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2022 के चुनाव में 117 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी, पंजाब में अपने दम पर सरकार बनाएगी भाजपा

पंजाब भाजपा के संगठन मंत्री दिनेश कुमार से पत्रिका की बातचीत अपना वोट बैंक परखने के लिए व्याकुल है भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस, अकाली दल, आप, बसपा नेता भाजपा में आने के इच्छुक कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार हर मोर्चे पर फेल

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dinesh kumar

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डॉ. भानु प्रताप सिंह
चंडीगढ़। भारतीय जनता पार्टी पंजाब के संगठन मंत्री दिनेश कुमार की नजर 2022 के विधानसभा चुनाव पर है। इसकी तैयारी अभी से चल रही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा हर जिले में प्रवास कर रहे हैं। संगठन का विस्तार चल रहा है। इस पर मंथन चल रहा है कि पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़े ताकि वोट बैंक का पता चल सके। शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन तोड़ना नहीं चाहते हैं। सरकार बनने पर भाजपा उपमुख्यमंत्री पद लेगी। दिनेश कुमार ने कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को हर मोर्चे पर फेल बताया है। यह भी कहा कि अपने दम पर पंजाब में सरकार बनाने की तैयारी है। पत्रिका ने तमाम मुद्दों पर दिनेश कुमारे से लम्बी बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंशः-

पत्रिकाः पंजाब में भाजपा की स्थिति कैसी है?

दिनेश कुमारः पंजाब में 1967 से भारतीय जनता पार्टी और अकाली दल के बीच समझौता है। पिछले 10 साल से भाजपा और अकाली दल के सरकार बनी थी। इसके बाद कांग्रेस की सरकार आई है। तीन वर्ष हो गए। कांग्रेस सरकार चल रही है, ऐसा लगता नहीं है। बिजली की दरें बढ़ाई हैं। नशामुक्ति को लेकर कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आंदोलन चलाया था और हमारी सरकार को बदनाम किया था, लेकिन आज भी नशे की समस्या ज्यों की त्यों है। विकास का जो काम भारतीय जनता पार्टी और अकाली दल सरकार ने किया था, वह ठप है। विभिन्न प्रकार के मुद्दों पर सरकार फेल है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह की प्रेमिका अरुषा पाकिस्तान की पत्रकार हैं। उनके आधार पर वे पंजाब के अंदर अपनी सरकार चला रहे हैं। कई मुद्दों पर पाकिस्तान और पंजाब के बीच सीमा पर संवेदनशीलता होती है। भाजपा इस समय विस्तार में हैं। हम पूरी तरह से तैयार हैं। आने वाले चुनाव में अगली सरकार हमारी होगी।

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पत्रिकाः पंजाब में आज तक भाजपा अपने दम पर सरकार नहीं बना पाई है, इसके पीछे कारण क्या समझते हैं?

दिनेश कुमारः इस मुद्दे पर मैं यह कहना चाहूंगा कि जब 1967 से हमारा बादल साहब से समझौता चल रहा है और यह वैज्ञानिक है, राष्ट्र और समाज को देखते हुए है। अगर भारतीय जनता पार्टी, अकाली दल से अलग होती है तो पुनः 1984 के बाद जो आतंकवाद था, कहीं पुनर्जीवित तो नहीं हो जाएगा। इसे देखते हुए हमको समझौता रखना पड़ रहा है। 13 लोकसभा सीटों में से तीन भाजपा ने लड़ीं और 10 अकाली दल ने। वो 10 में दो और हम भी तीन में दो सीटों पर जीते। आने वाले विधानसभा चुनाव में अगर केन्द्र की इच्छा होगी तो हमारा पंजाब में वोट बैंक क्या है, यह देख पाएंगे।

पत्रिकाः फिर क्या शिरोमणि अकाली दल से समझौता समाप्त हो सकता है?

दिनेश कुमारः मुझे ऐसा लगता नहीं है कि समझौता समाप्त होगा, क्योंकि एनडीए के गठबंधन में सबसे पुराना दल अकाली दल है। लेकिन आज अकाली दल विघटन के कगार पर है। टकसाली अकाली दल बन गया है। अगर ये विघटन न संभला तो हो सकता है भारतीय जनता पार्टी अपना प्रभाव दिखा पाए।

पत्रिकाः पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके लिए भारतीय जनता पार्टी की तैयारी क्या है?

