज्यादा से ज्यादा 1 किलो सोने के गहने ही गिरवी रख सकता है, चांदी 10 किलो तक गिरवी रख सकता है। सोने के सिक्के 50 ग्राम तक गिरवी रखे जा सकते हैं चांदी के सिक्कों के लिए ये सीमा 500 ग्राम है। इसके अलावा बुलेट रिपेमेंट (एकमुश्त चुकता) वाले व्यक्तिगत लोन की अधिकतम अवधि 12 महीने होगी। रिन्यू करने के लिए फिर से क्रेडिट जांच से गुजरना होगा और ब्याज चुकाना होगा।

  • सोने के गहने: ज्यादा से ज्यादा 1 किलो तक गिरवी रख सकते हैं।
  • चांदी के गहने: ज्यादा से ज्यादा 10 किलो तक।
  • सिक्कों पर: सोने के 50 ग्राम तक, चांदी के 500 ग्राम तक।

बिना ग्राहक को बताए नीलामी नहीं कर सकते

RBI ने सोने-चांदी की गिरवी रखी चीजों को संभालने, रखने और उनकी नीलामी के लिए नियमों को और सख्त किया है। ताकि ग्राहक का सोना-चांदी सुरक्षित रहे और अगर लोन नहीं चुकाया गया तो नीलामी भी पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से हो।

  • बैंकों को ग्राहकों के सोने-चांदी की चीजों को सेफ लॉकर में रखना होगा, सुरक्षा का पूरा इंतजाम करना होगा।
  • RBI कभी भी अचानक आकर चेक कर सकता है कि गिरवी सोना-चांदी सही-सलामत है या नहीं।
  • ग्राहक लोन नहीं चुका पाता और बैंक नीलामी करना चाहता है, तो ग्राहक को इसकी सूचना देनी होगी।
  • नीलामी की सूचना स्थानीय और राष्ट्रीय अखबारों में विज्ञापन के जरिए देनी होगी
  • पहली नीलामी ऑनलाइन नहीं, बल्कि फिजिकल और उसी जिले में करनी होगी जहां लोन देने वाली ब्रांच है।

पहली नीलामी में रिजर्व प्राइस सोने-चांदी की ताजा मार्केट वैल्यू का कम से कम 90% रखना जरूरी होगा। यानी बैंक बहुत सस्ते में गिरवी सोने-चांदी की चीजों को नहीं बेच सकता। अगर पहली दो नीलामियां कामयाब नहीं हो पातीं तो उसके बाद रिजर्व प्राइस को 85% तक कम किया जा सकता है।

7 दिन में गहने वापस, नहीं तो मुआवजा देना होगा

बैंक या NBFC के पास रखा ग्राहक का सोना-चांदी खो जाए या डैमेज हो जाए, और इसमें गलती बैंक या NBFC की हो, तो ग्राहक को पूरा मुआवजा देने की जिम्मेदारी बैंक की होगी। इसके अलावा, अगर ग्राहक पूरा लोन चुका देता है, तो बैंक/NBFC को गिरवी सोना-चांदी 7 कामकाजी दिनों के अंदर लौटाना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो बैंक को ग्राहक को प्रति दिन 5,000 रुपये मुआवजा देना होगा।

किन संस्थाओं पर ये नियम लागू होंगे?

ये नियम सभी कमर्शियल बैंकों पर लागू होंगे, लेकिन पेमेंट्स बैंक- जैसे एयरटेल पेमेंट बैंक या पेटीएम पेमेंट बैंक पर लागू नहीं होंगे। प्राइमरी (अर्बन) कोऑपरेटिव बैंक और ग्रामीण को-ऑपरेटिव बैंक, सभी नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां (NBFC), इसमें हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां (HFC) जैसे HDFC, LIC Housing Finance भी शामिल हैं। कुल मिलाकर लगभग सभी बड़े-छोटे बैंक और फाइनेंस कंपनियां जो सोने-चांदी पर लोन देती हैं, इन नियमों के दायरे में आएंगी।