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7 साल की उम्र में खोए दोनों हाथ पर चलाता है फर्राटे से कार

यह सच्ची कहानी है विक्रम अग्निहोत्री की। महज 7 साल की उम्र में एक दुर्घटना में विक्रम अपने दोनों हाथ खो बैठे।

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Pawan Kumar Rana

Aug 12, 2015

car driving indore

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यह सच्ची कहानी है इंदौर के विक्रम अग्निहोत्री की। महज 7 साल की उम्र में एक दुर्घटना में विक्रम अपने दोनों हाथ खो बैठे। लेकिन हाथ नहीं होने का रोना रोने के बजाय उन्होंने जिंदगी के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाया। विक्रम ना केवल स्विमिंग, फुटबाल जैसे खेल खेलते हैं बल्कि अपने पैरों से कार भी चला लेते हैं। लोगों के लिए प्रेरणा बने विक्रम ने कामर्स में पोस्ट ग्रेजुएट भी सफलतापूर्वक किया, लेकिन उन्हें शारीरिक परेशानी के कारण आईआईएम अहमदाबाद में प्रवेश देने से मना कर दिया गया।

पेशे से व्यवसायी विक्रम अग्निहोत्री ना केवल पैरों से कार चला लेते हैं बल्कि अपनी नाक से स्मार्टफोन को भी ऑपरेट कर लेते हैं। अब विक्रम कार चलाने के लाइसेंस के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।विक्रम ने पैरों से गाड़ी चलाने के लिए अपनी कार में कुछ बदलाव भी किए हैं। यहां तक कि उसने मारुति सुजुकी की सेलेरियो ऑटोमैटिक गियर वाली कार भी खरीद ली है।



आरटीओ पहुंचे लाइसेंस बनवाने

उनके जन्म से दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन जब उन्होंने अपने पैरों से फर्राटेदार कार चलायी तो आरटीओ अफसर भी दंग रह गए। पूरे विश्वास के साथ ड्रायवर सीट पर बैठे। सीधे पैर से स्टेरिंग संभाली और उल्टे पैर से ब्रेक और एक्सीलेटर और दौड़ा दी गाड़ी। खुद आरटीओ ने डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर की उपस्थिति में ट्रायल लिया। पूरी कार्रवाई की वीडियो परिवहन आयुक्त को भेजी जा रही है, जो अंतिम फैसला लेंगे।

संभवत: यह प्रदेश का पहला मामला है, जब दोनों हाथ नहीं होने के बाद भी किसी व्यक्ति ने लायसेंस के लिए ट्रायल दिया है। हौसलों की उड़ान भरने वाले इस शख्स का नाम है विक्रम अग्निहोत्री। पेशे से बिजनेसमेन विक्रम को दो महीने पहले लर्निंग लायसेंस दे दिया गया है। मंगलवार को वे अपनी ऑटोमेटिक कार के साथ आरटीओ ट्रायल देने पहुंचे।

अफसरों ने जैसे ही कार चलाने को कहा विक्रम ड्रायवर सीट पर बैठे। कोई कुछ कहता इसके पहले ही विक्रम ने अपने सीधे पैर को स्टेरिंग पर रखा और उल्टा पैर एक्सीलेटर पर रखकर गाड़ी स्टॉर्ट कर ली। आरटीओ एमपी सिंह खुद पास की सीट पर बैठे और मॉनिटरिंग की। विक्रम ने विजय नगर आरटीओ से बापट चौराहे तक कार चलायी।



आईबीसी में दिया है आवेदन
विक्रम ने आईबीसी श्रेणी में लायसेंस के लिए आवेदन दिया है। इस श्रेणी में शारीरिक रुप से अक्षम लोग लायसेंस के लिए आवेदन करते है। हालांकि अभी तक दोनों हाथ नहीं होने वाले एक भी व्यक्ति ने इंदौर आरटीओ में आवेदन नहीं लगाया है। इसी के चलते अफसर भी असमंजस में है और विक्रम को पक्का लायसेंस देने के लिए किताबों को खंगाला जा रहा है।



आयुक्त को भेजी जा रही रिपोर्ट
विक्रम का मामला अनूठा होने के कारण आरटीओ स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। परिवहन आयुक्त शैलेंद्र श्रीवास्तव को टेस्ट की रिकार्डिंग भेजी जा रही है। आयुक्त को मामले की पूरी जानकारी दे दी गई है।

- मामले में परिवहन आयुक्त से मार्गदर्शन मांगा जा रहा है। नियमों में यह देखना होगा कि क्या पैर से स्टेरिंग संभालने पर भी लायसेंस जारी किया जा सकता है। हम भी नियम खंगाल रहे है। - एमपी सिंह, आरटीओ

- यदि कोई 10 साल का बच्चा यदि कोई गाड़ी सही तरीके से चला लेता है तो क्या उसे लायसेंस जारी कर दिया जाएगा। बड़ा सवाल यही है कि क्या पैर से गाड़ी चलाने पर लायसेंस जारी होता है। - संदीप सोनी, डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर



लाइसेंस के लिए करवाया मेडिकल चैकअप

विक्रम अग्निहोत्री का ड्राइविंग लाइसेंस के लिए शुक्रवार को जिला अस्पताल में डॉक्टरों की टीम ने मेडिकल चेकअप किया। विक्रम पहले कमेटी के सामने पैरों से कार चलाकर ट्रायल दे चुके हैं।



विक्रम सुबह नौ बजे टेस्ट के लिए जिला अस्पताल पहुंचे। यहां सिविल सर्जन डॉ. दिलीप आचार्य के नेतृत्व में चार डॉक्टरों की टीम ने उनका चेकअप किया। आंखों की जांच के साथ शारीरिक क्षमता का पता लगाया गया। विक्रम ने बताया, आंखों की जांच में वे पास हो गए, लेकिन शारीरिक जांच में 90 प्रतिशत अनफिट बताया गया, क्योंकि उनके दोनों हाथ नहीं हैं।

उधर, आरटीओ एमपी सिंह का कहना है, कमेटी व डॉक्टरों की रिपोर्ट आने के बाद लाइसेंस पर निर्णय लेंगे। हम परिवहन मुख्यालय की भी राय लेंगे।

देश का पहला मामला होगा
अगर परिवहन विभाग विक्रम को लाइसेंस जारी करता है तो यह देश का पहला ऐसा मामला होगा जिसमें एक निशक्तजन को सड़कों पर गाड़ी चलाने की आधिकारिक अनुमति मिलेगी। इतना ही नहीं अगर ऐसा होता है तो विक्रम की तरह लाखों लोगों को ना केवल प्रेरणा मिलेगी बल्कि उनके लिए नई ऊंचाईयों को छूने का रास्ता खुलेगा।

यहां देखें वीडियो -


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