दिनेश कुमारः पंजाब में 380 मंडल गठित हो चुके हैं। नए प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा जिलाशः प्रवास कर रहे हैं। हर जिले में 24 घंटे रहते हैं। 22 हजार बूथों पर कमेटियां और इंचार्ज नियुक्त कर रहे हैं। 33 में से 25 जिलों में पार्टी का गठन हो चुका है। धीरे-धीरे करके समंपूर्ण पंजाब में विस्तार कर रहे हैं। संगठन तंत्र मजबूत है। 2020 में अच्छी भूमिका निभाने वाले हैं।

पत्रिकाः विधानसभा चुनाव में क्या अन्य दलों से भी गठबंधन हो सकता है?

दिनेश कुमारः अन्य दलों से गठबंधन नहीं होगा, लेकिन इतना जरूर है कि कांग्रेस, अकाली दल, आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के अच्छे लीडर भाजपा में आना चाहते हैं। उनका दबाव है कि जॉइन करें लेकिन हमारी स्थिति यह है कि हम उन्हें देंगे क्या? इस कारण उनकी जॉइनिंग में विलम्ब है।

पत्रिकाः पंजाब में भाजपा अपने दम पर सरकार बना पाए, ऐसा कुछ माहौल बन रहा है क्या?

दिनेश कुमारः निश्चित तौर पर ऐसा लग रहा है। भाजपा को जो कार्यविस्तार है और जिस तरीके से संगठनात्मक कार्य हो रहा है, उससे ऐसा ही लग रहा है। पंजाब में हमने 30 लाख सदस्य बनाए हैं। हर बूथ, मंडल और जिला में कार्यकारिणी गठित करके ऐसा संगठन खड़ा करने वाले हैं कि 2022 से पहले 5 लाख भीड़ की रैली करने पर विचार कर रहे हैं। अपना विस्तार, अपना दमखम औ शक्ति पूरी दिखाएंगे।

पत्रिकाः पंजाब की पांच प्रमुख समस्याएं क्या हैं?

दिनेश कुमारः पंजाब से बड़ी संख्या बाहर जाती है। जब बाहर से आते हैं तो पंजाब के प्रति दृष्टिकोण में कमी दिखाई देती है। पैसा देकर विघटनकारी शक्तियां प्रभावित करती हैं। नशा दूसरी बड़ी समस्या है। नशा की पाकिस्तान से तस्करी होती है। पंजाब से पलायन तीसरी समस्या है। इसे रोकने की जरूरत है। कभी पंजाब पूरे देश को अन्न देता था। रासायनिक खाद के कारण भूमि की उर्वरा शक्ति में कमी आई है। भूमि को सुधारने की जरूरत है। किसान में भूमि के प्रति समर्पण कम दिखाई दे रहा है। बिहार और उत्तर प्रदेश के साढ़े आठ लाख लोग पंजाब में खेती कर रहे हैं। पंजाब का युवा सेना में जाता था, देश के प्रति जुनून होता था, उसमें कमी आई है, सुधार की जरूरत है।

पत्रिकाः पंजाब में कांग्रेस सरकार ने कुछ तो अच्छे काम किए होंगे?

दिनेश कुमारः तीन साल में कांग्रेस सरकार दिखाई नहीं दी। सरकार ने बिजली की दरें बढ़ा दीं। लूटमार और इसी जैसी अन्य गतिविधियां रोकने में कैप्टन अमरिन्दर सिंह की भूमिका नगण्य है। केन्द्र की आयुष्मान योजना को लागू नहीं किया। इसके लिए हमें आंदोलन करना पड़ा। इसके बाद एक साल की देरी की लागू करने में। भ्रष्टाचार चरमसीमा पर है। अवैध खनन हो रहा है। शिक्षा व्यवस्था ठप है। सेहत मंत्री भ्रष्टाचार के केस में फँसे हुए हैं। सीमा की सुरक्षा करने में अक्षम हैं। सरकार में आपस में विघटन है। निकाय मंत्री सिद्धू खुद कैप्टन पर वार कर रहे हैं। विधानसभा में कांग्रेस आपस में बँटी हुई है।

पत्रिकाः पंजाब विधानसभा की 117 सीटें है। भाजपा सिर्फ तीन सीट जीत पाई है। ऐसे में क्या आपको नहीं लगता कि कि पार्टी का ग्राफ लगातार गिर रहा है?

दिनेश कुमारः विधानसभा में 23 सीट लड़कर तीन सीटें जीतीं और अकाली दल ने 94 सीट लड़कर 15 सीटें जीतीं। लोकसभा में दो सीटें जीतीं और विधान सीट वार प्रगति की है। इस आधार पर कह सकते हैं कि हमारा वोट बैंक मजबूत हो रहा है। हमारी संख्या बढ़ेगी और सरकार बनाने तक पहुंचेंगे।