भगवन्त मान ने मंगलवार को पत्रकारवार्ता में सुखपाल खैहरा पर आरोप लगाया था कि वे मौका परस्त हैं और नेता प्रतिपक्ष के पद से हटाने के कारण बगावत कर रहे हैं। मान ने सुखपाल खैहरा के साथी विधायक कंवर संधू पर भी आरोप लगाया था कि वे नेता प्रतिपक्ष बनने की चाह में खैहरा का साथ दे रहे हैं। इन आरोपों के जवाब में खैहरा ने कहा कि वे तो 1997 में राजनीति में आए और जनता की मांग पर 25 दिसम्बर 2015 को आम आदमी पार्टी में आए, लेकिन मान देखें कि वे अब तक कितने संगठन बदल चुके हैं। खैहरा ने इस बात से भी इनकार किया कि कंवर संधू नेता प्रतिपक्ष बनना चाहते हैं। खैहरा ने कहा कि जब उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाने का प्रस्ताव आया था, तब उन्होंने कंवर संधू को कहा था कि वे नेता प्रतिपक्ष का पद संभालें लेकिन कंवर संधू ने इनकार कर दिया था। इसके अलावा संधू की कभी मनीष सीसोदिया से व्यक्तिगत मुलाकात ही नहीं हुई।
खैहरा ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया है। अब पार्टी को जनता के हित में इसका खुलासा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब अरविन्द केजरीवाल ने ड्रग माफिया को संरक्षण देने के आरोप पूर्व अकाली मंत्री विक्रम मजीठिया पर लगाए थे और इस पर अदालत में दायर मानहानि मुकदमे के निपटारे के लिए जब मजीठिया से माफी मांगी थी, तब मान ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से दिखावे के लिए इस्तीफा दिया था। इस बारे में पंजाब प्रभारी व दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सीसोदिया ने उन्हें कहा था कि मान का इस्तीफा रणनीति के तहत दिलाया गया है। आप स्वयं भी इस्तीफा दो, लेकिन मैंने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था।
खैहरा ने कहा कि मेरे खिलाफ मान ने जो आरोप लगाए हैं, उन पर फैसला जनता करेगी। मैं इन आरोपों पर अपनी ओर से ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता। उन्होंने कहा कि पिछली 30 जुलाई को ही मान ने मुझे बेबाक नेता बताया था लेकिन चंद दिनों बाद ही मुझे मौकापरस्त बताने लगे। मान तो इस्तीफा देकर गायब हो गए थे और अब सामने आए, तो आरोप लगाने लगे।