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विनम्रता, सरलता, करुणा और कोमलता का अद्भुत संगम है आचार्य महाश्रमण

यहां विराजित मुनि डा. अमृतकुमार व साध्वी प्रज्ञाश्री एवं अन्य संत-साध्वीवृंद के सान्निध्य में आचार्य महाश्रमण का 9वां पदाभिषेक दिवस एवं...

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Acharya Mahasamana

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गुडियातम।यहां विराजित मुनि डा. अमृतकुमार व साध्वी प्रज्ञाश्री एवं अन्य संत-साध्वीवृंद के सान्निध्य में आचार्य महाश्रमण का 9वां पदाभिषेक दिवस एवं मुनि डॉ. अमृतकुमार व साध्वी प्रज्ञाश्री का आध्यात्मिक मिलन समारोह आयोजित किया गया। तेरापंथ सभा भवन में आयोजित समारोह की शुरुआत मानमल नाहर ने स्वागत भाषण से की।


इस अवसर पर मुनि डॉ. अमृतकुमार ने आचार्य महाश्रमण से मिले आध्यात्मिक उपहार की चर्चा करते हुए कहा गुरु जन्मोत्सव पर मिला गुरु दर्शन का उपहार। आचार्य महाश्रमण विनम्रता, सरलता, करुणा और कोमलता का अद्भुत संगम है। दीक्षा जीवन के प्रारंभ से ही मुझे पूज्य गुरुदेव का सानिध्य एवं मार्गदर्शन प्राप्त होता रहा है। गुरुदेव के पदाभिषेक समारोह सरदारशहर में भी मैं संभागी था। मुनि ने कहा साध्वी प्रज्ञाश्री एक सरलमना साध्वी है, उनसे मिलकर बहुत हर्ष हुआ।

साध्वी प्रज्ञाश्री ने कहा भैक्षव शासन के ग्याहरवें आचार्य महाप्रज्ञजी के पट्टधर का पदाभिषेक गुडियातम चतुर्विध संघ ने मिलकर मनाया है। आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ की अमूल्य कृति व जय मघवा का रूप है हमारे आचार्य महाश्रमण। सरदारशहर की पावन धरा पर सं. 2067 में इन्होंने पूर्वाचार्यों की अनुत्तर साधना से निर्मित व्यमल-धवल-निर्मल चद्दर को भैक्षव शासन की रखवाली के लिए धारण किया। यह चद्दर ही उनके जीवन में "आरोग्य वोहिलाभं समाहि वरमुत्तम दिंतु" सूत्र की ढाल बनी रहेगी। युगों युगों तक जिनशासन व भैक्षव शासन की रखवाली करते रहें।


साध्वी ने कहा आज हमारा मुनि डॉ. अमृतकुमार व नरेशकुमार से आध्यात्मिक मिलन हुआ है। ये संघ की प्रभावना बहुत अच्छी कर रहे हैं। 17 वर्षों से मुनि अमृतकुमार एकांतर तप कर रहे हैं, ज्ञानशाला की अच्छी सार संभाल कर रहे हैं। साध्वी विनयप्रभा व प्रतीकप्रभा और महिला मंडल ने गीतिका प्रस्तुत की। साध्वी सरलप्रभा ने गुरुदेव का अभिनंदन करते हुए चिरायु होने की मंगलकामना की ।


नवरतन गांधी ने संवत्सरी एकता पर आचार्य महाश्रमण के योगदान की चर्चा की व जैन एकता की दिशा में उनके प्रयासों को सराहनीय बताया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डॉ. कमलेश नाहर ने भी अपने विचार व्यक्त किए। धन्यवाद जसवंत गिडिया ने ज्ञापित किया एवं संचालन मुनि नरेशकुमार ने किया।