
Satlok Ashram Director Rampal Bari
चंडीगढ़। न्यायिक दंडाधिकारी मुकेश कुमार की अदालत में चल रहे सतलोक आश्रम प्रकरण में बरवाला थाने में दर्ज हुए दो केसों में रामपाल बरी हो गई है। इस मामले में रामपाल के साथ अन्य कई लोगों को भी आरोपी बनाया गया था। मामले में फैसले से पूर्व अभियोजन पक्ष व बचाव पक्ष के वकीलों की बहस हुई। इसके बाद जज ने फैसला पढ़ा, जिसमें रामपाल व उसके साथियों को बरी कर दिया गया। रामपाल की ओर से वकील एपी सिंह तर्क पेश किए।
हालांकि रामपाल को अभी जेल में ही रहना होगा। उसके खिलाफ अभी देशद्रोह समेत कई अन्य मामलों में सुनवाई होनी है। न्यायिक दंडाधिकारी मुकेश कुमार की अदालत में चल रहे साल 2014 के सतलोक आश्रम मामले में बरवाला थाने में दर्ज हुए दो मामलों पर मंगलवार को फैसला आया। हिसार कोर्ट ने रामपाल को इन मामलों में बरी कर दिया। इसमें आश्रम संचालक रामपाल सहित अन्य आरोपी शामिल थे।
स्वयंभू रामपाल धारा 426 और 427 के मामले में बरी हो गया है। इस मामले में कानूनी जानकारों का मानना था कि जिन धाराओं के तहत केस दर्ज हैं, उनमें 3 साल तक की सजा का प्रावधान है। लेकिन रामपाल को पूरी तरह से बरी कर दिया गया। इस मामले में बहस पूरी हो चुकी थी और फैसला भी 24 अगस्त को आना था, लेकिन 25 अगस्त को पंचकूला की सीबीआई कोर्ट में साध्वी यौन शोषण मामले में गुरमीत राम रहीम पर फैसले के चलते बरवाला पुलिस के आग्रह पर अदालत ने इसे 29 अगस्त तक टाल दिया था।गौरतलब है कि बरवाला में हिसार-चंडीगढ़ रोड स्थित सतलोक आश्रम में नवंबर 2014 में सरकार के आदेश के बाद पुलिस ने आश्रम संचालक रामपाल के खिलाफ कार्रवाई की थी। पुलिस ने रामपाल को 20 नवंबर 2014 को गिरफ्तार किया था।
पुलिस ने बरवाला थाने में सरकारी ड्यूटी में बाधा डालने सहित अन्य धाराओं में एफआइआर नंबर 426 और जबरन बंधक बनाने सहित अन्य धाराओं में एफआइआर नंबर 427 दर्ज की गई थी।बाबा रामपाल जिन मामलों (केस नंबर 426 और 427) में बरी हुए हैं, वे साल 2014 के हैं। बाबा रामपाल के वकील एपी सिंह ने पत्रकारों को बताया कि अदालत ने उन्हें (बाबा) को दो मामलों में बरी कर दिया गया है। उन्होंने इसे सत्य की जीत बताया।
2014 में बने थे टकराव के हालात
राम रहीम को लेकर जिस तरह के हालात हरियाणा में पैदा हुए, वैसे ही हालात नवंबर 2014 में बने थे जब सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल की पेशी होनी थी। आश्रम की जमीन को लेकर उपजे विवाद पर सुनवाई के लिए रामपाल हाई कोर्ट में पेश नहीं हुए थे और अपने अनुयायियों को ढाल बनाकर आश्रम के अंदर बैठ गए थे। आश्रम के ब्लैक कैट कमांडो ने पुलिस और सुरक्षा बलों को खुली ललकार दी थी और तब दोनों ओर से हुए टकराव में बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे। 6 महिलाओं की दम घुटने से मौत हो गई थी। इन मौतों का आरोप रामपाल और उनके अनुयायियों पर है। रामपाल समेत 939 समर्थकों पर केस चल रहा है, जिसके बाद से ही रामपाल जेल की सलाखों के पीछे हैं।रामपाल अभी 2 केसों पर बरी हुए हैं जबकि 5 मामले अभी भी उस पर चलते रहेंगे।
आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ा रामपाल
करीब 11 दिन की जद्दोजहद के बाद आखिरकार 19 नवंबर 2014 की रात रामपाल पुलिस के हत्थे चढ़ ही गया। रामपाल के साथ ही उसके 492 समर्थकों को भी देशद्रोह, हत्या, हत्या का प्रयास, षणयंत्र, अवैध हथियार जमा करने और लोगों को आत्महत्या के लिए उकसाने व बढ़ावा देने के आरोप लगाए गए। इसके साथ ही आश्रम को बंद कर दिया गया।
रामपाल पर दर्ज हैं ये गंभीर मामले
2006 में रामपाल पर हत्या का केस दर्ज हुआ था। दरअसल, रामपाल ने स्वामी दयानंद की लिखी एक किताब पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच हुई हिंसक झड़प में एक शख्स की मौत हो गई थी। 2013 में एक बार फिर से आर्य समाजियों और रामपाल के समर्थकों के बीच हुई झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई और करीब 100 लोग घायल हो गए। साल 2006 में रामपाल ने आर्य समाज की किताब 'सत्यार्थ प्रकाशÓ पर उंगली उठायी थी। रामपाल ने इसके कुछ हिस्सों को अव्यवहारिक और असामाजिक करार दिया था। इससे आर्य समाज के लोग नाराज हो गए। समाज के लोगों ने रामपाल के आश्रम को घेर लिया, जिसके बाद 12 जुलाई 2006 को दोनों पक्षों में हिंसक झड़प हुई। इस झड़प में सोनू नाम के एक व्यक्ति की गोली लगने से मौत हो गई थी और 59 अन्य घायल हो गए थे।
कथित संत रामपाल को इस मामले में हत्या व हत्या के प्रयास के मामले में गिरफ्तार किया गया और उस वक्त वह 22 महीने जेल में भी रहा था। उसके समर्थकों का कहना था कि रामपाल को गलत तरीके से फंसाया गया है। 2006 में ही रामपाल के खिलाफ करौंथा आश्रम जमीन धोखाधड़ी मामले में भी एक केस दर्ज हुआ। साल 2008 में जेल से छूटने के बाद रामपाल ने बरवाला, हिसार में अपना आश्रम बनाया।
कौन है रामपाल
रामपाल दास का जन्म हरियाणा के सोनीपत के गोहाना तहसील के धनाना गांव में हुआ था। पढ़ाई पूरी करने के बाद रामपाल को हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की नौकरी मिल गई। इसी दौरान इनकी मुलाकात स्वामी रामदेवानंद महाराज से हुई। रामपाल उनके शिष्य बन गए और कबीर पंथ को मानने लगे। इसके बाद नौकरी छोड़कर रामपाल ने रोहतक के करोंथा गांव में सतलोक आश्रम बनाया। साल 1996 में उसने नौकरी छोड़ दी और 1999 में सतलोक आश्रम की स्थापना की। रामपाल के दो लड़के और दो लड़कियां भी हैं।
रोहतक अदालत में चल रहे करौंथा कांड मामले में रामपाल पेश नहीं हो रहा थे। मामले को हाईकोर्ट भेज दिया गया। हाईकोर्ट में रामपाल पेश नहीं हुए। सीएमओ से मेडिकल भेज दिया गया था। लगातार गैर हाजिर होने पर हाईकोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किए थे। 16 नवंबर 2014 को पुलिस और प्रशासन को पेश होने का भरोसा दिलाया,मगर फिर पेश होने से इनकार कर दिया। इसके बाद पुलिस ने 17 नंवबर 2014 को आश्रम को घेरकर कार्रवाई की थी। इस समय रामपाल के समर्थक आश्रम के अंदर थे।
पुलिस बल के बावजूद संत रामपाल को इसलिए गिरफ्तार नहीं किया जा सका क्योंकि प्रशासन को डर था कि कहीं पिछले साल जैसी हिंसा फिर न भड़क उठे। तब संत रामपाल के अनुयायियों और आर्य समाजियों के बीच हिंसा में पुलिस जवानों समेत 120 लोग घायल हुए थे,जबकि एक शख्स की मौत हो गई थी। इस मामले में उन पर देशद्रोह का मामला चल रहा है।
पहला केस-एफआइआर नंबर 426
धारा 323
धारा 353
धारा 186
धारा 426
दूसरा केस-एफआइआर नंबर 427
धारा 147
धारा 149
धारा 188
धारा 342
Published on:
29 Aug 2017 07:47 pm
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